आस्था की सुनामी अयोध्या में शांत,शीतल, रामलला के द्वार पर उमड़ रहा जनसैलाब
आस्था की सुनामी अयोध्या में शांत,शीतल, रामलला के द्वार पर उमड़ रहा जनसैलाब

26 Jan 2024 |  93





अयोध्या। रामलला के द्वार पर आस्था की सुनामी आई है।इस आस्था की सुनामी में देश-विदेश के लोग शामिल हैं,लेकिन रामनगरी अयोध्या शांत और शीतल है। 500 सालों बाद अपनी इच्छा पूरी होने बाद भी रामलला को जीभर निहारने की अभिलाषा में रामनगरी के लोगों ने अपूर्व धैर्य का परचम लहराया है।

रामनगरी के लोगों के मन में दर्शन की करने की अभिलाषा बहुत है,लेकिन उनको पता है कि उनके रामलला कहीं नहीं जाएंगे।अपनी लालसा के ज्वार पर धीरज का जबरदस्त बांध बनाया है,ताकि बाहर से आने वाले लोगों को रामलला का सुखद दर्शन हो सके।भव्य महल में विराजे रामलला को जी भर के निराहने की जितनी ललक देशवासियों को है उतनी ही ललक सात समंदर पार मारीशस, थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका, सिंगापुर, लाओस सहित विश्व के अन्य देशों के लोगों में भी है।विदेशियों के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों से जनसैलाब रामनगरी में उमड़ रहा है।रामलला की प्राण प्रतिष्ठा सोमवार को हुई। मंगलवार को पांच लाख और बुधवार को तीन लाख से ज्यादा लोगों रामलला का दर्शन कर चुके हैं,लेकिन इनमें अयोध्या और आसपास के जिलों के लोग बहुत कम हैं।रामनगरी के लोग इससे भी आह्लादित-पुलकित है कि रामनगरी में अभूतपूर्व उत्साह और उल्लास है।

रामघाट के रहने वाले अरविंद शुक्ल का कहना है कि हम सभी अयोध्या में रामनवमी,सावन झूला मेले में उल्लास के साक्षी बनते हैं। सदियों बाद यह सुखद सुअवसर आया है। भगवान श्रीराम लला निजधाम में शोभायमान-विराजमान हुए हैं।उन्हें निकट से निहारने की तीव्र इच्छा हम सभी में है, परंतु हम चाहते हैं कि जो बाहर के लोग आए हैं वे आसानी से प्रभु का वंदन कर सकें। मेरी पत्नी व बच्चे नहीं मान रहे। वे कह रहे किसी भी तरह दर्शन करके आते हैं। मैंने उन्हें समझाया कि इतनी प्रतीक्षा की है, थोड़ी और सही। कुछ दिन बाद आस्था का ज्वार थोड़ा थम जाएग, फिर हम भी बालकराम को देखकर धन्य हो लेंगे।

रामघाट के लक्ष्मीकांत मिश्र का परिवार भी रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के दर्शन के लिए व्याकुल है,लेकिन लक्ष्मीकांत मिश्र भी भक्तों की भीड़ नियंत्रित होने तक धैर्यवान बने हैं। लक्ष्मीकांत कहते हैं कि आस्था का मेला 1990 जैसा है, परंतु इसके भाव में अंतर है। तब कारसेवकों को रोका जा रहा था, आज आस्था के वेग को नियंत्रित करने की चेष्टा की जा रही है।बाहरी लोग तो नहीं मान रहे, कम से कम हम तो धीरज रख सकते हैं।

गोरखपुर के वीरेंद्र तिवारी हनुमानगढ़ी के पास रहते हैं। वीरेंद्र तिवारी कहते हैं कि हम सभी की आत्मा में अयोध्याजी का वास है। जब से भगवान के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा हुई है, रामनगरी के कण-कण में अप्रतिम उल्लास है। मैं भी आह्लादित और भावुक हूं। दर्शन की अकुलाहट से मन न माना। मैं प्रभु को निकट से निहार आया। परिवारीजन ने धैर्य दिखाया है। वे रामलला का दर्शन करने आस्था का प्रवाह कम होने पर जाएंगे।

उल्लास से परिपूर्ण रामभक्तों में यहां के संतोष कुमार भी हैं। संतोष कुमार कहते हैं कि रामनगरी में जयश्रीराम के जयघोष के आगे अधिकारियों की अपील अनसुनी हो रही है। अब ऐसे वक्त में हम संयम नहीं दिखाएंगे तो प्रशासनिक व्यवस्था बिगड़ेगी। प्रभु राम हमारे हैं तो उनके दर्शन के लिए आए लोगों की सुविधा का दायित्व भी तो हमारा है। भगवान राम ने भी धैर्य का परिचय दिया था। उनके इस आदर्श का अनुकरण हम सभी को इस वक्त करना चाहिए।

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