यूपी आए राहुल ने क्यों बनाई सियासत से दूरी,वजह कहीं 2019 से तो नहीं
यूपी आए राहुल ने क्यों बनाई सियासत से दूरी, वजह कहीं 2019 से तो नहीं


06 Dec 2021 |  92



धनंजय सिंह स्वराज सवेरा एडिटर इन चीफ यूपी

प्रयागराज।उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव नजदीक है।राजनैतिक दलों के दिग्गज आए दिन सियासी दौरा कर रहे हैं।दिग्गज एक-दूसरे पर सियासी तीर से हमले पर हमला कर रहे हैं।राजनीतिक दल वोटरों को अपने पाले में करने के लिए लगे है।इन सबके बीच अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी सियासी सवालों पर चुप्पी तोड़ने को राजी नहीं हुए।ये पार्टी के लिए सही संकेत नहीं माना जा रहा हैं। बैरहाल कांग्रेसी इसे निजी दौरा बताकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।

चुप्पी साधकर लौटे राहुल गांधी

राहुल गांधी रविवार को प्रयागराज पहुंचे।यहां पहुंचने पर स्वराज भवन में पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया।राहुल निजी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रयागराज पहुंचे थे।बमरौली एयरपोर्ट पर बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे।

राजनीतिक पंडितों की अगर मानी जाएं तो राहुल गांधी की चुप्पी को 2019 के लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।दरअसल स्मृति ईरानी की जबरदस्त जीत और राहुल गांधी की हार ही उनकी चुप्पी का अहम वजह मानी जा रही है।यही वजह है कि राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश आगामी विधानसभा चुनाव से दूरी बना ली है।यूपी आने के बाद भी राहुल गांधी बिना कुछ बोले चले गए।

जाने क्या कहते हैं राजनीतिक पंडित

उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव के चढ़ते सियासी पारे के बीच राहुल गांधी का उत्तर प्रदेश आना और बिना कुछ कहे चले जाने इस पर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा को फ्री हैंड दे रखा है।इसमें किसी का हस्तक्षेप नहीं है, यहां तक कि राहुल गांधी को भी हस्तक्षेफ की इजाजत नहीं है,हालांकि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी यूपी चुनाव को लेकर लगातार प्लानिंग तो कर रहे हैं,लेकिन राहुल गांधी बयानबाजी से कोसो दूरी बनाए हुए हैं।

आपकों बता दें कि उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी की राजनीति को 2019 लोकसाभा चुनाव में ही नहीं बल्कि 2017 से ही ग्रहण लग चुका है। 2017 के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने मिलकर चुनाव लड़ा था, उस समय उत्तर प्रदेश के दो लड़के के नाम से अखिलेश और राहुल काफी चर्चा में रहे थे,लेकिन चुनाव परिणाम बिल्कुल विपरीत रहे, और दोनों पार्टियों को हार मिली थी।

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