कहां राजा भोज कहां गंगू तेली कहावत का जानें कैसे हुआ था जन्म,किस पराक्रमी सम्राट से जुड़ी है कथा
कहां राजा भोज कहां गंगू तेली कहावत का जानें कैसे हुआ था जन्म,किस पराक्रमी सम्राट से जुड़ी है कथा

15 Apr 2024 |  43





फर्रुखाबाद।बात बड़ी गहरी है आप लोग बचपन से लेकर आज तक हजारों बार इस कहावत को सुना होगा कि कहां राजा भोज कहां गंगू तेली।दो लोगों के बीच फर्क बताने के लिए इस कहावत का खूब इस्तेमाल होता है।राजा भोज मतलब बड़ा और गंगू तेली मतलब छोटा।इस मुहावरे का जन्म कैसे हुआ,इसके पीछे क्या कहानी है।इसको शायद बहुत कम लोग ही जानते होंगे।इतिहास में राजा भोज नाम से कई राजाओं का जिक्र है।बता दें कि उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से जुड़े राजा मिहिर भोज का संबंध प्रतिहार वंश से था।

राजा मिहिर भोज का शासन काल 836 से 889ई. तक रहा था। छठी से लेकर दसवीं शताब्दी तक प्रतिहार काल में भारत का साम्राज्य सबसे विशाल माना जाता है।फर्रुखाबाद के भोजपुर गांव में राजा मिहिर भोज का किला है।यह कभी आलीशान हुआ करता था,लेकिन वक्त के साथ मिहिर भोज का किला जर्जर होकर अब खंडहर में बदल गया है।गंगा नदी के किनारे बसा मिहिर भोज का किला देखरेख के अभाव में अस्तित्व से संघर्ष कर रहा है।किले में भगवान नरसिंह देव का मंदिर भी है।अगर इस किले का जीर्णोद्धार कराया जाए तो राजा भोज की नगरी दर्शनीय स्थल के रूप में फिर से पहचानी जाने लगेगी।

पराक्रमी राजा की कहानियां

राजा मिहिर भोज की वीरता की कहानी विख्यात हैं।राजा मिहिर भोज ने तलवार से कभी समझौता नहीं किया। राजा मिहिर भोज ने अपने 55 वर्ष के जीवन काल में अनेक युद्ध भी लड़े और सब में विजयी हुए।इन युद्धों में राजा मिहिर भोज ने कई राजाओं को हराकर सत्ता कायम की।राजा मिहिर भोज नाम पर ही भोजपुर शहर का नामकरण हुआ। आज विधानसभा सीट के रूप में जानी जाती है,लेकिन इस प्राचीन विरासत को संजोने की तरफ ध्यान नहीं दिया गया।मुगलकाल में मिहिर भोज किले को चौकी के रूप में जाना जाता था। किले की दीवारें इसके समृद्ध इतिहास की गवाह हैं।

कहावत की कहानी

हिंदी के प्रसिद्ध मुहावरे कहां राजा भोज कहां गंगू तेली के पीछे रोचक कहानी है।कहा जाता है कि राजा भोज के इलाके में तेल का व्यवसाय करने वाला गंगू नाम का शख्स हुआ करता था,जो रोज राजमहल में तेल की सप्लाई करता था।गंगू बिचपुरिया गांव का रहने वाला था।एक बार किसी कारणवश गंगू के बजाय उसकी पत्नी तेल लेकर राजा के महल में पहुंचीं, जहां उसे तवज्जो नहीं दी गई।उसके बाद गंगू ने अपने गांव से किले तक तेल भेजने के लिए नाली का निर्माण कराया था। ऐसा माना जाता है कि इसी गंगू और उसके तेल के व्यवसाय के कारण इस कहावत का जन्म हुआ।

More news