सीएम योगी का जन्मदिन:जनता के सेवक, माफियाओं लिए का काल,ऐसा रहा संन्यास से सियासत का सफर
सीएम योगी का जन्मदिन:जनता के सेवक, माफियाओं लिए का काल,ऐसा रहा संन्यास से सियासत का सफर

05 Jun 2023 |  59



धनंजय सिंह स्वराज सवेरा एडिटर इन चीफ यूपी


लखनऊ।देश की सबसे बड़ी आबादी वाला प्रदेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज 51 साल के हो गए। इस मौके पर सीएम योगी ने गोरखनाथ मंदिर में रुद्राभिषेक कर और पेड़ लगाकर पर्यावरण दिवस पर इस दिन को खास बनाया। 5 जून 1972 में योगी आदित्यनाथ का जन्म हुआ था।योगी आदित्यनाथ का जीवन उतार चढ़ाव से भरा रहा है।पहले संन्यास लिया। फिर जनता की सेवा करने के लिए सियासत का दामन थामा।चाहे धर्म की राह हो या सियासत, योगी आदित्यनाथ ने हमेशा जनता के हित को ही सबसे ऊपर रखा। उत्तर प्रदेश में माफियाराज का खात्मा और जनता को विकास की योजनाओं से सफलता की राह दिखाना, इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए योगी आदित्यनाथ जान से जुटे हैं।

योगी आदित्यनाथ आज 51 साल के हो गए। इन सालों की यात्रा में संघर्ष वाले दिन भी आए और सफलता भी आई। हर परिस्थितियों में समान भाव रखने वाले योगी आदित्यनाथ के अनुभव का ही नतीजा है कि कभी माफियाराज और दंगे का पर्याय बने यूपी को ऐसे लोगों से मुक्ति दिलाने और भयमुक्त वातावरण बनाने में उनका कोई सानी नहीं रहा है।आइए जानते योगी आदित्यनाथ के जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें और पड़ाव।

1994 में महंत अवैद्यानाथ से लिया आशीर्वाद और ले लिया संन्यास

उत्तराखंड के पंचुर गांव 5 जून 1972 का वो दिन था।जब आनंद सिंह बिष्ट के घर एक बच्चे का जन्म हुआ। माता पिता ने नाम रखा अजय सिंह बिष्ट।अजय सिंह बिष्ट आगे चलकर योगी आदित्यनाथ बने। अपने माता-पिता के सात बच्‍चों में योगी आदित्यनाथ शुरू से ही सबसे तेज तर्रार थे। 1992 में जब राम मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलन हुआ,तो योगी आदित्यनाथ इससे काफी प्रभावित हुए। तब योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर में महंत और राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन के अगुवा महंत अवैद्यनाथ का आशीर्वाद प्राप्त मिला और 1994 में सार्वजनिक जीवन त्यागकर संन्यासी हो गए। गुरु से दीक्षा ग्रहण करने के बाद अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गए। 12 सितंबर 2014 को महंत अवैद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठ के महंत घोषित किए गए।

1998 में सिर्फ 26 साल की उम्र में पहली बार बने लोकसभा सांसद

1994 में योगी आदित्यनाथ संन्यासी बने,लेकिन आज जनमानस की सेवा करने का ध्येय मन में बलवती था। इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने सियासत की राह को चुना और 1998 में 26 साल की उम्र में पहली बार लोकसभा सांसद बने। 1998 से योगी आदित्यनाथ गोरखपुर क्षेत्र का लगा​तार प्रतिनिधित्व करते हुए आ रहे हैं।जब मोदी सरकार केंद्र में आई तब 2014 में योगी आदित्यनाथ ने भी चुनाव जीता और पांचवी बार लोकसभा सदस्य बने। दरअसल योगी आदित्यनाथ के गुरु अवैद्यनाथ ने सन 1998 में राजनीति से संन्यास लिया था और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। जहां से योगी आदित्यनाथ के गुरु ने छोड़ा, वहीं से उन्होंने राजनीति की राह पर चलना शुरू किया।

सीएम रहते हुए हर मजहब और तबके का जीता दिल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी की स्थापना की। इसका उद्देश्य हिंदु युवाओं में सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का वातावरण बने। उद्देश्य अच्छा और साफ था,लेकिन योगी आदित्यनाथ पर हिंदुवादी छवि होने का भी आरोप लगा,लेकिन जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो अपने काम और इरादों से जता दिया कि उनके लिए प्रजा में कोई भेद नहीं है। योगी आदित्यनाथ ने अपने काम से हर मजहब और तबके का दिल जीता। यही कारण रहा कि जनता का विश्वास योगी आदित्यनाथ पर बना और 2022 में दोबारा प्रचंड बहुमत के साथ जीतकर सत्ता में आए। योगी आदित्यनाथ अपने दूसरे कार्यकाल में भी जनता की खुशहाली और विकास के लिए कार्य कर रहे हैं।माफियाओं और असामाजिक तत्वों पर हंटर चलाकर आम जनजीवन में भयमुक्त वातावरण बनाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज जनता का पूर्ण विश्वास जीतने में सफल रहे हैं।

योगी के मैजिक के आगे फेल हुए कई मिथक, टूटी परंपराएं

योगी आदित्यनाथ जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे,तो उन्होंने कई परंपराओं और मिथकों को तोड़ा। सबसे पहला मिथक तो यह कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा जाता है, उसकी कुर्सी चली जाती है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 37 साल पुराना यह मिथक भी मुख्यमंत्री बनने के बाद तोड़ा। एक परंपरा यह भी थी कि जो एक बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बन जाता है, वो दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनता,लेकिन योगी आदित्यनाथ ने 2022 का विधानसभा दोबारा प्रचंड बहुमत से जीता और फिर सूबे के मुखिया बने।

ऐसा रहा राजनीति का सफर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 29 जनवरी 2015 से 21 सितम्बर 2017 तक सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया। फिर 2014 में 16वीं लोकसभा (5 वें कार्यकाल) के लिए चुने गए। इस बार योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी की राजमती निषाद को हराया। 2009 में उन्हें 15वीं लोकसभा (4 वें कार्यकाल) के लिए फिर से चुना गया। 31 अगस्त 2009 को योगी आदित्यनाथ ने परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्थायी समिति के सदस्य और गृह मंत्रालय के सलाहकार समिति के सदस्य बने।

2022 के विधानसभा चुनाव में 1 लाख वोट से जीते योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और प्रचंड जीत हासिल की। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहरी क्षेत्र से उन्होंने 1 लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी। इससे पहले 2017 उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया पहली बार उत्तर प्रदेश की कमान संभाली।

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