लोकसभा चुनाव:यूपी की इन लोकसभा में तीसरे चरण में होगा महासंग्राम,सैफई परिवार के दम की होगी परीक्षा
लोकसभा चुनाव:यूपी की इन लोकसभा में तीसरे चरण में होगा महासंग्राम,सैफई परिवार के दम की होगी परीक्षा

26 Apr 2024 |  37





लखनऊ।उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां तेज हैं। पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को हो चुकी है और आज दूसरे चरण की वोटिंग हो रही है।लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में ब्रज और रुहेलखंड की 10 लोकसभा सीटों पर सात मई को वोटिंग होगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में संभल और मैनपुरी लोकसभा से समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी और आठ सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। मिशन-80 का लक्ष्य साधने में जुटी भाजपा की लिए तीसरा चरण बहुत अहम है।देश के बड़े राजनीतिक घरानों में शुमार सैफई परिवार के लोग चुनावी मैदान में उतरे हैं।इसमें से तीन की परीक्षा तीसरे चरण में होगी।

बरेली लोकसभा

बरेली लोकसभा से आठ बार के सांसद संतोष गंगवार का टिकट काटकर भाजपा ने पूर्व राज्य मंत्री छत्रपाल गंगवार को दिया तो शुरुआत में इसे लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी जरूर थी।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रुहेलखंड में हुईं अपनी जनसभाओं में मंच पर संतोष गंगवार को जगह देकर भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर कर दी है। 2009 में भाजपा के इस मजबूत किले को मामूली जीत के अंतर से ढहाने में कामयाब हुए पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन को सपा ने फिर इसी उम्मीद से मैदान में उतारा है। बरेली लोकसभा में भाजपा और सपा की सीधी लड़ाई है।

संभल लोकसभा

सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के निधन के बाद संभल लोकसभा से उनकी राजनीतिक विरासत संभालने के लिए कुंदरकी के सपा विधायक जियाउर्रहमान मैदान में हैं।सपा ने शफीकुर्रहमान को टिकट दिया था,लेकिन बर्क के निधन के बाद सपा ने उनके पोते को मैदान में उतारा है।मुस्लिम बहुल इस लोकसभा से जियाउर्रहमान के कंधों पर अपने परिवार का वर्चस्व बरकरार रखने का दारोमदार होगा।भाजपा प्रत्याशी पूर्व एमएलसी परमेश्वर लाल सैनी के सामने यहां से भाजपा को 2014 में मिली एकमात्र सफलता को दोहराने के साथ पिछले चुनाव में खुद को मिली हार का हिसाब चुकाने की चुनौती है।बसपा के लिए पिछले दो चुनाव में संभल लोकसभा बंजर ही साबित हुई है।ऐसे में बसपा प्रत्याशी सौलत अली के लिए हाथी की चिंघाड़ कितनी प्रभावी होगी यह समय बताएगा।

फतेहपुर सीकरी लोकसभा

फतेहपुर सीकरी लोकसभा में इस बार चुनाव कौन जीतता है और किसे मतदाता सबसे अधिक मतों के रूप में अपनी दुआएं देंगे यह तो चुनाव नतीजे बताएंगे।बरहाल इस लोकसभा में दिलचस्प मुकाबले का आसार है। 2019के लोकसभा चुनाव में 4.95 लाख वोटों से जीतने वाले जाट बिरादरी के भाजपा सांसद राजकुमार चाहर इस बार फिर फतेहपुर सीकरी से जीत दर्ज करने के लिए मैदान में हैं।बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी राम निवास शर्मा टिकट दिया है।कांग्रेस ने ठाकुर बिरादरी के रामनाथ सिकरवार को उतारा है।फतेहपुर सीकरी के भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल के बेटे रामेश्वर चौधरी ने निर्दलीय पर्चा भरकर लड़ाई को रोमांचक बना दिया है।रामेश्वर चौधरी भी जाट बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं।

मैनपुरी लोकसभा

मैनपुरी लोकसभा सपा का गढ़ है। मैनपुरी से मौजूदा सांसद डिंपल यादव मैदान में हैं।सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी लोकसभा में दिसंबर 2022 में हुए उपचुनाव में सैफई परिवार की राजनीतिक विरासत को डिंपल ने संभाला था।अब डिंपल पर इस विरासत को सहेजने और संजोये रखने की जिम्मेदारी है।सपा मैनपुरी लोकसभा पर 1996 से काबिज है।वहीं अब तक अजेय साबित हुई मैनपुरी लोकसभा में भगवा लहराने के लिए भाजपा ने स्थानीय विधायक और योगी सरकार में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह को मैदान में उतारा है। यादव और शाक्य बिरादरियों की बड़ी आबादी वाली इस लोकसभा में बसपा ने पूर्व विधायक शिव प्रसाद यादव को मैदान में उतारा है।

बदायूं लोकसभा

बदायूं लोकसभा में सैफई परिवार की साख का इम्तिहान होगा।सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पहले बदायूं से चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा था। 2009 और 2014 में बदायूं से धर्मेंद्र यादव ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2019 में चुनाव हार गए थे।अखिलेश ने इस बार फिर धर्मेंद्र को बदायूं के मैदान में उतारा,लेकिन बाद में धर्मेंद्र को आजमगढ़ के चुनावी मैदान उतार कर चाचा शिवपाल सिंह यादव को बदायूं के चुनाव मैदान में उतार दिया। बाद में स्थानीय इकाई की मांग पर अखिलेश ने चाचा शिवपाल की जगह उनके बेटे आदित्य यादव को चुनावी मैदान में उतार दिया।भाजपा ने बदायूं से वर्तमान सांसद संघमित्रा मौर्य की जगह ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य को चुनावी मैदान में उतारा है।बसपा ने मुस्लिम खां को चुनावी मैदान में उतारा है।भाजपा बदायूं में अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए जोर लगाएगी।

आंवला लोकसभा

बरेली की तीन और बदायूं की दो विधानसभा को मिलाकर बनी आंवला लोकसभा से भाजपा सांसद और प्रत्याशी धर्मेन्द्र कश्यप जीत की हैट्रिक लगाने के लिए चुनावी मैदान में हैं। धर्मेंद्र कश्यप का विजय रथ राह रोकने के लिए सपा ने नीरज मौर्य को चुनावी मैदान में उतारा है। धर्मेंद्र कश्यप शाहजहांपुर के जलालाबाद विधानसभा से 2007 और 2012 में बसपा से विधायक रहे हैं।सपा छोड़कर आए आंवला नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष सैयद आबिद अली को बसपा ने आंवला से उतारा है।आंवला में सभी पार्टियां जातियों के जरिये अपने समीकरण बैठाने में लगी हैं।आंवला लोकसभा से कौन जीत दर्ज करेगा चार जून को चुनाव नतीजे आने के बाद ही साफ हो पाएगा।

हाथरस लोकसभा

हाथरस की तीन और अलीगढ़ की दो विधानसभा को मिलाकर बनी हाथरस लोकसभा बाहरी प्रत्याशियों को सुहाती रही है।भाजपा ने हाथरस से सांसद राजवीर सिंह दिलेर की जगह अलीगढ़ की खैर सीट से विधायक और योगी सरकार में राजस्व राज्य मंत्री अनूप वाल्मीकि को चुनावी मैदान में उतारा है।अनूप वाल्मीकि पर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस लोकसभा में भाजपा का कब्जा बरकरार रखने की जिम्मेदारी होगी।बसपा ने साफ्टवेयर इंजीनियर हेमबाबू धनगर और सपा ने जसवीर वाल्मीकि को चुनावी मैदान में उतारा है।सपा और बसपा प्रत्याशी सहारनपुर के हैं।भाजपा काे अपनी केंद्रीय योजनाओं और मोदी-योगी पर भरोसा है तो विपक्ष को अपने समीकरणों का।देखना होगा कि हाथरस में फिर कमल खिलता है या सपा-बसपा अपना खाता खोल पाने में कामयाब होती हैं।

एटा लोकसभा

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे और वर्तमान भाजपा सांसद राजवीर सिंह एटा से जीत की हैट्रिक लगाने के लिए चुनावी मैदान में हैं।राजवीर लोध बिरादरी से हैं।सपा ने शाक्य बिरादरी के देवेश शाक्य को चुनावी मैदान में उतारा है। देवेश शाक्य औरैया से दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। कांग्रेस छोड़कर आए पेशे से वकील मोहम्मद इरफान को बसपा ने चुनावी मैदान में उतार कर चुनाव का तीसरा कोण उभारने की कोशिश की है।बसपा अभी तक एटा लोकसभा से जीत दर्ज नहीं कर सकी है।एटा लोकसभा पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के प्रभाव वाली मानी जाता है,जिसे बरकरार रखने में राजवीर सिंह भी सफल रहे हैं।लोध मतदाता इसकी धुरी हैं।सपा शाक्य बिरादरी को साथ लेते हुए मुस्लिमों के साथ अपना समीकरण इस चुनाव में देख रही है।

आगरा लोकसभा

ताज नगरी आगरा का ताज किसके सिर पर सजेगा यह भी बड़ा दिलचस्प होगा। अगर विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों पर नजर डालें तो केंद्रीय राज्य मंत्री और मौजूदा सांसद एसपी सिंह बघेल अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी फिर चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। बसपा ने कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य रहीं सत्या बहन की बेटी पूजा अमरोही को चुनावी मैदान में उतारा है। सपा ने पुराने बसपाई रहे जूता कारोबारी सुरेश चंद कर्दम को चुनावी मैदान में उतारा है। बघेल पर अपना दबदबा बराकरार रखने तो सुरेश चंद कर्दम पर सपा के लिए पिछले तीन लोकसभा चुनाव में इस लोकसभा में पड़ा सूखा खत्म करने की चुनौती है।पूजा अमरोही को बसपा का खाता खोलने की चुनौती होगी। मोहब्बत की नगरी आगरा चुनाव में किस पर प्रेम वर्षा करेगी इस पर निगाहें लगी हैं।

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