गजब:पाकिस्तान में कंडोम पर मचा है घमासान,आईएम‌एफ ने खारिज कर दी इस्लामाबाद की मांग,शहबाज टेंशन में
गजब:पाकिस्तान में कंडोम पर मचा है घमासान,आईएम‌एफ ने खारिज कर दी इस्लामाबाद की मांग,शहबाज टेंशन में

22 Dec 2025 |   104



 

 
नई दिल्ली।पूरी दुनिया में कटोरा लेकर घूमने वाले पाकिस्तान में कंडोम को लेकर जबरदस्त घमासान मचा है।कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तानियों को अब कंडोम खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करना होगा।अब उनके लिए कंडोम खरीदना भी मुश्किल होगा।अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएम‌एफ) ने शाहबाज शरीफ सरकार की जीएसटी दर घटाने की मांग को खारिज कर दिया है।शहबाज शरीफ सरकार ने कंडोम और दूसरे गर्भनिरोधक चीजों पर 18 फीसदी जनरल सेल्स टैक्स को तुरंत हटाने की मांग की थी।आईएम‌एफ के फैसले से पाकिस्तान की बर्थ-कंट्रोल प्रोडक्ट्स को ज्यादा सस्ता बनाने की कोशिशों को झटका लगा है,जिसकी आबादी बढ़ने की दर दुनिया में सबसे अधिक है।

पाकिस्तान को आईएम‌एफ का इनकार

 आईएम‌एफ ने पाकिस्तान को बताया है कि गर्भनिरोधक चीजों पर टैक्स में किसी भी छूट या कमी पर अगले संघीय बजट चक्र के दौरान की विचार किया जा सकता है।पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था आईएमएफ के बेलआउट पैकेज पर सांस ले रही है।आईएमएफ ने पाकिस्तान को बेलआउट प्रोग्राम के तहत रिवाइज्ट रेवेन्यू टारगेट को पूरा करने में हो रही दिक्कतों का हवाला दिया।साथ ही चेतावनी दी कि टैक्स में राहत से टैक्स कलेक्शन कमजोर हो सकता है और स्मग्लिंग का खतरा बढ़ सकता है।

पाकिस्तान में कंडोम बना लग्जरी आइटम

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने यह कहते हुए जीएसटी से राहत मांगी थी कि इसने जरूरी बर्थ-कंट्रोल उत्पादों को असल में लग्जरी आइटम बना दिया है।वे कम आय वाले परिवारों की पहुंच से बाहर हो गए हैं। पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (एफबीआर) ने ईमेल और एक वर्चुअल मीटिंग के जरिए वॉशिंगटन में अधिकारियों के साथ यह मुद्दा उठाया। इस छूट को मानने से अनुमानित तौर पर 40-60 करोड़ पाकिस्तानी रुपये का नुकसान होगा।

आईएम‌एफ ने अनुरोध को कर दिया खारिज 

आईएम‌एफ ने आखिरकार इस अनुरोध को खारिज कर दिया। इसके अलावा उसने महिलाओं के सैनिटरी पैड और बेबी डायपर पर टैक्स कम करने के ऐसे ही प्रस्तावों का विरोध किया।यह फैसला ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान बढ़ती आबादी से जूझ रहा है।आबादी में लगभग 2.55 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ पाकिस्तान में हर साल लगभग 60 लाख लोग बढ़ जाते हैं, जिससे सार्वजनिक सेवाओं और वित्तीय व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है।

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