यूपी के सियासी मैदान से राजा-महाराजा हुए गायब,तीस मार खा ने बनाई दूरी: धनंजय सिंह
यूपी के सियासी मैदान से राजा-महाराजा हुए गायब,तीस मार खा ने बनाई दूरी: धनंजय सिंह

18 Apr 2024 |  130




लखनऊ।लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद सभी राजनीतिक पार्टियां जीन जान से चुनाव प्रचार में जुटी हैं।उत्तर प्रदेश में लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपना प्रत्याशी चुनावी मैदान उतार दिया हैं।इस बार लोकसभा चुनाव में राजघराने के लोग गायब हैं।कई राजनीतिक दिग्गज नेता भी गायब हैं।अमेठी राजघराने से लेकर कालाकांकर, पडरौना, भदावर, रामपुर के नवाब परिवार से भी कोई चुनावी मैदान में नजर नहीं आ रहा है।बिजनौर के साहनपुर रियासत के राजा भारतेंद्र सिंह को टिकट नहीं मिला।कादिर राणा,याकूब कुरैशी,आजम खान,शाहिद अखलाक,रिजवान जहीर,
रमाकांत यादव और गुड्डू पंडित जैसे दिग्गज नेताओं के सियासी कुनबे से कोई चुनावी मैदान में नहीं है।

आजादी के बाद देश की तमाम रियासतों के विलय के बाद तमाम राजा-महाराजाओं ने राजनीति में एंट्री की।राजघराने के लोग विधानसभा और लोकसभा के चुनावी मैदान में उतर कर जीत दर्ज करते रहे हैं,लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश में राजघराने के लोगों को लोकसभा के चुनावी मैदान में उतरने का मौका नहीं मिला।अमेठी के राजा संजय सिंह,पडरौना के कुंवर आरपीएन सिंह,प्रतापगढ़ के कालाकांकर राजघराने की राजकुमारी रत्ना सिंह,जामो के कुंवर अक्षय प्रताप सिंह, भदावर के राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह, रामपुर नवाब परिवार से बेगम नूरबानो,साहनपुर के राजा भारतेंद्र सिंह के चुनावी मैदान में न उतरने से इलाके में सियासी रौनक फीकी पड़ गई है।

यूपी में कई राजनीतिक परिवार के नेता लोकसभा के चुनावी मैदान में नहीं उतरे हैं,जो पिछले तीन दशक से सूबे के मजबूत चेहरे माने जाते थे।या तो खुद ही चुनावी मैदान से बाहर रहने का फैसला किया है या फिर टिकट लेने के लाले पड़ गए हैं। कादिर राणा,याकूब कुरैशी और आजम खान चुनावी मैदान में उतरते रहे हैं,लेकिन इस बार वो चुनावी मैदान में खुद नहीं उतरे हैं।ऐसे में उनके इलाके में भी वैसी सियासी रंगत नहीं है, जैसी उनके चुनावी मैदान में उतरने पर रहती थी।

प्रदेश की सियासत में अमेठी और कालाकांकर राजघराने से इस बार लोकसभा के चुनावी मैदान में कोई नजर नहीं आ रहा है।अमेठी के राजा संजय सिंह कई बार लोकसभा सांसद रहे हैं।संजय सिंह सुल्तानपुर और अमेठी से चुनावी मैदान में जीत दर्ज कर चुके हैं।इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने संजय सिंह को कहीं से भी टिकट नहीं दिया है,जिससे संजय सिंह चुनावी मैदान से बाहर हैं।कालाकांकर राजघराने की राजकुमारी रत्ना सिंह प्रतापगढ़ से कई बार कांग्रेस से सांसद रही हैं।रत्ना सिंह के पिता राजा दिनेश सिंह विदेश मंत्री तक थे। बरहाल रत्ना सिंह भाजपा में हैं।रत्ना सिंह इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है।जबकि रत्ना सिंह प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में थीं।अमेठी राजघराना और कालाकांकर राजघराना पहली बार सियासी मैदान से गायब है।

मांडा राजघराने के विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री थे,लेकिन अब विश्वनाथ प्रताप सिंह के वंशज राजनीति में सक्रिय नहीं हैं।पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के बेटे कुंवर अजेय सिंह फतेहपुर से चुनाव भी लड़े,लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के चुनावी मैदान से पूरी तरह से बाहर हैं।प्रतापगढ़ से राजा अजीत प्रताप सिंह ने 1962 और 1980 में प्रतापगढ़ से लोकसभा चुनाव जीता। अजीत प्रताप सिंह के बेटे अभय प्रताप सिंह ने 1991 में सीट जीती, लेकिन पोते अनिल प्रताप सिंह कई प्रयासों के बाद भी सफल नहीं हुए। इस बार लोकसभा चुनाव में राजा अजीत प्रताप सिंह के परिवार से कोई भी चुनावी मैदान में नहीं है। अमेठी के जामो राजघराने के कुंवर अक्षय प्रताप सिंह प्रतापगढ़ से सांसद रह चुके हैं,लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के मैदान से गायब हैं।

आगरा के भदावर राजघराने के अरिदमन सिंह बाह विधानसभा सीट से छह बार के पूर्व विधायक हैं और प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे हैं। 2009 में फतेहपुर सीकरी लोकसभा से चुनाव लड़ चुके हैं।राजा अरिदमन सिंह की पत्नी रानी पक्षालिका सिंह भाजपा विधायक हैं।इस बार लोकसभा के चुनावी मैदान से राजा अरिदमन सिंह गायब हैं।बिजनौर के साहनपुर राजघराने के राजा भारतेंद्र सिंह बिजनौर लोकसभा सभा से सांसद रह चुके हैं।इस बार भी राजा भारतेंद्र सिंह टिकट की दावेदारी कर रहे थे,लेकिन इस बार बिजनौर लोकसभा आरएलडी के खाते में चली गई।अब राजा भारतेंद्र सिंह चुनावी मैदान से गायब हैं।

प्रदेश की राजनीति में रामपुर नवाब परिवार का दबदबा रहा है।रामपुर नवाब परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोग विधायक से लेकर सांसद तक बने,लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के चुनावी मैदान से गायब हैं।नवाब परिवार की बेगम नूर बानो रामपुर लोकसभा से टिकट की दावेदार थीं,लेकिन रामपुर लोकसभा से सपा ने प्रत्याशी उतारा है,जिससे नूर बानो चुनाव नहीं लड़ पाई हैं।नूर बानो के बेटे नवाब काज़िम अली भी इस बार चुनावी मैदान से गायब हैं।आजादी के बाद पहली बार रामपुर का नवाब परिवार चुनावी मैदान से गायब है।

रामपुर की सियासत में दूसरा नाम आजम खान का आता है।आजम खान नवाब परिवार के विरोध में राजनीति करते रहे हैं। आजम खान विधायक और सांसद रहे हैं।जेल में रहने की वजह इस बार आजम खान लोकसभा के चुनावी मैदान से गायब हैं।आजम परिवार से कोई भी इस बार चुनाव नहीं लड़ रहा है।आपातकाल के बाद से ही आजम परिवार रामपुर में चुनाव लड़ता रहा है,लेकिन कानूनी शिकंजा कसने के बाद आजम परिवार के सियासत पर ग्रहण लग गया।

मुजफ्फरनगर में मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले पूर्व सांसद कादिर राणा पिछले तीन दशक से राजनीति कर रहे हैं। सभासद से सांसद तक का राजनीति सफर करने वाले कादिर राणा सपा से एमएलसी, आरएलडी से विधायक और बसपा से सांसद रह चुके हैं।मुस्लिम समीकरण के दम पर कादिर राणा ने राजनीतिक पहचान स्थापित की और अब सपा में हैं। इस बार कादिर राणा बिजनौर लोकसभा से टिकट मांग रहे थे, लेकिन सपा ने टिकट नहीं दिया। टिकट न मिलने से कादिर राणा भी चुनावी मैदान से गायब हो गए।मेरठ की राजनीति में हाजी याकूब एक बड़ा चेहरा माने जाते हैं और मुस्लिम नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई है।पिछले ढाई दशक से याकूब कुरैशी चुनावी किस्मत आजमाते आ रहे हैं,लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के चुनावी मैदान से गायब हैं।

मेरठ में मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले पूर्व सांसद हाजी शाहिद अखलाक और उनका परिवार से चार दशक के राजनीति के इतिहास में पहली बार कोई भी लोकसभा चुनाव के चुनावी मैदान में नहीं है।शाहिद अखलाक मेयर और सांसद रह चुके हैं।उनके पिता अखलाक कुरैशी मेयर और विधायक तक रहे हैं।शाहिद अखलाक बसपा और सपा दोनों में रहे हैं और दोनों ही पार्टी से जीते हैं,लेकिन इस बार टिकट न मिलने से चुनावी मैदान से गायब हो गए ‌

बुलंदशहर के दिग्गज और बाहुबली नेता भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित और उनके भाई मुकेश शर्मा का सपा की साइकिल पर सवारी करने का दांव सफल नहीं रहा।गुड्डू पंडित को सपा ने किसी लोकसभा से टिकट नहीं दिया और न ही मुकेश शर्मा को।गुड्डू पंडित अलीगढ़ और हाथरस लोकसभा से चुनाव भी लड़ चुके हैं।बुलंदशहर की राजनीति में गुड्डू पंडित अच्छी पकड़ रखते हैं,लेकिन इस बार गुड्डू पंडित को किसी भी पार्टी से टिकट नहीं मिला। रिजवान जहीर बलरामपुर लोकसभा से तीन बार सांसद रहे,लेकिन इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला है।ऐसे में रिजवान जहीर चुनावी मैदान से गायब हैं।

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