मुआवजा न देने पर कोर्ट सख्त,बिजनौर डीएम का सरकारी बंगला कुर्क करने का दिया आदेश
मुआवजा न देने पर कोर्ट सख्त,बिजनौर डीएम का सरकारी बंगला कुर्क करने का दिया आदेश

22 Dec 2025 |   50



 

बिजनौर।उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले से जुड़े एक पुराने भूमि अधिग्रहण मामले में मुरादाबाद की भूमि अर्जन,पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन प्राधिकरण की अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।अदालत ने बिजनौर जिला अधिकारी जसजीत कौर के सरकारी आवास को कुर्क करने का आदेश दिया है।साथ ही डीएम को अदालत में पेश होने के लिए तलब भी किया गया है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि अदालत द्वारा मुआवजा देने का आदेश पहले ही दिया जा चुका था,लेकिन इसके बावजूद जिला प्रशासन ने जमीन के मालिक को अब तक राशि का भुगतान नहीं किया।यह मामला कई वर्षों से लटकाया जा रहा है।

अदालत में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि मुआवजे के मामले में डीएम बिजनौर की ओर से कोई भी रिपोर्ट या जवाब अदालत में पेश नहीं किया गया। वकील ने यह भी कहा कि अदालत के आदेशों और नोटिस के बाद भी भुगतान नहीं किया गया, जो न्याय प्रक्रिया की अनदेखी है।

याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि मुआवजा देने का फैसला पहले ही हो चुका था और कई बार प्रशासन को याद दिलाया गया, लेकिन हर बार उसे निराशा ही हाथ लगी, ऐसे में मजबूरी में उसने डीएम के सरकारी आवास को कुर्क करने की मांग की, ताकि उसे उसका हक मिल सके।

मामले की गंभीरता को देखते हुए मुरादाबाद की लारा कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सख्त आदेश जारी किया। अदालत ने स्पष्ट किया कि कुर्की के दौरान डीएम अपने सरकारी आवास को न तो किसी को सौंप सकेंगी और न ही उससे किसी तरह का आर्थिक लाभ ले सकेंगी।हालांकि प्रशासनिक जरूरतों के अनुसार वे आवास का उपयोग कर सकेंगी।इसके साथ ही अदालत ने कुर्क की गई संपत्ति के संबंध में आगे की शर्तें तय करने के लिए डीएम बिजनौर को आगामी सुनवाई में अदालत के सामने उपस्थित होने का आदेश दिया है।इस फैसले के बाद जिले में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है और प्रशासनिक स्तर पर भी हलचल तेज हो गई है।

अदालत के सख्त रुख के बाद बिजनौर प्रशासन हरकत में आ गया है। डीएम जसजीत कौर ने एक प्रेस नोट जारी कर बताया कि यह राशि सिंचाई विभाग द्वारा पिटीशनर को दी जानी थी।प्रशासन अब शासन से बजट रिलीज कराकर अगली तारीख से पहले भुगतान सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है।डीएम ने जांच के आदेश दिए हैं कि किस अधिकारी या कर्मचारी की लापरवाही से शासन को डिमांड भेजने में देरी हुई,उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

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