कानपुर।उत्तर प्रदेश के कानपुर के सबसे बड़े प्रशासनिक विवाद में लखनऊ शासन को भी बैकफुट पर आना पड़ा। बुधवार को जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी की कुर्सी एक बार फिर पसोपेश में फंस गई।सीएमओ की कुर्सी विवाद में शासन ने डाॅ. नेमी और डाॅ. उदयनाथ के आदेश स्थगित कर दिए हैं।दोपहर लगभग 12 बजे शासन की ओर से दो पत्र जारी किए गए। पहले पत्र में शासन ने हाईकोर्ट पहुंचे तत्कालीन सीएमओ डाॅ. हरिदत्त नेमी के निलंबन के आदेश को स्थगित किया गया और दूसरे पत्र में वर्तमान सीएमओ डाॅ. उदयनाथ को अग्रिम आदेशों तक पूर्व की भांति अपर मुख्य चिकित्साधिकारी श्रावस्ती के पद पर तैनात रहने का निर्देश जारी किया गया।
शासन का पत्र मिलते ही सीएमओ डाॅ. उदय नाथ डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह से मिलने पहुंचे।सर्किट हाउस से सीधे श्रावस्ती के लिए रवाना हो गए। बुधवार दोपहर बाद से ही रामादेवी स्थित सीएमओ कार्यालय में एक बार फिर गुटबाजी शुरू हो गई।सीएमओ नेमी गुट के कर्मचारियों के चेहरे खिले दिखे। जबकि सीएमओ उदयनाथ गुट के लोग अपने-अपने कक्ष में काम करते रहे।देर रात तक सीएमओ हरिदत्त नेमी के शहर आने और कुर्सी पर काबिज होने की चर्चा चलती रही। हालांकि उनके करीबियों ने बताया कि सीएमओ नेमी गुरुवार को शहर आकर कुर्सी फिर से संभालेंगे।
19 जून को डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह की जांच रिपोर्ट के आधार पर निलंबित हुए तत्कालीन सीएमओ हरिदत्त नेमी को महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं लखनऊ कार्यालय से संबद्ध कर दिया था,उनके स्थान पर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी श्रावस्ती के पद पर तैनात डाॅक्टर उदय नाथ को कानपुर का नया सीएमओ बनाया गया था। इसके बाद हाईकोर्ट से स्थगन के आदेश लेकर 10 जुलाई को सीएमओ नेमी सीएमओ की कुर्सी पर काबिज हो गए थे, जो करीब 30 घंटे की मशक्कत के बाद सीएमओ की कुर्सी से हटे थे।
अब बुधवार को शासन ने पत्र जारी करते सीएमओ उदय नाथ को फिर से श्रावस्ती अपर मुख्य चिकित्साधिकारी का कार्यभार संभालने और तत्कालीन सीएमओ हरिदत्त नेमी के निलंबन के आदेश को स्थगित करने का पत्र जारी किया। शासन की ओर से जारी हुए पत्र में जिले का सीएमओ कौन होगा, इस संशय की स्थिति अभी भी बनी हुई है।
डाॅक्टर हरिदत्त नेमी ने 14 दिसंबर 2024 को सीएमओ का कार्यभार संभाला था। इसके बाद 18 जनवरी 2025 को नए डीएम बने जितेन्द्र प्रताप सिंह। डीएम ने अस्पतालों का निरीक्षण शुरू किया तो कई कमियां मिलीं, कमर्चारी अनुपस्थित मिले थे। डीएम ने सीएमओ को कार्रवाई के लिए कहा, जिसे सीएमओ ने टाल दिया। डीएम की जांच में सामने आया कि सीएमओ ने चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी की,आयुष परीक्षा में मनमानी की। वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी को वित्तीय परीक्षण व पदेन कार्यों से हटाते हुए उनके स्थान पर गैर वित्त सेवा के अधिकारी से कार्य लिए जाने के साथ ही अन्य कई आरोप लगे थे।
इन कमियों को आधार बनाकर डीएम ने शासन को पत्र भेज दिया था। शासन ने 19 जून को सीएमओ को निलंबित कर महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं लखनऊ कार्यालय से संबद्ध कर दिया। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी श्रावस्ती के पद पर तैनात डा. उदय नाथ को कानपुर का सीएमओ बनाया गया। कार्रवाई के बाद सीएमओ हरिदत्त ने प्रेस कान्फ्रेंस बुलाई और डीएम व अपने कार्यालय के कई अधिकारियों पर आरोप लगाए और कोर्ट जाने की बात कही। मंगलवार को हाई कोर्ट ने उनके निलंबन पर रोक लगा दी।