क्या मायावती ने सियासी शंतरज की चली पहली चाल, सतीश चन्द्र मिश्रा को क्यों नहीं मिली स्टार प्रचारकों में जगह: धनंजय सिंह
क्या मायावती ने सियासी शंतरज की चली पहली चाल, सतीश चन्द्र मिश्रा को क्यों नहीं मिली स्टार प्रचारकों में जगह: धनंजय सिंह

10 Jun 2022 |  186



धनंजय सिंह स्वराज सवेरा एडिटर इन चीफ यूपी

लखनऊ।उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ और रामपुर दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होना है।दोनों ही सीटे वीवीआईपी हैं,मगर बहुजन समाज पार्टी ने अपना पूरा फोकस केवल आजमगढ़ पर ही किया हुआ है।बसपा समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को कमजोर करने के लिए आजमगढ़ में मुस्लिम कार्ड पहले ही चल चुकी हैं।

गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी से जारी हुई स्टार प्रचारकों की सूची में बसपा के सबसे कद्दावर नेता सतीश चन्द्र मिश्रा का नाम न होना सबको खटक रहा है। उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव के समय सतीश चन्द्र मिश्रा को लेकर जो सियासी तूफान उठा था उसके बाद अचानक सतीश चन्द्र मिश्रा का कद कम किया जाना सियासी पंडितों को हजम नहीं हो रहा है।बताया गया है कि स्वास्थ्य कारणों से सतीश चन्द्र मिश्रा को लिस्ट में जगह नहीं मिली है,लेकिन सियासी पंडितों की माने तो दलितों और मुसलमानों में पैठ बनाने के लिए बसपा मुखिया मायावती ने सियासी शतरंज की पहली चाल चली है।

उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव के समय सतीश चन्द्र मिश्रा का मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर तूफान उठा था। तब यह कहा जा रहा था कि सतीश चन्द्र मिश्रा ही मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे,लेकिन इस तूफान के बीच मायावती ने खुद आगे आकर इस तूफान को थामने की कोशिश की थी।तब मायावती ने कहा था कि उनका उत्तराधिकारी कोई दलित ही होगा।हालांकि उस समय राजधानी लखनऊ में कुछ जगहों पर सतीश चन्द्र मिश्रा के मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर कुछ पोस्टर भी लगाए गए थे,लेकिन मायावती ने इस विवाद को दबाने की कोशिश की थी। बाद में ये भी आरोप लगाया गया कि सतीश चन्द्र मिश्रा पार्टी में हावी हो गए हैं जिसकी वजह से दलित और मुसलमान वोट बैंक छिटक रहा है।

आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी की स्टार प्रचारकों की लिस्ट में सतीश चन्द्र मिश्रा का नाम नहीं है, जबकि विधानसभा चुनाव के दौरान सतीश चन्द्र मिश्रा बसपा के स्टार कैंपेनर थे और मायावती से अधिक रैलियां सतीश चन्द्र मिश्रा ने की थी।बसपा के कुछ नेताओं का कहना है कि सतीश चन्द्र मिश्रा का वजन हल्का किया गया है ताकि मुस्लिम और दलित समुदाय में एक संदेश जाए। विधानसभा चुनाव के समय ऐसा देखने में आया था कि दलित वोट उसमें भी खासतौर से जाटव वोट बसपा से दूर हो रहा है और वो भाजपा के साथ जुड़ रहा है।जाटव वोट को वापस लाने के लिए मायावती ने यह चाल चली है। उसी तरह मुस्लिमों का भी भरोसा मायावती से उठ गया था। मुस्लिम भी अखिलेश के पाले में चले गए थे। इस कदम के बहाने मायावती जाटव और मुस्लिम समुदायों में एक संदेश देना चाहती हैं कि अब पार्टी में सतीश मिश्रा हॉवी नहीं रहेंगे।

आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी द्वारा घोषित स्टार प्रचारकों की सूची बसपा महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा का नाम गायब है।बसपा ने आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के लिए बुधवार को 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की। इस सूची में बसपा अध्यक्ष मायावती, राज्य इकाई के अध्यक्ष भीम राजभर, पार्टी विधायक उमाशंकर सिंह, जोनल समन्वयक मुनकद अली और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हैं।

सतीश चन्द्र मिश्रा का राज्यसभा सदस्य के रूप में कार्यकाल 4 जुलाई को खत्म हो रहा है। सतीश चन्द्र मिश्रा उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव में बसपा के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया था। सतीश चन्द्र मिश्रा को बसपा का समर्थन करने के लिए ब्राह्मण समुदाय को लामबंद करने का काम सौंपा गया था, लेकिन बसपा सिर्फ एक सीट जीतने में कामयाब रही। नकुल दुबे सतीश चन्द्र मिश्रा के करीबी सहयोगी थे।सूत्रों की माने तो अंदरूनी खींचतान के कारण नकुल दुबे कांग्रेस में शामिल हो गए। बसपा के एक सदस्य ने कहा कि मिश्रा को स्वास्थ्य के आधार पर स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं किया गया।

बसपा नेताओं के मुताबिक आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में जीत के लिए पार्टी ने ओबीसी-दलित और मुस्लिम नेताओं को स्टार प्रचारक के तौर पर शामिल किया है। बसपा ने आजमगढ़ सीट से पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ ​​गुड्डू जमाली को उपचुनाव के लिए उतारा है।सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट को बरकरार रखने के लिए आजमगढ़ लोकसभा सीट खाली कर दी।

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