1985 से श्रीपति मिश्रा की सीट पर नहीं जीती है कांग्रेस,सपा से अबरार हैं विधायक
1985 से श्रीपति मिश्रा की सीट पर नहीं जीती है कांग्रेस,सपा से अबरार हैं विधायक


03 Jan 2022 |  113



धनंजय सिंह स्वराज सवेरा एडिटर इन चीफ यूपी

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में एक ऐसी विधानसभा है। जिला मुख्यालय से ये विधानसभा क्षेत्र लगभग तीस किलोमीटर दूर है और यहां से रामनगरी अयोध्या की दूरी 50 किलोमीटर है।ये विधानसभा इसौली के नाम से जानी जाती हैं और यहां हिंदी के साथ खड़ी बोली और अवधी भी बोली जाती है।इसौली विधानसभा चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू और यशभद्र सिंह उर्फ मोनू का मजबूत किला है।इसौली विधानसभा सोनू और मोनू का मजबूत किले का कारण सभी के सुख दुख में दोनों भाइयों का साथ खड़े रहना है। चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू इसौली से तीन बार विधायक रह चुके हैं और मेनका गांधी के खिलाफ बहुजन समाज पार्टी से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं।ये लोकसभा चुनाव सोनू लगभग दस हजार वोटों से हारे थे।

इसौली विधानसभा से जीत का परचम लहरा कर श्रीपति मिश्रा भी विधायक बने थे।श्रीपति कांग्रेस से मुख्यमंत्री भी रहे। इसौली से समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने अधिकतर जीत का परचम लहराया है।अगर पिछले तीन दशकों के चुनाव परिणाम का नतीजा देखा जाए तो दो बार बसपा और चार बार सपा ने यहां से जीत दर्ज की है।

आइए जानें इसौली की राजनीतिक पृष्ठभूमि के बारे में कब क्या हुआ

इसौली विधानसभा सीट के लिए हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के नाजिम अली विधायक बने। इसके बाद 1957 में जनसंघ के गयाबख्श सिंह विधायक बने, 1962 में कांग्रेस के रामबली मिश्र विधायक बने, 1969 में भारतीय क्रांति दल के रामजियावन दुबे बने बने, 1974 में कांग्रेस से अम्बिका सिंह विधायक बने, 1975 में जनता पार्टी के रामबरन वर्मा विधायक बने,1980 में कांग्रेस के श्रीपति मिश्रा विधायक बने और 1982 में लखनऊ के सिंहसन पर मुख्यमंत्री बनकर बैठे।

इसौली विधानसभा सीट से 1985 में कांग्रेस के जय नारायन तिवारी विधायक बने, 1989 में जनता दल के टिकट पर और 1993 में निर्दल लड़कर इन्द्रभद्र सिंह विधायक बने। 1996 में कांग्रेस छोड़कर बहुजन समाजवादी पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे जय नारायन तिवारी ने इन्द्रभद्र सिंह को हराया। 2002 विधानसभा चुनाव में इन्द्रभद्र सिंह के बड़े बेटे चन्द्रभद्र सिंह सोनू समाजवादी पार्टी से विधायक बने, 2007 में सोनू बहुजन समाजवादी पार्टी से भी विधायक बने, 2012 में सपा के अबरार अहमद विधायक बने है।

2017 विधानसभा चुनाव में कुल 13 प्रत्याशी मैदान में थे। चुनावी टक्कर सपा, भाजपा और आर‌एलडी के बीच थी।सपा से अबरार अहमद ने अपने‌ प्रतिद्वंदी भाजपा के ओमप्रकाश पांडेय को चार हजार से ज्यादा वोट के अंतर से हराया था। आरएलडी से यशभद्र सिंह मोनू तीसरे पायदान पर रहे थे। अहम बात ये कि पहले और तीसरे स्थान पर रहे प्रत्याशियों के बीच करीब नौ हजार वोटों का ही अंतर था।

इसौली विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात की जाए तो इस विधानसभा क्षेत्र में कुल लगभग चार लाख वोटर हैं।जातीय समीकरणों की अगर बात की जाए तो यहां सामान्य जाति के वोटरों के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित वोटरों की संख्या भी अच्छी खासी है।मुस्लिम वोटर भी इसौली विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

इसौली से सपा विधायक अबरार अहमद 71 साल के हैं और इनकी शिक्षा दीनी तालीम है।बताया जाता है कि सपा विधायक पहले बीपीएल कार्ड धारक थे।कृषि इनका मुख्य व्यवसाय रहा है।इनके दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी हैं। सपा विधायक अबरार अहमद बड़बोले नेताओं में गिने जाते है।विवादित बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं।सपा विधायक का दावा है कि उनके कार्यकाल में क्षेत्र का विकास हुआ है।

आइए जानें सोनू और मोनू का इसौली क्यों है मजबूत किला

चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू और एसभद्र सिंह उर्फ मोनू का इसौली मजबूत किले का कारण है लोगों के सुख दुख कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना है।सोनू सिंह और मोनू सिंह की इसौली विधानसभा के अलावा सदर विधानसभा भी मजबूत किला है।
इन दोनों विधानसभाओं में गरीब लड़कियों के विवाह में भरपूर मदद करना और खुद दोनों भाइयों में से वहां पर मौजूद रहना।
अन्य लड़कियों की शादी में सोनू और मोनू पहुंच कर एक साड़ी और पैसा न्योता के रूप में देते हैं।गरीब लोगों का अंतिम संस्कार कराना।ऐसे बहुत से कार्य है जिनकी वजह से इसौली विधानसभा सोनू और मोनू का मजबूत किला है। मोनू सिंह क‌ई बार से धनपतगंज ब्लाॅक प्रमुख हैं।

More news