भाजपा की चारों जिला पंचायत सीटों पर जमानत जब्त,एक प्रत्याशी ने मुश्किल से जीत दर्ज कर बचाई लाज
भाजपा की चारों जिला पंचायत सीटों पर जमानत जब्त,एक प्रत्याशी ने मुश्किल से जीत दर्ज कर बचाई लाज


05 May 2021 |  215



ब्यूरो सुनील कुमार पाण्डेय 



 अयोध्या।सत्ताधारी पार्टी भाजपा के जिले की विकास खंड तारुन की चार सीटों पर एक भी प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए।दो सीटों पर सपा प्रत्याशी और एक पर बसपा ने जीत का परचम लहराया है।एक सीट पर सत्ताधारी पार्टी के प्रत्याशी ने किसी तरह जीत का सेहरा अपने नाम कर पाए। तारुन प्रथम से सपा प्रत्याशी सियाराम निषाद ने निषाद पार्टी के दिग्विजय सिंह को 2099 मतों से हराया। सियाराम निषाद को 7162 मतदाताओं का समर्थन मिला जबकि दिग्विजय सिंह को 5062 मत मिले।इस सीट पर कुल 11 प्रत्यशी मैदान में थे। भाजपा से लड़े शिव कुमार निषाद कुल पड़े वोटों का 8.1 प्रतिशत मत प्राप्त कर अपनी जमानत नहीं बचा पाये और पांचवे स्थान पर पहुच गए। जबकि भाजपा से बागी प्रत्याशी रहे राम अरज वर्मा 2338 मत प्राप्त कर उनसे मात्र 19 मत पीछे रहे। तारुन दृतिय से कुल 24 उम्मीदवारों ने ताल ठोकी थी। यहां से बसपा प्रत्याशी हरिश्चंद्र निषाद ने 198 मतों से सौरभ यादव को शिकस्त तो दे दी परन्तु मात्र 12.95 प्रतिशत मत ही प्राप्त होने से इनकी भी जमानत जब्त हो गयी। इस सीट पर लड़े सभी 24 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी। तारुन तृतीय से 14 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाया था।परंतु एक भी जमानत नहीं बचा सके। यहां से 23 साल के युवा भजपा नेता उदित अग्रहरि ने बड़ी मुश्किल से 18.96%मत प्राप्त कर जीत का सेहरा तो बाँध लिया, परन्तु जमानत बचाने में सफल नही हो पाए। तारुन चतुर्थ सपा प्रत्याशी रहे लोक गायक राम स्वरूप फैजाबादी की पत्नी अनीता ने रिकार्ड 15489 मत प्राप्त कर यहां से लड़े अन्य सभी 5 उम्मीदवारों की जमानत जब्त करवा दी। इसी के साथ जिले में सबसे अधिक मतों के अंतर से जितने वाले प्रत्याशी बनी। इन्होंने अपने निकटम प्रतिद्वंद्वी मीरा देवी को लगभग 11 हजार मतों से पराजित किया। भाजपा प्रत्याशी रही वन्दना यादव को कुल पड़े मतों का 14.76% मत ही प्राप्त हुआ। जानकर बताते हैं कि जिला पंचायत चुनाव के परिणाम भाजपा के गलत टिकट वितरण नीति और जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को मानते हैं। राजनैतिक पण्डित बताते हैं कि भाजपा को उसकी गलत नीतियों और बागी प्रत्याशियों ने हराया है। हालांकि इसे भाजपा को आगामी चुनावों के लिए खतरे की घण्टी समझना चाहिए।


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