लखनऊ।हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है।विधानसभा का चुनावी रण भी सज चुका है।राजनीतिक दलों ने गठबंधन के लिए साथियों की तलाश भी कर ली है,हरियाणा में गठबंधन धड़ाधड़ हो रहे हैं,हरियाणा में इस चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय दलों का बोलबाला है।इनमें राष्ट्रीय,क्षेत्रीय और मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल शामिल हैं।इन दलों से समझौता करने वाले हरियाणा के दल सत्ता हासिल करने का ख्वाब पाले हुए हैं।हरियाणा विधानसभा चुनाव में ताल ठोक रहे दलों में बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल,आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) प्रमुख है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा का रिश्ता केवल सीमाओं के साझाकरण का नहीं है,बल्कि रोटी और बेटी का रिश्ता है। हरियाणा और यूपी के लोगों की रिश्तेदारियां हैं।हरियाणा के कुरुक्षेत्र,पानीपत,सोनीपत,करनाल,यमुनानगर, फरीदाबाद और पलवल की कई सीटों पर यूपी का प्रभाव है।
बसपा की हरियाणा में कब गलेगी दाल
उत्तर प्रदेश की राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए ताऊ देवीलाल की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से समझौता किया है।इनलो की कमान इन दिनों देवीलाल की तीसरी पीढ़ी के पास है।इनेलो हरियाणा की सत्ता से लगभग दो दशक से दूर है।इनेलो के मुखिया ओमप्रकाश चौटाला सबसे ज्यादा पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने।सत्ता हासिल करने लिए इनेलो ने तीसरी बार बसपा से गठबंधन किया है।इस गठबंधन के तहत इनलो हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 53 सीटों पर और बसपा 37 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।यह गठबंधन जाट और दलित समुदाय के वोट बैंक की बदलौत हरियाणा में सत्ता हासिल करना चाहता है।इस गठबंधन की राह में सबसे बड़ी बाधा है इन दोंनों दलों के वोट बैंक का उनसे दूर हो जाना।
बसपा का हरियाणा में प्रदर्शन
बसपा ने 2019 के विधानसभा चुनाव में बिना किसी गठबंधन के 90 में से 87 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। 82 सीटों पर बसपा की जमानत जब्त हो गई थी। बसपा को 4.14 फीसदी वोट मिला था।इनलो ने 81 सीटों पर चुनाव लड़ा था और एक सीट जीत सकी थी। 78 पर जमानत जब्त हो गई थी।इनेलो को 2.44 फीसदी वोट मिला था।बसपा ने 2014 के चुनाव में 87 सीटों पर चुनाव लड़ा था।बसपा एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। 81 पर बसपा की जमानत जब्त हो गई थी।बसपा को कुल 4.37 फीसदी वोट मिला था।इनेलो ने इस चुनाव में 19 सीट जीती थी। इनेलो कै 24.11 फीसदी वोट मिला था।बसपा ने हरियाणा में सबसे अच्छा प्रदर्शन 2009 के लोकसभा चुनाव में किया था।यह चुनाव बसपा ने बिना गठबंधन लड़ा था।बसपा ने सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ा था।चुनाव में बसपा को 15.75 फीसदी वोट मिला था.लेकिन कोई सफलता नहीं मिली थी।बसपा हरियाणा में लोकसभा की केवल एक सीट ही जीत पाई है।बसपा ने 1998 का चुनाव इनेलो के साथ गठबंधन कर लड़ा था।अंबाला में बसपा उम्मीदवार अमन नागरा ने भाजपा उम्मीदवार को लगभग तीन हजार वोटों से हराया था।
दुष्यंत को सीएम की कुर्सी पर बैठा पाएंगे चंद्रशेखर
चौधरी देवीलाल के पौत्र दुष्यंत चौटाला ने इनेलो से अलग होकर जननायक जनता पार्टी का गठन किया।इस साल के शुरू तक दुष्यंत ने हरियाणा में भाजपा की प्रदेश सरकार में हिस्सेदारी की थी। इस विधानसभा चुनाव में दुष्यंत ने चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (एएसपी) से हाथ मिलाया है।हरियाणा में जजपा 70 और एएसपी 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।चंद्रशेखर आजाद इस साल हुए लोकसभा चुनाव में यूपी के नगीना से सांसद चुने गए हैं।इससे चंद्रशेखर के हौंसले बुलंद हैं।इन दोनों दलों की नजर हरियाणा के 20 फीसदी से ज्यादा दलित वोट पर है।साल 2019 में जजपा बनाने के बाद दुष्यंत चौटाला ने अपने पहले ही विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीतकर सनसनी मचा दी थी।जजपा ने 87 सीटों पर चुनाव लड़ा था।जजपा को 14.84 फीसदी वोट मिला था।जजपा की 57 सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी।इस जीत के बाद जजपा ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।भाजपा और जजपा का गठबंधन लोकसभा चुनाव से पहले तक चला।जजपा ने इस साल हुए लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ा,लेकिन किसान आंदोलन को लेकर जजपा के रुख से नाराज जनता ने उसे दिन में ही तारे दिखा दिए। जजपा लोकसभा चुनाव में एक फीसदी भी वोट हासिल नहीं कर पाई थी।आजाद समाज पार्टी ने 2019 का विधानसभा चुनाव ही नहीं लड़ा था।
भाजपा को कितना सहारा दे पाएंगे जयंत
हरियाणा में 2014 से भाजपा सरकार चला रही है। भाजपा के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल पश्चिम उत्तर प्रदेश में प्रभावशाली उपस्थिति रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी से हाथ मिलाने की खबरें हैं।सूत्रों के मुताबिक जयंत चौधरी भाजपा से चार सीटें मांग रहे हैं।भाजपा जयंत को इतनी सीटें दे सकती है।ये सीटें जाट बाहुल्य और यूपी की सीमा से सटे इलाकों में हो सकती हैं।हरियाणा की लगभग 20 सीटों पर यूपी का प्रभाव है।ये सभी इलाके यूपी की सीमा से लगे हुए हैं।इन इलाकों में जाट अच्छी-खासी संख्या में हैं।इसलिए भाजपा हरियाणा विधानसभा चुनाव के मैदान में जयंत चौधरी को जगह दे रही है।हरियाणा की राजनीति में आरएलडी की इंट्री कोई नई बात नहीं है।आरएलडी हरियाणा में पैर जमाने की कोशिशें बहुत पहले से कर रही है, लेकिन हरियाणा की जाट बिरादरी ने जयंत के पिता अजित सिंह को बहुत भाव नहीं दिया था।यही हाल चौधरी देवीलाल की इनेलो का भी था।इनेलो को भी पश्चिम यूपी में बहुत भाव नहीं मिला।इसके बाद आरएलडी और इनेलो ने अपने आप को अपने इलाकों में सीमित कर लिया था।
क्या अखिलेश यादव के सामने झुंकेगी कांग्रेस
इस विधानसभा चुनाव में अभी तक ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस अकेले ही चुनाव मैदान में उतरेगी।कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का दावा कर रहे हैं,लेकिन ऐसी खबरें हैं कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कांग्रेस आलाकमान के सामने हरियाणा में पांच सीटों की मांग रखी है।सपा और कांग्रेस इंडिया गठबंधन में शामिल हैं।सपा और कांग्रेस के इस गठबंधन ने लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है।यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए भी दोनों दलों में बातचीत चल रही है। ऐसे में उम्मीद है कि कांग्रेस सपा को दो-तीन सीटें दे सकती है। खबर यह भी है कि कांग्रेस का हरियाणा नेतृत्व इसके लिए तैयार नहीं है,लेकिन उम्मीद है कि अंत में कांग्रेस को झुकना पड़ सकता है।
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