मिशन 2024 की तैयारी,विकासपरक योजनाओं के सहारे आजमगढ़ की छवि बदलने में जुटी भाजपा: धनंजय सिंह
मिशन 2024 की तैयारी,विकासपरक योजनाओं के सहारे आजमगढ़ की छवि बदलने में जुटी भाजपा: धनंजय सिंह

06 Aug 2022 |  63




लखनऊ।उत्तर प्रदेश में चार महीने पहले विधानसभा चुनाव के चुनावी रण में भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी को जबरदस्त पराजित किया था।विधानसभा चुनाव के चुनावी रण के लगभग तीन महीने बाद आजमगढ़ और रामपुर में लोकसभा के उपचुनाव के चुनावी रण में भाजपा ने सपा के दोनों गढ़ को ध्वस्त कर फिर पराजित किया।सपा ने विधानसभा के चुनावी रण में आजमगढ़ में जो प्रदर्शन किया था वह उपचुनाव के चुनावी रण में नहीं दोहरा पाई।इसको लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की रणनीति पर कई तरह के सवाल भी खड़े हुए।भाजपा अब आजमगढ़ को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती है। इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आजमगढ़ की छवि बदलने के लिए यहां योजनाओं की बारिश शुरू कर दी है।

सरकारी योजनाओं के सहारे आजमगढ़ की छवि बदलने की कवायद

लोकसभा उपचुनाव के चुनावी रण में आजमगढ़ फतेह करने के बाद अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादियों के इस किले को नए सिरे से तराशने का काम शुरू कर दिया है।सीएम योगी बीते गुरुवार को आजमगढ़ में एक कार्यक्रम के दौरान करोड़ों रुपए की योजनाओं की शुरूआत की।इस मौके पर न‌ए नवेले भाजपा सांसद दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ भी मौजूद रहे। सीएम योगी ने इस मौके पर कहा कि पहले आजमगढ़ का नाम आतंक से जुड़ता था,लेकिन अब सरकार ने यहां की छवि को बदलने का फैसला किया है। सरकार यहां विकास का खाका खींचने का काम करेगी।योगी सरकार ने आजमगढ़ में सुहेलदेव विश्वविद्यालय बनाने की भी घोषणा की है।



विधानसभा चुनाव के चुनावी रण में आजमगढ़ में सभी सीटें हार गई थी भाजपा

उत्तर प्रदेश में चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव के चुनावी रण में आजमगढ़ की स्थिति काफी अलग थी। आजमगढ़ की सभी दस विधानसभा सीटों पर सपा ने जीत का परचम लहराया था,लेकिन तीन महीने के अंदर ही आजमगढ़ की बाजी पूरी तरह से पलट गई।जिन सीटों पर भाजपा पराजित हुई थी।भाजपा को वहां भी काफी वोट मिले और लोकसभा उपचुनाव का चुनावी रण जीतने में सफल रही। भाजपा के रणानीतिकारों को खुद इस बात की उम्मीद नहीं थी कि भाजपा को जीत मिलेगी,लेकिन बसपा के उम्मीदवार गुड्डू जमाली ने भाजपा को चुनावी रण जीतने के लिए आसान कर दिया था।

आजमगढ़ की छवि बदलकर सियासी फायदा लेने की कोशिश

सपा मुखिया अखिलेश यादव कई मोर्चे पर चूक गए। लोकसभा उपचुनाव के चुनावी रण में लड़ने को लेकर सपा में वो आत्मविश्वास और उत्साह नजर नहीं आया जो विधानसभा चुनाव के चुनावी रण में था।अगर नगर निगम का चुनावी रण होता है तो भाजपा में अमित शाह और योगी आदित्यनाथ जैसे कद़दावर नेता चुनावी रण में जाकर मोर्चा संभालते हैं।फिर लोकसभा उपचुनाव के चुनावी रण को अखिलेश यादव ने कैसे हल्के में ले लिया ये बड़ा सवाल है।हालांकि अब भाजपा ने आजमगढ़ में फतेह हासिल करने के बाद अपनी नजरें 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावी रण पर टिका दी है। आजमगढ़ की छवि बदलकर भाजपा अगले चुनावी रण में इसका सियासी फायदा लेने की पूरी कोशिश करेगी।

विधानसभा चुनाव के चुनावी रण में हारने के बाद लोकसभा उपचुनाव के रण में भाजपा की हुई जीत

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के चुनावी रण में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी।विधानसभा चुनाव के चुनावी रण में सपा ने आजमगढ़ की सभी विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया था,लेकिन तीन महीने बाद ही सपा के सबसे बड़े गढ़ में भाजपा ने सेंध लगा दी।अखिलेश यादव का प्रचार के लिए न निकलना भारी पड़ गया।आजमगढ़ में भाजपा की जीत की गूंज लंबे समय तक अखिलेश यादव के कानों में गूंजती रहेगी। भाजपा अब इस जीत का फायदा उठाना चाहती है।इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव जीतने के बाद पहली बार आजमगढ़ पहुंचे और कई योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया।

लोकसभा उपचुनाव का चुनावी रण हारने के बाद अखिलेश यादव का बिखरा कुनबा

सपा मुखिया अखिलेश यादव को अभी भी समझ में नही आ रहा है कि उनसे चूक कहां हुई,लेकिन भाजपा ने सधी हुई रणनीति और प्रचारतंत्र के सहारे आजमगढ़ फतह कर लिया।अखिलेश यादव अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव के लिए प्रचार करने क्यों नहीं निकले।आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में सपा को मिली हार के बाद सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा हो रहा है कि आखिरकार अखिलेश यादव उपचुनाव में प्रचार के लिए क्यों नहीं निकले। लोकसभा उपचुनाव के बाद अखिलेश यादव का कुनबा भी बिखर गया।केशव देव मौर्य,बड़बोल बोलने वाले ओम प्रकाश राजभर और चाचा शिवपाल सिंह यादव सरीखे राजनीति के खिलाड़ियो ने अखिलेश यादव के गठबंधन से खुद को अलग कर लिया है।

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