बीजेपी ने आप पर लगाया 650 करोड़ के घोटाले का आरोप, कहा-एल‌एनजेपी हॉस्पिटल के निर्माण में साजिशन किया बार-बार बदलाव
बीजेपी ने आप पर लगाया 650 करोड़ के घोटाले का आरोप, कहा-एल‌एनजेपी हॉस्पिटल के निर्माण में साजिशन किया बार-बार बदलाव

06 Aug 2025 |   51



 

नई दिल्ली।कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई मामलों की विशेष अदालत से राहत मिलने के एक दिन बाद ही पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन एक अन्य विवाद में फिर घिर गए हैं।रेखा गुप्ता सरकार ने लोकनायक अस्पताल के 22 मंजिला नए ब्लाक के बनाए जाने में हुई अनियमितताओं की जांच के लिए फाइल उपराज्यपाल वीके सक्सेना के पास भेज दी है,इसमें आरोप लगाया गया है कि लोकनायक अस्पताल में जिस इमारत का अनुबंध 465 करोड़ का किया गया था,एक साजिश के तहत बार-बार बदलाव कर इसकी लागत बढ़कर 1139 करोड़ तक पहुंचा दी गई।

आरोपों को आप ने नकारा

इस मामले में एक साल पहले उपराज्यपाल द्वारा गठित की गई समिति ने सवाल उठाए हैं।समिति ने कई अन्य तरह के भी आरोप लगाए गए हैं,जिसकी रिपोर्ट आने पर रेखा सरकार ने अब फाइल भेज कर एलजी से इस मामले में सीबीआई से जांच की सिफारिश की है।आराेपों पर आम आदमी पार्टी ने प्रतिक्रिया देते हुआ है कि भाजपा और उसके मंत्री एसीबी, सीबीआई और ईडी के चक्कर में पड़े हैं।वे हर दिन आप नेताओं के खिलाफ साजिश रचते हैं,बेबुनियाद और झूठे मामले तैयार करने में समय बर्बाद करते हैं और इन दिशाहीन जांचों पर करदाताओं का पैसा बर्बाद करते हैं।

650 करोड़ रुपये का हुआ घोटाला

लोक निर्माण मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा कि यह एक बड़ा घोटाला है,जो बहुत सफाई के साथ किया गया है,जांच होने पर आराेपी बच नहीं पाएंगे।वर्मा ने कहा है कि पूर्व लोक निर्माण मंत्री जैन ने नियमों को दरकिनार कर इसमें बदलाव करवाए। वह निरीक्षण करने जाते थे और किसी मंशा के तहत बदलाव सुझाते थे,जिससे लागत बढ़ जाती थी।वर्मा ने कहा कि 650 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ।

बता दें कि इमारत के निर्माण में अतियमितताओं की बात सामने आने पर पिछले साल उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा प्रक्रियात्मक खामियों की जांच के लिए एक समिति गठित की गई थी।समिति ने पाया है कि मूल अनुबंध राशि 465 करोड़ रुपये थी, जो लगभग 243 प्रतिशत बढ़कर 1,139 करोड़ रुपये हो गई है।

समिति ने इन प्रमुख अनियमितताओं को किया उजागर

पसंदीदा वास्तुकार सलाहकार का चयन एक संदिग्ध प्रक्रिया के माध्यम से किया गया, जिसमें अनियमितताएं बरती गईं और सामान्य वित्तीय विनियमन (जीएफआर) के प्रविधानों का घोर उल्लंघन किया गया।

बिना किसी निविदा के नामांकन के आधार पर मेसर्स सिक्का एसोसिएट्स को 5.27 करोड़ रुपये मूल्य के 84,420 वर्ग मीटर क्षेत्र के लिए परामर्श कार्य दिया गया

6 सलाहकारों को सूचीबद्ध करते समय यह विशेष रूप से ध्यान में रखा गया था कि प्रत्येक परियोजना के लिए अलग से वित्तीय बोली आमंत्रित की जाएगी, हालांकि इस शर्त का उल्लंघन किया गया और फिर जिलावार या क्षेत्रवार सलाहकारों की नियुक्ति का मनमाना निर्णय लिया गया।

जिला केंद्रीय से संबंधित परामर्श कार्य के लिए 5.62 करोड़ रुपये मूल्य के 90,000 वर्ग मीटर क्षेत्र के लिए बोलियां आमंत्रित की गईं। परामर्शदाता को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए, क्षेत्र को गुप्त रूप से बढ़ाकर 1,62,490 वर्ग मीटर कर दिया गया, जिससे तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री के निर्णय के अनुसार देय परामर्श शुल्क 5.62 करोड़ रुपये से बढ़कर 10.15 करोड़ रुपये हो गया।

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