माफिया मुख्तार अंसारी को जब पहली बार योगी आदित्यनाथ ने दी थी चुनौती
माफिया मुख्तार अंसारी को जब पहली बार योगी आदित्यनाथ ने दी थी चुनौती

28 Mar 2024 |  48



धनंजय सिंह एडिटर इन चीफ यूपी


लखनऊ।पूर्वांचल में जब माफिया मुख्तार अंसारी का खौफ लोगों में था,सरकारें मौन थीं।तब गोरखपुर गोरक्षपीठ के एक सन्यासी ने माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ आवाज उठानी शुरू की।वो सन्यासी कोई और नहीं गोरक्षपीठाधीश्वर और मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं।योगी आदित्यनाथ उस समय सांसद होते हुए माफिया मुख्तार अंसारी के साम्राज्य में चुनौती दी थी।पढ़ें स्पेशल रिपोर्ट।

पूर्वांचल में लोगों को आज भी वो दिन याद है जब माफिया मुख्तार अंसारी का काफिला सड़क से गुजरता था तो किसी की क्या मजाल जो उसके काफिले के बीच आ जाए।एक लाइन से 786 नंबर की 20 से 30 गाड़ियां गुजरती थीं। मुख्‍तार अंसारी जब चलता तो बॉडीगार्ड और अपने गैंग के बीच सबसे लंबा दिखाई देता था,लेकिन समय ने ऐसी करवट ली कि अब मुख्तार अंसारी व्‍हीलचेयर पर आ चुका है और अब बांदा जेल में बंद है।मऊ,गाजीपुर,वाराणसी,आजमगढ़ सहित पूर्वांचल कई जिलों में मुख्तार अंसारी ने आतंक मचा रखा था।योगी आदित्यनाथ मुख्तार अंसारी के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे।

2005 के मऊ दंगे में पीड़ितों को न्याय दिलाने की योगी ने ली थी कसम

पहली बार माफिया मुख्तार अंसारी और योगी आदित्यनाथ का आमना-सामना तब हुआ जब 2005 में मऊ में भीषण दंगा हो गया।मुख्तार अंसारी वहां पर हथियारों को लहराते हुए खुली जीप में घूम रहा था।जब दंगा पीड़ितों को न्याय नहीं मिला तो उस समय सांसद योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी को चुनौती दी थी और कहा था कि वह मऊ दंगे के पीड़ितों को न्याय दिला कर रहेंगे।

योगी का काफिला रोका गया मऊ बॉर्डर

2006 में योगी आदित्यनाथ गोरखक्षनाथ मंदिर से मऊ के लिए 10 से 12 गाड़ियों के काफिले के साथ निकल पड़े। गोरखपुर से 30 किलोमीटर तक योगी आदित्यनाथ के पहुंचते-पहुंचते 150 गाड़ियों का काफिला हो गया। योगी आदित्यनाथ धीरे-धीरे मऊ की तरफ बढ़े।तब न तो यूपी में भाजपा की सरकार थी और न ही कोई पैठ थी।योगी आदित्‍यनाथ को गोरखपुर और मऊ के बार्डर दोहरीघाट में ही रोक दिया गया था,जिसके बाद योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर वापस लौटना पड़ा।आरोप लगे कि ये सब सरकारों के संरक्षण में मुख्तार अंसारी तुष्टिकरण का खेल खेल रहा था।

आजमगढ़ में 2008 में योगी के काफिले पर हुआ हमला

मऊ दंगों के तीन साल बाद 2008 में योगी आदित्‍यनाथ ने माफिया मुख्‍तार अंसारी को फिर ललकारा।योगी आदित्‍यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी के नेतृत्व में ऐलान किया कि वह आजमगढ़ में आतंकवाद के खिलाफ रैली निकालेंगे। तय तारीख के मुताबिक सात सितंबर 2008 को डीएवी डिग्री कॉलेज के मैदान में रैली का आयोजन किया गया।इसमें मुख्‍य वक्‍ता योगी आदित्‍यनाथ थे।रैली की सुबह गोरखनाथ मंदिर से योगी आदित्यनाथ का काफिला निकला।आजमगढ़ पहुंचते-पहुंचते इस काफिले में 200 से अधिक गाड़ियां हो गयी।

योगी आदित्यनाथ का काफिला जब निकला तो सैकड़ों गाड़ियां पीछे थीं।कई सौ मोटरसाइकिलों पर सवार लोग योगी-योगी के नारे लगा रहे थे।योगी आदित्यनाथ काफिले में सातवें नंबर की लाल एसयूवी में बैठे थे।तभी एक पत्थर योगी आदित्यनाथ की गाड़ी पर आकर लगा।काफिले पर हमला हो चुका था और ये हमला सुनियोजित था।उस समय योगी आदित्यनाथ ने ये संकेत दे दिया कि हमला मुख्‍तार अंसारी ने करवाया है।योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि काफिले पर लगातार एक पक्ष से गोलियां चल रही थीं, गाड़ियों को तोड़ा जा रहा था पुलिस मौन बनी रही।

तुष्टीकरण के खिलाफ हमेशा खड़े रहे योगी

बता दें कि योगी आदित्यनाथ हमेशा तुष्टीकरण के खिलाफ खड़े रहे। माफिया मुख्तार अंसारी जैसे लोग तुष्टीकरण की पैदाइश हैं। मऊ दंगों के समय मुख्तार अंसारी को तत्कालीन सरकार का सरंक्षण प्राप्त था।कानून में विश्वास के कारण ही सरकार के संरक्षण के बाद भी मुख्तार अंसारी को योगी आदित्यनाथ ने चुनौती दी थी।अन्याय के खिलाफ गोरक्षपीठ हमेशा आवाज उठाती रही है। गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वरों ने हमेसा समाज के कल्याण का काम किया है। गोरक्षपीठ पीठ के पीठाधीश्वरों ने अंग्रेजों से लोहा लिया है तो राम मंदिर निर्माण के लिए जेल भी गए,लेकिन न्याय के लिए कभी नहीं डिगे और उसी परम्परा को योगी आदित्यनाथ ने भी आगे बढ़ाया।जब योगी आदित्यनाथ सांसद थे,तब भी नहीं झुके और आज जब मुख्यमंत्री हैं तब भी माफियाओं को कानून का ही पाठ पढ़ा रहे हैं।

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