नई दिल्ली।मथुरा के वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई कल मंगलवार को होगी।सुप्रीम कोर्ट सुबह 10:30 बजे सुनवाई करेगा।इन याचिकाओं में यूपी सरकार के उस अध्यादेश को चुनौती दी गई है,जिसके मुताबिक मंदिर से जुड़ी व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा एक ट्रस्ट को सौंप दिया गया है।याचिकाओं में कहा गया है कि श्री बांके बिहारी जी मंदिर एक निजी धार्मिक संस्था है।इस अध्यादेश के जरिए मंदिर पर सरकार अपरोक्ष रूप से अपना नियंत्रण करना चाह रही है।
मंदिर के निजी होने की दलील
आज सोमवार को हुई सुनवाई में सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने याचिकाकर्ताओं की पैरवी करते हुए निजी मंदिर होने की दलील दी।जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मंदिर की आय सिर्फ आपने लिए नहीं बल्कि मंदिर विकास योजनाओं के लिए भी है।वकील श्याम दीवान ने कहा कि राज्य जमीन खरीदने के लिए मंदिर के पैसे का इस्तेमाल करना चाहता है।
कोई देवता निजी कैसे हो सकता है
कोर्ट ने कहा कि राज्य का इरादा मंदिर के धन को हड़पने का नहीं लगता,वे इसे मंदिर के विकास पर खर्च कर रहे हैं।श्याम दीवान ने कहा कि सरकार हमारे धन पर कब्जा कर रही है, मेरा मंदिर एक निजी मंदिर है।इस पर कोर्ट ने कहा कि आप एक धार्मिक स्थल को निजी कह रहे हैं,यह एक भ्रम है,जहां लाखों श्रद्धालु आते हैं वह निजी कैसे हो सकता है,प्रबंधन निजी हो सकता है,लेकिन कोई देवता निजी कैसे हो सकता है।
रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में हो सकता है कमेटी का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए अंतरिम व्यवस्था का प्रस्ताव दिया है,जिसमें एक सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज या वरिष्ठ जिला जज को मंदिर का प्रबंधक बनाने का सुझाव है।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फिलहाल यूपी सरकार के अध्यादेश की संवैधानिकता की जांच नहीं की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की बात कही और तिरुपति,शिरडी जैसे उदाहरणों का हवाला देते हुए सभी पक्षों से सुझाव मांगे। कोर्ट ने संकेत दिया है कि वह रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में इसको लेकर कमेटी का गठन कर सकता है।