
नई दिल्ली।जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पहाड़ी वादियों की खूबसूरती में छुपी पाकिस्तानी आतंकियों की खौफनाक साजिश अब धीरे-धीरे बेनकाब हो रही है।देश के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को जिन आतंकियों ने 26 पर्यटकों की हत्या की थी,अब उसकी परतें खुलने लगी हैं।जांच में पता चला है कि 15 अप्रैल को पाकिस्तानी आतंकी यहां पहुंचे और सात दिन के अंदर रेकी की।
अल्ट्रा स्टेट कम्युनिकेशन का इस्तेमाल
अब तक की जांच में जो तथ्य सामने आए हैं,वो एक बहुत ही सुनियोजित और हाई-टेक आतंकी हमले की ओर इशारा कर रही हैं।आतंकी हमले की जांच की कमान संभाल रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी के डीजी खुद गुरुवार को बैसरन घाटी पहुंचे।एनआईए की तकनीकी जांच में यह साफ हो चुका है कि बैसरन में तीन आतंकी अल्ट्रा स्टेट कम्युनिकेशन नाम की एक विशेष संचार प्रणाली का इस्तेमाल कर रहे थे,जो अत्याधुनिक एनक्रिप्टेड नेटवर्क पर आधारित है,यह प्रणाली बेहद सीमित सिग्नल पर काम करती है और लोकेशन ट्रेसिंग को भी मिसलीड कर देती है।एजेंसियों ने पहलगाम क्षेत्र में दो संदिग्ध सिग्नल भी ट्रेस किए हैं।माना जा रहा है कि इसी के जरिए आतंकी आपस में बात कर रहे थे।
तीन जगहों की रेकी
बताया जा रहा है कि आतंकियों ने तीन ऐसे जगहों की रेकी की जहां पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है।एक आतंकी ने पहलगाम के एम्यूजमेंट पार्क की रेकी की थी।यहां सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी होने से इसे टाल दिया गया था।जांच के लिए एजेंसियों ने थ्री-डी मैपिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर घटनास्थल का वर्चुअल नक्शा भी तैयार किया।
हो सकती हैं कुछ गिरफ्तारियां
यह इलाका पहाड़ी है और कई स्थानों पर सीसीटीवी नेटवर्क नहीं है,जिसकी वजह से जांच को शुरू में मुश्किलें आईं,लेकिन कुछ चश्मदीद,घटना में बचे लोगों के बयान से एजेंसियों को बड़ी मदद मिली है।एनआईए की शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि ये इस पूरे ऑपरेशन में लोकल मददगार भी शामिल हो सकते हैं,जिनकी तलाश अब तेज हो गई है,जल्द ही कुछ गिरफ्तारियां भी संभव हैं।बैसरन घाटी अब पूरी तरह सीआरपीएफ और अन्य सुरक्षा बलों के नियंत्रण में है।आम नागरिकों की आवागमन फिलहाल बंद है और एनआईए के डीजी खुद बैसरन में समीक्षा कर रहे हैं।
आतंकियों की थी ये प्लानिंग
सूत्रों के मुताबिक 22 अप्रैल को एक आतंकवादी एग्जिट गेट से पार्क में घुसता है और अंधाधुंध फायरिंग करने लगता है।ये आतंकियों की प्लानिंग का हिस्सा था।एग्जिट गेट पर फायरिंग होती है तो सभी भागने के लिए एंट्री गेट की तरफ जाते हैं और वहां दो आतंकी थे,उसके बाद सभी को इकट्ठा कर लिया जाता है।आतंकी सबसे पहले भीड़ से कहते हैं कि पुरुष और महिलाएं अलग-अलग हो जाए,लेकिन लोग इस बात को नहीं मानते हैं,उसके बाद आतंकी कहते है की हिंदू और मुसलमान अलग-अलग हो जाए,लेकिन लोग फिर भी नहीं मानते है। इसके बाद कलमा पढ़वा कर एक-एक को चुन चुन कर आतंकी मार देते हैं।मौके से जो कारतूस के खोखे मिले है उनको एनआईए ने फोरेंसिक एक्जामिनेशन के लिए भेज दिया है,लेकिन अब तक की जांच में यही सामने आया है कि तीन आतंकियों ने ही इस नरसंहार को अंजाम दिया था।
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