मुंह के बल भतीजा:कृष्णेन्द्र राय
मुंह के बल भतीजा:कृष्णेन्द्र राय


16 Jun 2021 |  134



मुंह के बल भतीजा:कृष्णेन्द्र राय 



 आखिरकार चाचा ने।



 कर ही दिया खेल।। 



मोह-माया त्याग कर। 



दिया जो ढ़केल।।



 मुंह के बल भतीजा। 



रचा चक्रव्यूह।।



 चाचा को समर्थन। 



देता बड़ा समूह।।



 साम-दाम-दंड-भेद।



 यही राजनीति।। 



सत्ता होती प्यारी। 



रिश्तों से ना प्रीति।। 



अपनों से मतभेद। 



लिया रुप विद्रोह।। 



अनगिनत है चाल। 



ले सकते हैं टोह।।


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