यूपी की मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर सपा-बसपा क्यों खेल रही हैं हिंदू कार्ड, मुस्लिम प्रत्याशियों से बनाई दूरी
यूपी की मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर सपा-बसपा क्यों खेल रही हैं हिंदू कार्ड, मुस्लिम प्रत्याशियों से बनाई दूरी

27 Mar 2024 |  46





लखनऊ।उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों के बीच शह-मात का खेल जारी है। यूपी में इस बार भारतीय जनता पार्टी ही नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी से लेकर बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस तक मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारने से बच रही है। मुस्लिमों की जगह हिंदू कार्ड खेल रही है।पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वी यूपी तक की लोकसभा सीटों पर यही हो रहा है। 20 फीसदी मुस्लिम समुदाय सिर्फ विधानसभा सीटों पर ही नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव में भी हार-जीत की भूमिका अदा करता है।इसके बावजूद आखिर क्या वजह है कि बसपा और सपा मुस्लिमों पर दांव खेलने से क्यों बच रही हैं।

यूपी में मुस्लिम मतदाता काफी अहम माने जाते हैं। कांग्रेस, सपा और बसपा भी मुस्लिम समुदाय को लुभाने की कोशिश में रहती है।इस बार लोकसभा चुनाव में इन पार्टियों ने भी मुस्लिम प्रत्याशियों से दूरी बना ली है और बीजेपी की तर्ज पर हिंदुत्व का कार्ड खेल रही हैं।मुस्लिम समुदाय पर इन पार्टियों की नजर तो है,लेकिन टिकट देने में कतरा रही हैं।हिंदू वोट बंटने के डर से इन पार्टियों ने मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर भी हिंदू प्रत्याशियों को तवज्जो दी है।

यूपी में मुस्लिम आबादी भले ही 20 फीसदी हो, लेकिन पश्चिमी यूपी में 26 से 50 फीसदी तक है।मुस्लिम मतदाता 26 लोकसभा सीटों पर अहम भूमिका निभाते हैं, जिसमें अधिकतर लोकसभा सीटें पश्चिमी यूपी और रुहेलखंड क्षेत्र की हैं।सपा ने अभी तक सिर्फ चार मुस्लिम को टिकट दिया हैं।बसपा ने सात मुस्लिम को टिकट दिया है। कांग्रेस ने यूपी की दो लोकसभा सीट पर मुस्लिम को टिकट दिया है।भाजपा ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है।भाजपा पहले भी ऐसा ही करती रही है,लेकिन सपा ने इस बार बदलाव किया है मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर हिंदू प्रत्याशी उतारे हैं।

बता दें कि यूपी के मेरठ, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, कैराना, संभल, बरेली, बदायूं, गाजीपुर, श्रावस्ती, गोंडा, आजमगढ, फिरोजाबाद, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, धौहरारा (शाहाबाद), बागपत, प्रतापगढ़, सीतापुर, देवरिया, डुमरियागंज, सुल्तानपुर, संत कबीर नगर, उन्नाव, रामपुर और सीतापुर लोकसभा पर मुस्लिम नेता चुनाव लड़ते रहे हैं।इन लोकसभा सीटों पर कभी न कभी मुस्लिम सांसद रहे हैं।इस बार राजनीतिक पार्टियां मुस्लिम प्रत्याशी को उतारने से बच रहे हैं,जिसमें कई लोकसभा सीटे तो ऐसी हैं जहां 37 से 40 फीसदी तक मुस्लिम है।

मेरठ लोकसभा से भाजपा ने अरुण गोविल को प्रत्याशी बनाया है तो सपा ने भानू प्रताप सिंह और बसपा ने देववृत त्यागी को प्रत्याशी बनाया है। इस तरह तीनों प्रमुख पार्टियों से हिंदू प्रत्याशी हैं। इससे पहले सपा और बसपा मुस्लिम प्रत्याशी उतारती रही है।मुस्लिम सांसद भी रहे हैं और 2019 में बसपा के याकूब कुरैशी बहुत मामूली वोट से हार गए थे।मेरठ लोकसभा में 37 फीसदी से अधिक मुस्लिम मतदाता है, उसके बाद भी किसी भी राजनीतिक पार्टी ने मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा है।

बिजनौर लोकसभा में 40 फीसदी से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं,लेकिन किसी भी पार्टी ने इस बार किसी मुसलमान को प्रत्याशी नहीं बनाया है।सपा ने दीपक सैनी, रालोद ने चंदन चौहान और बसपा ने चौधरी बिजेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से नसीमुद्दीन सिद्दीकी और 2014 में सपा से शाहनवाज राणा और रालोद से शाहिद सिद्दीकी चुनाव लड़े थे।अब्दुल लतीफ गांधी बिजनौर से सांसद रह चुके हैं।

मुजफ्फरनगर लोकसभा से भाजपा ने संजीव बालियान, सपा ने हरेंद्र मलिक और बसपा ने दारा सिंह प्रजापति को प्रत्याशी बनाया है। इस तरह से तीनों ही प्रमुख पार्टियों में से किसी ने भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया जबकि मुजफ्फरनगर लोकसभा में लगभग 34 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। 2014 में कादिर राणा दूसरे नंबर पर थे। 2009 में कादिर राणा मुजफ्फरनगर से सांसद रहे हैं।कादिर राणा सहित सात मुस्लिम नेता मुजफ्फरनगर से सांसद रह चुके हैं।इसके बावजूद किसी भी प्रमुख पार्टी ने इस बार लोकसभा चुनाव किसी मुस्लिम को प्रत्याशी नहीं बनाया है।

बागपत लोकसभा से सभी पार्टियों ने हिंदू प्रत्याशी उतारे हैं।बसपा से प्रवीण बंसल,रालोद से राजकुमार सांगवान और सपा से मनोज चौधरी चुनावी मैदान में है। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा के गुलाम मोहम्मद दूसरे नंबर पर थे जबकि चौधरी अजित सिंह तीसरे नंबर पर थे। 2004 के लोकसभा चुनाव में बसपा के औलाद अली दूसरे नंबर पर थे। बागपत लोकसभा में लगभग 26 फीसदी मुस्लिम मतदाता है। इसके बाद भी किसी भी पार्टी ने मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है।

बरेली लोकसभा में लगभग 30 फीसदी मुस्लिम मतदाता है। बीजेपी ने छत्रपाल गंगवार,सपा ने प्रवीण ऐरन को प्रत्याशी बनाया है।बसपा ने अभी अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। लखीमपुर खीरी लोकसभा में सपा, बसपा और भाजपा ने मुस्लिम के बजाय हिंदू प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारा है। 2009 में यहां से जफर अली नकवी सांसद रह चुके हैं।फर्रुखाबाद लोकसभा में तीन बार मुस्लिम सांसद रहे चुके हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता सलमान खुर्शीद दो बार सांसद रहे हैं और उससे पहले उनके पिता जीते हैं। इसके बावजूद किसी भी पार्टी ने मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा है।

श्रावस्ती लोकसभा में लगभग 40 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, लेकिन किसी भी पार्टी ने मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा है।श्रावस्ती लोकसभा पहले बलरामपुर के नाम से जानी जाती है, जहां से रिजवान जहीर और फसीउर्रहमान सांसद रह चुके हैं। आजमगढ़ लोकसभा में 27 फीसदी मुस्लिम मतदाता है। आजमगढ़ से अकबर अहमद डंपी दो बार सांसद रहे हैं।इस बार सपा और भाजपा दोनों ने यादव प्रत्याशी चुनावी मैदान उतारा है।बसपा ने अभी अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। फिरोजाबाद, लखनऊ, धौहरारा (शाहाबाद), प्रतापगढ़, सीतापुर,देवरिया,डुमरियागंज और सुल्तानपुर लोकसभा में मुस्लिम चुनाव लड़ते रहे हैं,लेकिन इस बार कोई पार्टी मुस्लिम प्रत्याशी उतारने से बच रही है।

यूपी की सियासत में मुस्लिम मतदाता सात लोकसभा में 40 फीसदी से भी अधिक हैं।इन्हीं सात में से छह जगह पर 2019 में मुस्लिम सांसद बने थे। 2014 में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं बना था। देश की आजादी के बाद पहली बार यह था जब कोई मुस्लिम चुनाव नहीं जीत सका है।मुस्लिम मतदाता लंबे समय तक यूपी में किंगमेकर की भूमिका अदा करते रहे हैं, लेकिन समय के साथ सियासत ने ऐसी करवट ली कि सियासत अल्पसंख्यक से हटकर बहुसंख्यक समुदाय के इर्द-गिर्द सिमट गई।यही कारण है कि बसपा से लेकर कांग्रेस और सपा तक मुस्लिम प्रत्याशी उतारने से बच रही है।

यूपी की सियासी बिसात पर मुस्लिम वोट बैंक की सियासत अहमियत को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।इसीलिए यूपी में मुस्लिम वोटों को लेकर सपा-कांग्रेस गठबंधन से लेकर बसपा तक की नजर है तो भाजपा भी पसमांदा मुस्लिम दांव खेल रही है, लेकिन टिकट प्रत्याशी बनाने से कतरा रही है।विपक्ष को यह डर सता रहा है कि मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारने से हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में हो सकता है। इसीलिए हिंदू प्रत्याशी मुस्लिम के साथ हिंदू वोटों को भी साधे रखना चाहती है।यही कारण है कि विपक्ष इस बार बदलाव किया है।

बरहाल कैराना लोकसभा से सपा ने इकरा हसन को प्रत्याशी बनाया है तो सहारनपुर और अमरोहा लोकसभा से कांग्रेस और बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारा है।मुरादाबाद, संभल और रामपुर लोकसभा से सपा और बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारा है।बसपा ने यूपी की सात लोकसभा में मुस्लिम प्रत्याशी उतारा है, जिसमें कन्नौज, आंवला और अंबेडकरनगर लोकसभा शामिल है।सपा ने गाजीपुर से अफजाल अंसारी को प्रत्याशी बनाया है।

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