सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई हुई
सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई हुई

01 Oct 2024 |  34





न‌ई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बुलडोजर एक्शन के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने साफ तौर पर कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और इस प्रकार की कार्रवाई करना संवैधानिक रूप से गलत है।पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाते हुए कहा था कि सिर्फ सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण को हटाने की ही छूट होगी।इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से भी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे।


कोर्ट ने पूछे ये सवाल


सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मामले में सवाल किया कि क्या सिर्फ इसलिए कि किसी व्यक्ति को किसी अपराध में दोषी ठहराया गया है,क्या इसके आधार पर उसके घर पर बुलडोजर चलाया जा सकता है।इस पर तुषार मेहता ने कहा कि नहीं,यहां तक कि हत्या,रेप और आतंक के केस के आधार पर भी नहीं।जस्टिस गवई ने कहा कि चाहे मंदिर हो,दरगाह हो,उसे जाना ही होगा,क्योंकि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है।जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने आरोप लगाया है कि अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है और सरकार को आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने से रोका जाना चाहिए।


बुलडोजर एक्शन में आया ये जवाब


सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जानकारी दी कि बुलडोजर की कार्रवाई से 10 दिन पहले नोटिस जारी किया गया था। उन्होंने कहा कि अधिकतर चिंताओं को ध्यान में रखा जाएगा और केवल इस आधार पर कि किसी व्यक्ति पर किसी अपराध में शामिल होने का आरोप है, उसे बुलडोजर कार्रवाई का पात्र नहीं बनाया जा सकता।तुषार मेहता ने यह भी स्पष्ट किया कि संबंधित नगरपालिका कानूनों के तहत नोटिस जारी करने का प्रावधान है।उन्होंने यह भी बताया कि नोटिस विशेष उल्लंघनों तक ही सीमित होना चाहिए, जोकि लागू किये जा रहे कानूनों के दायरे में आते हैं।


कोर्ट ने ये स्पष्ट किया


सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सिर्फ किसी आपराधिक मामले में आरोपी होना संपत्ति तोड़ने का आधार नहीं हो सकता।जस्टिस गवई ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं और हमारे निर्देश पूरे भारत में लागू होंगे।इस पर तुषार मेहता ने कहा कि ऐसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ बुलडोजर मामले बहुत कम होंगे, ये मामले दो फीसदी होंगे।वहीं सुनवाई के दौरान जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि इस कार्रवाई से महिलाओं, वृद्धों और बच्चों का सड़क पर देखना अच्छा नहीं लगता है।यदि उनको समय मिले तो वे वैकल्पिक व्यवस्था कर सकते हैं।

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