अपर्णा के भाजपा में शामिल होने से लखनऊ में बढ़ेगी भाजपा की मुश्किल
अपर्णा के भाजपा में शामिल होने से लखनऊ में बढ़ेगी भाजपा की मुश्किल


19 Jan 2022 |  88



रिपोर्ट-अनुज सिंह

लखनऊ।देश के बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश की सियासत में हर दिन जबरदस्त उलटफेर हो रहा है।हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियों का समाजवादी पार्टी में शामिल होने के लिए लाइन लगी हुई थी।इतनी तेज भगदड़ मची थी कि सपा मुखिया अखिलेश यादव को ये कहना पड़ा कि अब भाजपा नेताओं के लिए सपा के दरवाजे बंद हैं। सपा मुखिया के दरवाजे बंद करने से पहले ही उनके ही परिवार की सदस्य और उनके पिता मुलायम सिंह यादव की छोटू बहू अपर्णा यादव ने भाजपा में शामिल होकर उन्हें राजनीतिक तौर पर बड़ा झटका दिया है।भाजपा ने बीते दिनों मुलायम के समधी को भी भाजपा में शामिल कराया था। भाजपा अखिलेश से बदला लेने में कामयाब तो रही लेकिन अब भाजपा के भीतर दूसरी लड़ाई शुरू होगी और वो है लखनऊ की कैंट विधानसभा।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अपर्णा यादव की पसंद राजधानी लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट है।अपर्णा सपा से यहां एक बार चुनाव भी लड़ चुकी हैं। अपर्णा अखिलेश से कैंट सीट के लिए ही टिकट की मांग रहीं थीं,लेकिन अखिलेश ने अपर्णा की बातें अनसुनी करते हुए कैंट से टिकट देने से इंकार कर दिया था।इसके बाद अपर्णा ने ठोस कदम उठाते हुए सपा छोड़कर भाजपा में जाने का निर्णय किया था,मगर अपर्णा के लिए सपा छोड़ने का फैसला करना इतना आसान भी नहीं था। कुछ दिनों से चल रही अटकलों के बीच शिवपाल ने भी अपर्णा को समझाने का प्रयास किया था लेकिन वो नहीं मानी और बुधवार को दिल्ली में भाजपा में शामिल होकर देश में राष्ष्ट्रवाद का अलख जगाने का संकल्प ले लिया।

भाजपा में अपर्णा आने से अब पार्टी के अंदरखाने में दूसरी उठापटक भी शुरू होगी। लखनऊ कैंट से पहले ही कई दावेदार लगे हुए हैं।जिनमें भाजपा सांसद और यूपी सरकार में मंत्री रह चुकीं रीता बहुगुणा जोशी शामिल हैं। रीता अपने बेटे मयंक जेाशी के लिए कैंट सीट से टिकट मांग रही हैं और बेटे के टिकट के लिए तो उन्होंने सांसदी छोड़ने तक की पेशकश कर डाली है।रीता के इस्तीफे का दांव कितना कारगर होगा यह तो समय बताएगा,लेकिल कैंट सीट से टिकट को लेकर उनके और अपर्णा के बीच जोर आजमाइश तो शुरू हो ही गई है।अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आलाकमान का आशीर्वाद किसे मिलता है।

इलाहाबाद से भारतीय जनता पार्टी की सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने कहा है कि अगर उनके बेटे मयंक जोशी को राज्य विधानसभा चुनाव में लखनऊ छावनी से मैदान में उतारा जाता है तो वह एक सांसद के रूप में पद छोड़ने के लिए तैयार हैं।यदि एक परिवार का केवल एक व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है तो मयंक को टिकट दिए जाने पर मैं अपनी वर्तमान लोकसभा सीट से इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं। युवाओं को अंदर आने दो, मैं पार्टी के लिए काम करती रहूंगी।

2016 में भाजपा में शामिल हुईं पूर्व कांग्रेस नेता रीता बहुगुणा जोशी ने यह भी कहा कि उन्होंने यह प्रस्ताव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजा है।मैं वैसे भी हमेशा भाजपा के लिए काम करती रहूंगी।पार्टी मेरे प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करना चुन सकती है। मैं पहले ही घोषणा कर चुकी हूं कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगी। आखिर अब तो युवाओं को अंदर आने दो।

रीता ने कहा कि मयंक विधानसभा क्षेत्र में काफी जमीनी काम कर रहे हैं और समाज के सभी वर्गों में काफी लोकप्रिय हैं, खासकर युवाओं के बीच। यह सीट मुझे भी इतनी प्यारी है,आखिर मैंने सीट जीती है। 2012 में कांग्रेस से भाजपा के तीन बार के विधायक सुरेश चंद्र तिवारी को हराने के बाद फिर हमने 2017 मेंं भाजपा में शामिल हुई थी।मैंने मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को हराकर सीट जीती थी।मेरे बेटे का सीट से भावनात्मक जुड़ाव है और उसने पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की है, मुझे लगता है कि वह टिकट का हकदार है और अगर पार्टी को लगता है कि परिवार के केवल एक सदस्य को टिकट दिया जा सकता है, तो मैं पद छोड़ने के लिए तैयार हूं।

आपको बता दें कि रीता बहुगुणा जोशी सपा में रहते हुए 1995-2000 तक प्रयागराज के मेयर की सीट पर कब्जा जमाया था और बाद में कांग्रेस में शामिल हुईं। 2003 में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष और सितंबर 2007 में यूपी कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष नियुक्त की गईं।रीता 2012 के चुनाव में लखनऊ कैंट विधायक से विधायक चुनी गईं। रीता ने 2014 के लोकसभा चुनाव में लखनऊ से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन हार गईं।

रीता ने कांग्रेस में 24 साल बिताने के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में 20 अक्टूबर, 2016 को भाजपा में शामिल हुईं और फिर से लखनऊ कैंट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनी गईं।रीता को बाद में पार्टी द्वारा 2019 में प्रयागराज से लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारा गया और इस कारण उनको सीट खाली करनी पड़ी। 44 वर्षीय मयंक ने अपनी शुरुआती स्कूली शिक्षा सेंट जोसेफ कॉलेज और प्रयागराज के बीएचएस से की है और उसके बाद वह स्नातक के लिए मुंबई गए और उसके बाद लंदन चले गए जहां उन्होंने एमबीए किया।

अपर्णा ने लखनऊ कैंट से 2017 का चुनाव लड़ा था और हार गईं थीं। अपर्णा को राजधानी लखनऊ के बख्शी का तालाब विधानसभा क्षेत्र से मौका मिलने की संभावना है‌, क्योंकि कैंट सीट के लिए दावेदारों की लिस्ट बहुत लंबी है। भाजपा की लोकसभा सदस्य रीता बहुगुणा जोशी के अपने बेटे मयंक जोशी के लिए टिकट की मांग को लेकर खुलकर सामने आने के बाद लखनऊ से उम्मीदवारों के मुद्दे ने दिलचस्प मोड़ ले लिया है।रीता अपनी लोकसभा सदस्यता की कीमत पर भी टिकट मांग रही हैं।

सूत्रों के अनुसार अगर मंत्रियों को सीधे चुनाव में उतारने का फैसला होता है,तो डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा को उसी सीट से धकेला जा रहा है।इस विधानसभा से पार्षद रह चुके डॉ महेंद्र सिंह भी मैदान में हो सकते हैं।मौजूदा विधायक सुरेश तिवारी पहले से ही यहां से टिकट मांग रहे हैं और लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया की बहू रेशु भाटिया भी टिकट मांगने वालों में शामिल हैं।

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