बंगाल में बदले के भावना की राजनीति की धधकती आग
बंगाल में बदले के भावना की राजनीति की धधकती आग


08 May 2021 |  319



धनंजय सिंह स्वराज सवेरा एडिटर इन चीफ यूपी 



बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद राजनीति की धधकती हिंसा की आग स्वीकार नही।किसी भी लोकतांत्रिक चुनाव में मिला हुआ बड़ा जनसमर्थन हिंसा करने का लाइसेंस नही है।ममता बनर्जी तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी हैं।ममता को सबसे पहले हो रही हिंसा को रोकना चाहिए था।हिंसा पर नियंत्रण करने के लिए ममता को बंगाल की कानून व्यवस्था संभालने वाली एजेंसियों के साथ बेकाबू हुए टीएमसी के कार्यकर्ताओं को सख्त संदेश देना चाहिए था।बंगाल के राजनीति की धधकती हुई आग के अतीत को देखते हुए पहले से संभावना जताई जा रही थी कि वहा चुनाव परिणाम आने के बाद राजनीति की आग धधक सकती है।उग्र राजनीतिक कार्यकर्ता यह नही समझते है कि राजनीति की धधकती आग में उनके अपने भी जलेंगे।तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पार्टी को मिली बड़ी जीत के बाद से ही बंगाल में कई स्थानों पर बीजेपी के कार्यकर्ताओं के घरों और पार्टी के ऑफिस में लूटपाट व आगजनी की है।भाजपा ने दावा किया है कि टीएमसी की हिंसा में उसके छह कार्यकर्ता मारे गये है उधर टीएमसी ने भी दावा किया है कि उसके चार कार्यकर्ता मारे गये है।इसके साथ ही कांग्रेस और लेफ्ट से भी करने वाले इंडियन सेकुलर फ्रंट ने भी अपना एक कार्यकर्ता के मारे जाने का दावा किया है।यह सच में त्रासद है जिस वक्त बंगाल को पूरे देश की तरह कोरोना महामारी को काबू करने के लिए एक साथ होना चाहिए तब वहां राजनीति की आग धधक रही है।हालात की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री के शपथ लेने से पहले ही वहां आग धधक गयी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्यपाल से बात करनी पड़ी।भाजपा ने बंगाल में अपने कार्यकर्ताओं पर हुए हमले के विरोध में जो राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन की अपील की उसका राजनीतिक निहितार्थ हो सकता है परन्तु ये नही भूलना चाहिए कि माकपा और कांग्रेस ने भी राजनीति की धधकती हुई आग का जिम्मेदार टीएमसी को ठहराया है।अब जब ममता बनर्जी अपनी नई पारी की शुरुआत कर रही हैं तो कहने की जरूरत नही होनी चाहिए कि राजनीति की धधकती आग पर नियंत्रण के बाद ममता कोरोना महामारी और उससे उत्पन्न हुए हालात पर कारगर तरीके से लड़ाई लड़ पाएंगी।


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