विश्व दुग्ध दिवस: बढ़ती हुई गर्मी के बीच घट रहा दुग्ध उत्पादन, मिलावटखोरों की पौबारह
विश्व दुग्ध दिवस:बढ़ती हुई गर्मी के बीच घट रहा दुग्ध उत्पादन,मिलावटखोरों की पौबारह


01 Jun 2022 |  369



शुभम कुमार की खास रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है,वही ये प्रदेश दुग्ध उत्पादन में नम्बर एक पर आता है,लेकिन इस बढ़ती हुई गर्मी के बीच मे जहां पर पारा 45 डिग्री तक पहुंच चुका है। इस बढ़ती हुई किल्लत के बीच में मिलावटखोर भी लोगों के साथ मे खिलवाड़ करने में जुट गए है। वहीं हम पूरे उत्तर प्रदेश की बात करें तो सन 2016-2017 में 277.697 लाख मीट्रिक टन दुग्ध उत्पादन था। 2019-2020 में 318.630 लाख मीट्रिक टन था। जानकारों का कहना है 2025 तक ये उत्पादन 270 मिलियन मीट्रिक टन हो गया।

आज हम आपके लिए एक कहानी और आंकड़े लेकर आए है।उत्तर प्रदेश के एटा जिले से जहां पर लगभग एक लाख लीटर दूध की किल्लत चल रही है।जिले में पारा 45 डिग्री से ऊपर उछाल मार चुका है।इस भीषण गर्मी ने लोगों के साथ-साथ दुधारू पशुओं को भी प्रभावित किया है।गर्मी से जिले में दूध उत्पादन प्रभावित होने से किल्लत बढ़ती जा रही है।जिले में लगभग 30% दुग्ध उत्पादन में गिरावट आई है।जिसके बाद में पशुपालकों ने दूध के दाम बढ़ा दिए हैं।दूध की कीमतें 60 रु से 65 रु प्रति लीटर के हिसाब से चल रही है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रो में भी शहरी कीमत में दूध मिल पा रहा है।

भीषण गर्मी के बीच मे पशुओं का दूध उत्पादन काफी कम हो जाता है।इस समय जिले में कुल 240609 दुधारू गाय और भैंस है, वहीं दो महीने पहले तक इन पशुओं से लगभग 2.25 लीटर दूध प्रतिदिन प्राप्त हो रहा था,लेकिन अप्रैल और मई में दुधारू पशुओं में लगातार दूध की कमी आई है।वर्तमान में दुग्ध उत्पादन की बात करें तो 1.65 लाख लीटर में रह गया है।ऐसी स्थिति में दूध की मांग पूरी करने में तमाम मुश्किलें आ रही है। तमाम पशुपालक इस किल्लत का फायदा भी उठा रहे हैं वहीं दूध के दाम 5 रू से 10 रू तक बढ़ गए हैं। पहले जहां दूध 50 रु से 55 रु प्रति लीटर मिल रहा था, वहीं अब यह कीमत 60 रु से 65 रु प्रति लीटर तक पहुंच गईं है।पशुपालक सोनू चौहान,रामगोविंद,रामकिशोर बघेल का कहना है कि दूध उत्पादन में कमी आई है, जबकि पशुपालन में लगातार खर्चा बढ़ता जा रहा है,भूसे की कीमत पिछले दिनों से आसमान को छू रही थी।ऐसे में दूध के दाम बढ़ाना बहुत आवश्यक था,रामकुमार ने आंकड़े को समझाते हुए बताया।

आंकड़ो में-एक दुधारू पशु का एक दिन का खर्चा

1पशु- 5+5+5=15KG
भूसे की कीमत-18₹प्रति किग्रा
चोकर की कीमत-25₹ प्रति किग्रा
(एक पशु एक दिन में 2किग्रा तक चोकर और 15 किग्रा तक भूसा का सेवन करता है।जिसकी अनुमानित लागत 320₹ प्रतिदिन आती है)

डेरियो पर भी कम पहुंच रहा है दूध

दूध की कमी के चलते हुए मध्य चिल्लर तथा डेयरी पर भी दूध की आवक कम हो रही है।यहां भी मूल्य बढ़ाए गए हैं,लेकिन खुदरा दूध की महंगा बिकने के कारण है या दूध की आवक कम हुई है। डेयरी संचालक श्याम चरण बताते हैं 40 प्रतिशत तक दूध आना कम हुआ है।

दूध की किल्लत के बीच में मिलावटखोर हुए तैयार

दूध की कमी को देखते हुए मिलावट खोर भी बाजारों में मिलावटी दूध खफा रहे हैं, दूध उत्पादन से सामान्य जीवन में मांग की पूर्ति नहीं हो पा रही है। जबकि इन दिनों में वैवाहिक कार्यक्रमों में दूध और दूध से होने वाले उत्पादन की मांग बढ़ गई है।

इसलिए घट रहा है दूध का उत्पादन

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एसपी सिंह ने बताया कि गर्मी के मौसम में हरे चारे की कमी हो जाती है,जिसके अभाव के चलते हुए दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन घट जाता है।इसके अभाव में पशुओं में दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है। वहीं शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने में पशुओं की ऊर्जा नष्ट होती है,जिसका असर दुग्ध उत्पादन पर पड़ता है।

समझिये जनपद में दुधारू पशुओं के आंकड़े एक नजर में

जिले में कुल दुधारू पशु (गाय/भैंस)-240609
गौवंश-809077
गायों की संख्या-145801
दुधारू गाय-52975
महिष वंश की संख्या-663276
दुधारू भैंस-187634
जिले में दूध की मांग-2.75 लाख लीटर
वर्तमान में आपूर्ति हो पा रहा दूध-1.65 लाख लीटर

आपको बता दें कि दुनिया भर में 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस यानी वर्ल्ड मिल्क डे मनाया जाता है। स्वास्थ्य के लिए दूध कितना महत्व रखता है और ये हमारी डाइट का कितना जरूरी हिस्सा है। इस बात को समझाने और दूध को डाइट में शामिल करने के लिए जागरुक करने के उद्देश्य से इस दिन को मनाया जाता है।विश्व दुग्ध दिवस की शुरुआत 2001 में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई थी।इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र के विभाग खाद्य और कृषि संगठन द्वारा की गई थी।

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