बसपा मुखिया मायावती क्या रिटायर होने वाली हैं
बसपा मुखिया मायावती क्या रिटायर होने वाली हैं


18 Jan 2022 |  87



धनंजय सिंह स्वराज सवेरा एडिटर इन चीफ यूपी

लखनऊ।बहुजन समाज पार्टी की मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती क्या रिटायर होने वाली हैं,क्या अब मायावती बसपा की मार्गदर्शक बनेंगी,क्या उनके भतीजे आकाश आनंद पार्टी को संभालेंगे।उन्होंने अपने जन्मदिन के मौके पर साफ तौर कहा कि अब वे आकाश आनंद को आगे बढ़ाएंगी,सही समय पर आनंद मौका दिया जाएगा। आनंद अभी धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं और मेरे अन्य चुनावी राज्यों में व्यस्त होने के कारण आकाश पूरे देश में पार्टी को मजबूत कर रहे हैं।इतना ही नहीं मायावती ने सतीश चंद्र मिश्र के बेटे कपिल मिश्र को भी भविष्य का नेता बताया। तो क्या अब बसपा की बागडोर नयी पीढ़ी को सौंपने की तैयारी की जा रही है।

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती 66 वर्ष की हो चुकी हैं,क्या वे भी मुलायम सिंह यादव की तरह अपनी विरासत अपने भतीजे आकाश को सौंपना चाहती हैं। बसपा पिछले 10 सालों से सत्ता से बाहर है और इस दौरान लगातार कमजोर भी हुई है। मायावती की संगठन पर पकड़ भी कमजोर होती जा रही है।इसलिए अब युवा नेतृत्व तैयार कर बसपा अपनी किस्मत संवारना चाहती है।आकाश और कपिल इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं लेकिन मायावती ने उनके उज्जव भविष्य के संकेत दे दिए हैं।

बसपा की नई उम्मीद आकाश आनंद

बसपा मुखिया मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के आकाश आनंद बेटे हैं।आकाश की उम्र लगभग 27 वर्ष है।आकाश ने इंग्लैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ प्लाईमाउथ से एमबीए की डिग्री हासिल की है।बसपा मुखिया ने 2019 में आकाश को बसपा के नेशनल कॉऑर्डिनेटर बनाया था। पंजाब के फगवाड़ा में जब अकाली दल और बसपा गठबंधन की पहली रैली हुई थी उसमें आकाश ने अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के साथ मंच साझा किया था।
आकाश ने इस सभा में बसपा मुखिया का पत्र पढ़ कर जनता से अपने गठबंधन को वोट देने की अपील की थी।

अगर आकाश को बसपा में लीड प्लेयर के रूप में प्रमोट किया गया तो क्या बसपा से जुड़ रहे ब्राह्मण नाराज न होंगे।बसपा मुखिया ने इस सवाल से बचने के लिए अपने भतीजे आकाश के साथ-साथ कपिल मिश्रा की भी तारीफ करते हुए कहा कि कपिल मिश्रा भी नौजवानों को पार्टी से जोड़ने के लिए अच्छा काम कर रहे हैं। उन्होंने अगली पीढ़ी के लिए भी दलित-ब्राह्मण गठजोड़ को कायम रखने का संकेत दिया है।

आकाश आनंद के साथ कपिल मिश्र की जोड़ी

बहुजन समाज पार्टी के महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र के 35 वर्षीय कपिल मिश्र एकलौते बेटे हैं और पेशे से वकील हैं।कपिल मिश्र के परिवार में कानून की सेवा की एक लंबी परम्परा रही है।उनके दादा त्रिवेणी सहाय मिश्र इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज रहे थे और बाद में गोहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी बने थे। वे असम के राज्यपाल भी बने थे।कपिल के पिता सतीश चन्द्र मिश्र भी चर्चित वकील रहे हैं।वे 1998 में यूपी बार काउंसिल के चेयरमैन बने थे,2002 में उत्तर प्रदेश के एडवोकेट एडवोकेट जनरल बने थे।सतीश चन्द्र मिश्र को बसपा का थिंक टैंक माना जाता है।

बसपा मुखिया मायावती की पांच साल पहले जब नसीमुद्दीन सिद्दीकी से सियासी लड़ाई हुई थी तब उन्होंने नसीमुद्दीन से कहा था कि तुम सतीश चन्द्र मिश्र के पैरों की धूल के बराबर भी नहीं हैं। माना जाता है कि कांशीराम के बाद सतीश चन्द्र मिश्र ही बसपा मुखिया के सबसे करीबी नेता हैं और बसपा में नम्बर दो की हैसियत हासिल है। 2022 के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मणों को बसपा से जोड़ने के लिए सतीश चन्द्र मिश्र ने प्रबुद्ध सम्मेलन का अभियान चलाया था। इस अभियान में कपिल मिश्र साये की तरह अपने पिता के साथ बने रहे थे। यहां तक कि कपिल की मां कल्पना मिश्र ने ब्राह्मण महिलाओं को जोड़ने के लिए सक्रियता दिखायी थी। मायावती ने इसी संदर्भ में कपिल मिश्र का तारीफ की है।

मायावती और सतीश चन्द्र मिश्र का परिवारवाद

काशीराम परिवारवाद के खिलाफ थे और उन्होंने अपने किसी परिजन को राजनीति में बढ़ावा नहीं दिया। काशीराम ने इसलिए मायावती को अपना उत्तराधिकारी बनाया था,लेकिन मायावती को इससे परहेज नहीं। मायावती ने 2017 में पहली बार अपने छोटे भाई आनंद कुमार को बसपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था,लेकिन एक साल बाद ही 2018 में आनंद को पदमुक्त कर दिया गया था। फिर आनंद को 2019 में उपाध्यक्ष बनाया गया। इसी समय आकाश आनंद को राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया था, लेकिन आनंद कुमार पर अवैध सम्पत्ति अर्जित करने का आरोप है। आयकर विभाग ने 2019 में उनके नोएडा स्थित 400 करोड़ की सम्पत्ति जब्त कर ली थी। आनंद पर आरोप लगा था कि 2007 में उनके पास 7.5 करोड़ की सम्पत्ति थी जो 2014 में करीब 1316 करोड़ की गयी थी। आनंद 1994 में नोएडा विकास प्राधिकार में जूनियर अस्सिटेंट के रूप में बहाल हुए थे। छह साल के बाद आनंद ये नौकरी छोड़ दी थी और अपना व्यवसाय शुरू किया था।

आरोप है कि मायावती की सत्ता के दौरान इनकी सम्पत्ति में आश्चर्यजनक रूप से उछाल आया। सतीश चन्द्र मिश्र ने भी 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी समधन अनुराधा शर्मा को झांसी से बसपा का टिकट दिलाया था। वहां से भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती चुनाव लड़ रहीं थीं। उमा भारती ने करीब पौने छह लाख वोट लाकर यह चुनाव जीत लिया था। अनुराधा शर्मा को करीब 2 लाख 13 हजार वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहीं थीं। 2022 के चुनाव में यह दावा किया गया है कि मायावती और मिश्र परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ेगा।

More news