डिब्बी में बंद दो आत्माएं,निकला एक तेज और भस्म हो गई थी डायन,तब से यहां लगने लगा भूतों का मेला
डिब्बी में बंद दो आत्माएं,निकला एक तेज और भस्म हो गई थी डायन,तब से यहां लगने लगा भूतों का मेला

17 Sep 2025 |   31



 

बलिया।उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में क‌ई रहस्यमयी जगह हैं,इन जगहों की कहानियां उनसे भी अधिक रहस्यों से भरी हैं।ऐसी एक जगह है,जिसका नाम नवका बाबा का मंदिर है। मनियर कस्बे में यह मंदिर कितना पुराना है,यह कोई नहीं जानता।इस मेले में देशभर से लोग प्रेत बाधा,चर्म रोग और मानसिक समस्याओं के निदान के लिए आते हैं।भूत-प्रेतों से मुक्ति दिलाने वाले इस मंदिर परिसर में नवरात्र में मेला लगता है, हजारों की संख्या में लोग यहां भरे रहते हैं,लेकिन उस समय यहां का नजारा बेहद डरावना होता है।इस मेले को भूतों का मेला भी कहा जाता है।इस मंदिर की कहानी काफी दिलचस्प है।आइए जानते हैं आखिर यहां सालों पहले क्या हुआ था।

जानें नवका बाबा मंदिर के पुजारी क्या कहते हैं 

नवका बाबा मंदिर के पुजारी श्रीराम उपाध्याय बताते हैं कि प्राचीन काल में मगध प्रांत,जिसे आज बिहार कहते हैं,वहां से दो भाई यहां आए थे,उस समय यहां पर एक घना जंगल हुआ करता था।इन दोनों भाइयों ने बड़ी मेहनत से यहां साफ सफाई की और इस मंदिर की स्थापना की थी,उस समय यहां जंगल में एक डायन रहती थी,उसने दोनों भाइयों को मारकर उनकी आत्मा एक छोटी सी डिब्बी में पैक कर दी थी।

दोनों भाइयों के तेज से भस्म हो गई थी डायन

मंदिर के पुजारी श्रीराम उपाध्याय बताते हैं कि इस डिबिया में बंद होने के बाद भी इन दोनों भाइयों का तेज कायम रहा,उस तेज में जलकर इस पूरे इलाके का जंगल खुद ब खुद साफ हो गया, उसी आग में वह डायन भी जलकर भस्म हो गई थी,इसके बाद वह दोनों भाई स्थानीय लोगों को स्वप्न में आने लगे और लोगों को प्रेरित कर यहां अपना स्थान बनवा लिया था,उसके बाद से ही यह स्थान किसी भी तरह की प्रेत बाधा समेत अन्य पारलौकिक शक्तियों से मुक्ति का केंद्र बन गया। उन्होंने बताया कि पहले तो यहां आसपास के ही लोग आते थे,लेकिन धीरे-धीरे इस मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ती चली गई।अब इस मंदिर में यूपी-बिहार ही नहीं, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश के अलावा दक्षिण भारत के भी कई राज्यों से लोग आते हैं।

चर्म रोग और भूत प्रेत से निजात का दावा

मंदिर के पुजारी श्रीराम उपाध्याय कहते हैं कि इस मंदिर में न केवल प्रेत बाधा से लोगों को छुटकारा मिलता है,बल्कि लोग यहां कुष्ठ एवं सफेद दाग समेत अन्य असाध्य चर्म रोगों से भी मुक्ति के लिए आते हैं।बीते कुछ समय से लोग यहां मानसिक बीमारियों के समाधान के लिए भी आने लगे हैं। उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के प्रसाद और उपचार से लोगों को लाभ मिलता है,इसलिए लोग एक बार यहां मनौती मांगने आते हैं और दोबारा मनौती पूरी होने पर प्रसाद चढ़ाने आते हैं। इस मंदिर में खासतौर पर नवरात्रि के दिनों में भारी मेला लगता है,इसे भूतों का मेला कहा जाता है।

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