अकबर नगर में चला बुलडोजर,केस की सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने क्‍यों क‍िया द‍िल्‍ली का ज‍िक्र,कहा-डीडीए को नहीं पता उसका 70 फीसदी जमीन कहां
अकबर नगर में चला बुलडोजर,केस की सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने क्‍यों क‍िया द‍िल्‍ली का ज‍िक्र,कहा-डीडीए को नहीं पता उसका 70 फीसदी जमीन कहां

01 Mar 2024 |  73





नई दिल्ली।यह देखते हुए कि शहरीकरण नीतियों में खामियां हैं।सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अनधिकृत निर्माण में वृद्धि का एक मुख्य कारण लोगों को किफायती घर उपलब्ध कराने में सरकार की विफलता है।यह स्वीकार करते हुए कहा क‍ि सिर पर छत पाने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की आवश्यकताओं और सरकार जमीनी स्तर पर क्या कर रही है। दोनों के बीच नीतियों में बहुत बड़ा अंतर है।

जस्‍ट‍िस संजीव खन्ना और जस्‍ट‍िस दीपांकर दत्ता की पीठ की टिप्पणियां उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अकबर नगर में वाणिज्यिक और आवासीय इकाइयों के विध्वंस से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान आईं,जहां उन्होंने विध्वंस पर अंतरिम रोक लगा दी।पीठ ने कहा क‍ि हमें आवास पर स्पष्ट होना चाहिए,एक कठिनाई है,हमारी शहरीकरण नीतियों में खामियां हैं, वास्तव में हमने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए प्रावधान नहीं किया है,कहीं न कहीं हमें यह सुनिश्चित करना होगा,हर कोई जानता है कि शहरों की ओर प्रवास होता है, लेकिन वहां नीतियों में आवश्यकताओं और हम जमीनी स्तर पर क्या करने में सक्षम हैं के बीच एक बड़ा अंतर है।

पीठ ने कहा क‍ि दिल्ली में इतनी सारी अनधिकृत कॉलोनियां क्यों हैं, क्योंकि डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) को यह भी नहीं पता कि 60-70 फीसदी जमीन कहां है,सभी का अधिग्रहण कर लिया गया है।सुप्रीम कोर्ट ने 27 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा कब्जेदारों की याचिका खारिज करने के बाद लखनऊ के अकबर नगर में वाणिज्यिक स्थानों के विध्वंस को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील एस मुरलीधर और शोएब आलम ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद 27 फरवरी को विध्वंस शुरू हुआ।व्यावसायिक स्थानों के साथ-साथ आवासीय घरों को भी ध्वस्त किया जा रहा है।यूपी सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि नदी के किनारे सरकारी भूमि पर बने आवासीय मकानों को ध्वस्त करने से संबंधित मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन है और फैसला सुरक्षित रखा गया है।

एएसजी ने कहा कि कब्जाधारियों ने बिना लाइसेंस या अनुमति के नदी तट पर सभी प्रकार के अवैध व्यावसायिक निर्माण किए।दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा क‍ि फैसला सुनाए जाने तक लखनऊ विकास प्राधिकरण/राज्य सरकार विध्वंस नहीं करेगी।वे हाईकोर्ट के आदेश का पालन करेंगे।

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