दिल्ली,मथुरा,आगरा,कई बड़े शहरों में कहर बरपा रही यमुना की कहानी,जानें पहाड़ों से आ रही तबाही की कहानी
दिल्ली,मथुरा,आगरा,कई बड़े शहरों में कहर बरपा रही यमुना की कहानी,जानें पहाड़ों से आ रही तबाही की कहानी

26 Jul 2023 |  153





नई दिल्ली।उत्तराखंड में पिछले कई दिनों से लगातार भारी बारिश का सिलसिला जारी है।बादल फटने की भी कई घटनाएं सामने आ रही हैं।इस बारिश से नदियों के जलस्तर बढ़ोतरी हुई है।अब ये नदियां मैदानी इलाकों में तबाही मचा रही हैं।इनमें यमुना भी है।पिछले दिनों राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना के जलस्तर जबरदस्त बढ़ोतरी हुई, जिससे पिछले 45 साल का रिकॉर्ड टूट गया।अब फिर यमुना के जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है।यमुना दिल्ली ही नहीं हरियाणा,उत्तर प्रदेश में कहर बरपा रही है। आइए जानते हैं यमुना इतनी उग्र कैसे हो गई।यमुना ने किस-किस राज्य के कौन-कौन से जिले अपनी चपेट में लिया है।

जानें कितने इलाके को कवर करती है यमुना

यमुना नदी का उदगम उत्तराखंड के उत्तरकाशी के बन्दरपूंछ पर्वत में यमुनोत्री हिमनद से हुआ है।यमुना यहां से निकलकर दून की घाटी में एंट्री करती है।यमुना टिहरी गढ़वाल, हथियारी देहरादून, बलावाला देहरादून, गौतम ऋषि आश्रम देहरादून होते हुए हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब गुरुद्वारा पहुंचती है। इसके बाद यमुना उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमा के सहारे 95 मील का सफर कर उत्तरी सहारनपुर पहुंचती है। फिर हरियाणा के यमुनानगर से दिल्ली में। फिर यहां से बागपत, मथुरा, नोएडा, फिरोजाबाद, आगरा, कालपी, इटावा, हमीरपुर के बाद प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में जाकर गंगा नदी के साथ यमुना का विलय हो जाता है।यमुना उत्तराखंड से प्रयागराज तक 1376 किलोमीटर की दूरी तय करती है।

उत्तराखंड

उत्तराखंड में सात जिलों में पिछले कई दिनों से बारिश हो रही है।यहां बादल फटने की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। 24 जुलाई को उत्तराखंड में 41.1 एमएम बारिश हुई, जो सामान्य से 196 फीसदी ज्यादा है।पिछले कई दिनों से बारिश ऐसे ही रिकॉर्ड तोड़ रही है, जिससे यमुना समेत कई नदियों के जलस्तर में अचानक से बढ़ोतरी हो गयी है।क्षमता से अधिक पानी आने से नदी के किनारे बसे शहर, गांवों में पानी भर रहा है।

हरियाणा

पहाड़ों से उतरने के बाद यमुना ने सबसे ज्यादा कहर हरियाणा में बरपाया। हरियाणा के 10 जिले सोनीपत,फरीदाबाद, पलवल, पंचकूला, यमुनानगर, अंबाला, करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र और पानीपत में यमुना का पानी घुस गया था। लगभग 600 गांवों को यमुना ने अपने चपेट में ले लिया था।जानकारी के मुताबिक यमुना ने यहां लगभग 3 लाख एकड़ फसल को बर्बाद कर दिया है।हरियाणा में ऐसी हालात हो गई थी कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के अलावा सेना की मदद लेनी पड़ी थी।

दिल्ली

हरियाणा के यमुनानगर में बने हथिनीकुंड बैराज से यमुना का पानी दिल्ली में आता है।पिछले दिनों जब यमुना ने हरियाणा में कहर बरपाना शुरू किया था तो हथिनीकुंड बैराज के गेट खोल दिए गए थे,जिससे दिल्ली में यमुना का जलस्तर इतना बढ़ गया था कि पानी लाल किला-इंडिया गेट तक पहुंच गया था। 12 जुलाई को दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से लगभग 2.5 मीटर ऊपर पहुंच गया था।उस दिन शाम 6 बजे पुराने रेलवे ब्रिज पर पानी 207.81 मीटर दर्ज किया गया था, जिसने 45 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। 1978 में यमुना का जलस्तर 207.49 मीटर पहुंचा था, तब आधी दिल्ली पानी में डूब गई थी।

उत्तर प्रदेश

हथिनीकुंड से पानी छोड़ जाने से दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश के कई जिलों में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर पहुंच गया था।गौतमबुद्ध नगर, शामली, अलीगढ़, मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद और इटावा में बाढ़ से हालात हो गए थे।
यमुना का पानी नोएड के सेक्टर 135 के आस-पास के इलाकों-गांवों में भर गया था। लोगों को अपना घर छोड़कर सड़कों पर रहना पड़ा था।वहीं मथुरा में सदर, मांट, छाता और महावन तहसील के 100 से ज्यादा गांव बाढ़ से प्रभावित हो गए थे। यमुना मथुरा में खतरे के निशान को पार कर गई थी। मथुरा और वृंदावन में कई घाट और मंदिरों के साथ परिक्रमा मार्ग तक पानी पहुंच गया था।यहां ताजेवाला और ओखला से पानी छोड़ने पर जलस्तर बढ़ जाता है।यमुना में जब पानी बढ़ा तो मजबूरन गोकुल बैराज के सभी 21 गेटों से पानी छोड़ना पड़ा, जिससे वहां भी बाढ़ के हालात बन गए। यहां पिछले हफ्ते यमुना का पानी 499.97 फीट के मध्यम बाढ़ स्तर तक पहुंच गया था,जिससे यमुना का पानी ताजमहल की दीवारों तक पहुंच गया था। स्मारक के पीछे बना बगीचा जलमग्न हो गया था।इससे पहले 2010 और 1978 में ऐसे हालात बने थे।

जानें कौन-कौन बैराज यमुना के पानी का करते हैं कंट्रोल

डाकपत्थर बैराज: पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 23 मई 1949 को इसकी नींव रखी थी।यह बैराज 516.5 मीटर लंबा है और इसमें कुल 25 गेट बने हुए हैं।

हथिनी कुंड बैराज: हरियाणा के यमुनानगर यह बैराज बना है।
360 मीटर लंबे इस बैराज में 18 गेट हैं।यहां से यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत, दिल्ली, शामली, सहारनपुर और बागपत में पानी छोड़ा जाता है।

वजीराबाद बांध: 1959 में यह बांध बना था। इस पर एक पुल बना है, जो कि उत्तरी दिल्ली को उत्तर-पूर्वी दिल्ली से जोड़ता है।

आईटीओ बैराज: 552 मीटर लंबा यह बैराज दिल्ली में यमुना के पानी को नियंत्रित करता है।

ओखला बैराज: 791 मीटर लंबा यह बैराज 1894 में शुरू किया गया था।

गोकुल बैराज: मथुरा में यमुना नदी पर बना यह अंतिम बैराज है।

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