ब्यूरो देवी शरण मिश्रा
प्रतापगढ़।ब्राह्मणों की नाराजगी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन कर सामने आ रही है।कल जहां रितेश पाल के अंतिम संस्कार में जिले का प्रशासनिक अमला और सभी जनप्रतिनिधि मौजूद रहे वही कंधई हनुमानगंज के रहने वाले जवान चंद्रलोक तिवारी की अंतिम यात्रा में भाजपा सहित जिले का प्रशासनिक अमला और राजनीतिक लोग नजर नही आये या यू कहा जाए यहाँ आना उचित नही समझे।इसको लेकर कई लोंगो ने खबर के जरिए प्रमुखता से इस मुद्दे को उठाया।इस खबर को उठना भी जरूरी था।इस खबर गूंज प्रतापगढ़ से लेकर लखनऊ तक पहुंची जहां प्रदेश मुख्यालय द्वारा इसका संज्ञान लिया गया।संज्ञान लेने के बाद गायब रहे रानीगंज विधायक धीरज ओझा शहीद के परिजनों से मिलने घर पहुंचे। विधायक धीरज ओझा ने 51हजार रुपये की नकद सहायता दी तथा शहीद के घर तक इंटरलॉकिंग की भी घोषणा की।
बड़ा सवाल कि रितेश पाल के परिजनों को 50 लाख और एक नौकरी फिर चंद्रलोक तिवारी के परिजनों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों।क्या अब शहीदो की जाति देखी जायेगी।
प्रदेश के कई ब्राह्मण संगठनों ने प्रदेश सरकार के रवैए की भरकस आलोचना की है।लोगों का कहना है कि पिछड़ों का वोट हासिल करने के लिए सामान्य वर्ग के शहीद के परिजनों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है और नीचा दिखाया जा रहा है।सरकार अगर रितेश पाल के परिजनों को 50 लाख और एक नौकरी दे सकती है तो ऐसा चंद्रलोक तिवारी के परिवार के साथ क्यों नहीं हो रहा फिलहाल इस प्रश्न का सरकार की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया।