हुड्डा ने कांग्रेस हाईकमान को झुकने के लिए फिर खेला प्रेशर राजनीति का खेल
हुड्डा ने कांग्रेस हाईकमान को झुकाने के लिए फिर खेला प्रेशर राजनीति का खेल


01 Jul 2021 |  139



 कैथल।हरियाणा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने एक हुड्डा कर दिया है।हुड्डा ने एक बार फिर से प्रेशर राजनीति का दनादन हथियार चलाते हुए अपने 19 विधायकों को गुरूवार को दिल्ली प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल के पास भेजा। हुड्डा समर्थक विधायकों ने प्रदेश प्रभारी से कहा कि शैलजा की अगुवाई में हरियाणा में कांग्रेसी सत्ता हासिल नहीं कर पायेगी और हुड्डा परिवार को पार्टी की कमान सौंपी जाए।हुड्डा समर्थकों ने यह भी कहा कि शैलजा उनके साथ तालमेल बनाकर काम नहीं करती है और अपनी मनमर्जी करती हैं, इसलिए हम उनके साथ में काम नहीं कर सकते। भूपेंद्र हुड्डा के लिए प्रेशर राजनीति का हथियार का इस्तेमाल करना कोई नई बात नहीं है।हुड्डा पिछले 7 साल में एक दर्जन बार इस हथियार का बखूबी इस्तेमाल कर अपने सियासी फायदे के लिए कर चुके हैं।हुड्डा पिछले 16 साल से प्रदेश कांग्रेस को अपने इशारे पर नचाते रहे हैं। हुड्डा 9 साल के सत्ता काल में जहां किसी भी दूसरे कांग्रेसी नेता को उभरने नहीं दिया वही कांग्रेस के संगठन और सत्ता दोनों को अपने इशारे पर चलाने का काम किया है।हुड्डा के निरंकुश व्यवहार के कारण ही एक दर्जन बड़े कांग्रेसी नेता जहां कांग्रेस को छोड़ गए, वहीं बाकी बचे हुए नेता भी मजबूरी में घुटने टेक दिए। हुड्डा ने 7 साल के दौरान अशोक तंवर और कुमारी शैलजा को जरा भी सहयोग नहीं किया और हमेशा उनके फैसलों में दोनो टांग अड़ाने का काम किया। हुड्डा के कारण ही पिछले 7 साल में हरियाणा में कांग्रेस का संगठन खड़ा नहीं हो पाया है। दिल्ली में बैठे कई बड़े पैरोकार नेताओं के बलबूते पर हुड्डा ने कांग्रेस संगठन की जारी हुई लिस्ट को भी रद्द करवाने का काम किया। इसके अलावा प्रेशर राजनीति का इस्तेमाल करते हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अशोक तंवर को भी अध्यक्ष पद से हटवा दिया। कांग्रेस हाईकमान को दोनो हाथों से ठेंगा दिखाते हुए हुड्डा राज्यसभा चुनाव में पार्टी के फैसले के खिलाफ जाते हुए स्याही कांड को अंजाम देकर अपनी मनमानी का सबूत दिया। मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच में हुए झगड़े का बाखूफी फायदा उठाते हुए हुड्डा ने प्रेशर राजनीति के जरिए ही बेटे दीपेंद्र हुड्डा की राज्यसभा की टिकट का इंतजाम किया।हुड्डा शैलजा को अध्यक्ष पद से हटाकर अपने बेटे दीपेंद्र को इस पद पर बैठना चाहते हैं। खरी खरी बात ये है कि हुड्डा पूरी तरह से पड़ोसी पंजाब के अमरिंदर सिंह के नक्शे कदम पर चल रहे हैं‌।हुड्डा अच्छी तरह जानते हैं कि किस तरह से मुश्किल में फंसे हुए कांग्रेस हाईकमान को झुकाकर अपना उल्लू सीधा करना है और अपनी मांगे मनवानी हैं। इसी फार्मूले पर चलते हुए हुड्डा गुरूवार अपने समर्थक विधायकों को प्रदेश प्रभारी के पास भेजा। हुड्डा जानते हैं कि इस समय पार्टी हाईकमान पंजाब इकाई में मची घमासान को सुलझाने के लिए माथापच्ची कर रही हैं वहीं राजस्थान में भी अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच पटका पटकी जारी है। ऐसे माहौल में हरियाणा में विवाद का तीसरा मोर्चा खुलने से रोकने के लिए हाईकमान प्रेशर में आ जाएगा और उनकी मांग को मान लेगा। इसलिए हुड्डा ने अपने 19 विधायकों को प्रदेश प्रभारी के पास भेजकर कुमारी शैलजा को अध्यक्ष पद से हटाकर अपने बेटे को अध्यक्ष बनाने की मांग रखी। खास बात यह भी है कि एक तरफ हुड्डा जहां कांग्रेस हाईकमान को प्रेशर राजनीति के जरिए दबाना चाहते हैं वही बीजेपी के साथ जबरदस्त नूरा कुश्ती का खेलते हुए खुद को जेल से बाहर रखने में भी सफल रहे हैं।हुड्डा ने भाजपा के खिलाफ किसी भी मुद्दे पर मैदान में उतरने के बजाय सिर्फ बयानबाजी की राजनीति कर रहे हैं। कांग्रेस के घोषित कार्यक्रमों में शामिल होने के बजाय हुड्डा अपने बेटे की टीम दीपेंद्र के जरिए पूरे प्रदेश में कांग्रेस के समानांतर अपना संगठन स्थापित कर रहे हैं। अब देखना यही है कि हर बार की तरह कांग्रेस हाईकमान उनके प्रेशर में आकर घुटने टेकते हुए उनकी मांगों को मानती है या प्रेशर राजनीति को नकारते हुए कुमारी शैलजा पर भरोसा रखती है।


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