हाय ये महंगाई,मरने के बाद भी नहीं छोड़ रही पीछा,लखनऊ में चिता के लिए लकड़ियों के दाम बढ़े
हाय ये महंगाई,मरने के बाद भी नहीं छोड़ रही पीछा,लखनऊ में चिता के लिए लकड़ियों के दाम बढ़े

23 Mar 2023 |  97



ब्यूरो धीरज कुमार द्विवेदी

लखनऊ।महंगाई से जहां जान महंगी हो रही है,वहीं सूबे की राजधानी लखनऊ में अब मौत भी महंगी हो गई है।बैकुंठ धाम और गुलाला घाट पर अंतिम संस्कार करने के लिए आने वाले परिवारों की शिकायत है कि लखनऊ नगर निगम द्वारा निर्धारित 550 रुपये के मुकाबले चिता के लिए लकड़ी 650-700 रुपये प्रति क्विंटल बेची जा रही है। चिता के लिए लकड़ी बेचने वाला ठेकेदार अंतिम संस्कार के लिए जरूरी 3.6 क्विंटल लकड़ी के लिए 2,520 रुपये की मांग कर रहा है, जबकि बोर्ड पर प्रदर्शित 550 रुपये प्रति क्विंटल की दर से यह लगभग 2,000 रुपये होनी चाहिए।

श्रम और परिवहन के लिए भी भुगतान

लकड़ी की ऊंची कीमत पर सवाल उठाने वालों को कठोरतापूर्वक विद्युत शवदाह गृह जाने को कहा जाता है। बैकुंठ धाम में महाब्राह्मण का कर्तव्य निभाने वाले पंडित नरेंद्र मिश्रा कहते हैं कि प्रत्येक चिता के लिए 3-4 क्विंटल लकड़ी की आवश्यकता होती है। बाजार में लकड़ी की कीमत बढ़ने के कारण ठेकेदारों ने भी कीमत बढ़ा दी है। श्रम और परिवहन के लिए भी भुगतान करना पड़ता है।

लड़की के दाम प्रति क्विंटल 600 रुपये बढ़े

लकड़ी के मूल्य बढ़ोतरी के फैसले का बचाव करते हुए बैकुंठ धाम के एक ठेकेदार कुमार ने कहा कि एलएमसी ने 2010 से दरों में संशोधन नहीं किया है। कुमार ने कहा कि इन वर्षों में लकड़ी और अन्य खर्चे में जबरदस्त वृद्धि हुई है। 2020 में बाजार में लकड़ी की कीमत लगभग 400 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो अब बढ़कर 600 रुपये हो गई है। दिसंबर में हमने एलएमसी अधिकारियों से कीमत संशोधित करने का अनुरोध किया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। ऐसे में नुकसान से बचने के लिए हमने खुद दरें बढ़ाने का फैसला किया।

जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन

नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने कहा कि मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। समिति की रिपोर्ट आने के बाद हम दर तय करने के लिए ठेकेदारों से मिलेंगे। विद्युत शवदाह गृह पारंपरिक श्मशान भूमि से डायवर्जन के मद्देनजर अधिक शवों के अंतिम संस्कार में असमर्थ है। एक पूर्व विधायक ने कहा कि पारंपरिक श्मशान भूमि पर बोझ को कम करने के लिए हमें और अधिक विद्युत शवदाह गृह स्थापित करने की आवश्यकता है। लोग अब विद्युत शवदाहगृह को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।

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