
ब्यूरो धर्मराज रावत
अमेठी।हाल ही में वह चाहे रायबरेली के महराजगंज पुलिस का गौकशो के बीच हुई मुठभेड़ हो या फिर बीती मध्य रात्रि शिवरतनगंज पुलिस और गौकशो के बीच हुई मुठभेड़ हो।दोनों मुठभेड़ों का मुख्य तार मोहनगंज कोतवाली क्षेत्र से जुड़ा है।दोनों मुठभेड़ों में कहानी पुलिस कुछ भी गढ़े,लेकिन यह सच्चाई है कि दोनों मुठभेड़ों में गिरफ्तार गौकश मोहनगंज सीमा के अंदर गौकशी की वारदात को अंजाम दिए हैं।
मोहनगंज पुलिस की लचर कार्यप्रणाली की वजह से क्षेत्र का वह कोई भी हिस्सा महफूज नहीं।जहां मासूम गायों की बलि न दी जाती हो।मोहनगंज पुलिस इस सबको नजर अंदाज कर महज अवैध खनन,पेड़ कटान,गांवों के नाली नाबदान,रास्तों को अनर्गल बनवाकर पक्ष,विपक्ष से लाखों रूपए की अवैध वसूली में मशगूल हैं।अवैध खनन ने तो मोहनगंज पुलिस को अंधा कर दिया है।व्यक्ति विशेष जाति के जेसीबी मालिकों को थाने की पुलिस हाथ नहीं लगाती।बाकी छोटी जातियों के ट्रैक्टर ट्रॉली किसान मालिकों को थाने की पुलिस वसूली के मामले में बक्सती नहीं है।यदि भूल से कहीं जेसीबी मालिक मुसलमान मिल जाए तो पूछो ना जिस हल्के का मामला होगा उस हल्के के पुलिस कर्मियों की लगभग पूरे माह की कमाई उसी से निकल आती है।
गौरतलब हो कि मोहनगंज कोतवाली क्षेत्र में ही कुछ दिन पहले एक गांव के विवादित रास्ते को पुलिस कर्मियों ने वादी से करीब तीस हजार रूपए लेकर बनवाया था। बाद में उसी विवादित रास्ते को बिपक्षी से एक लाख रूपए लेकर गिरवाने का गौरवशाली कार्य मोहनगंज के पुलिस कर्मियों ने किया है।बात यदि मोहनगंज पुलिस की बहादुरी की करें वर्तमान में मोहनगंज कोतवाली में तैनात स्टाफ इतना बहादुर है कि गुरूवार की मध्यरात्रि पुलिस और बदमाशों के बीच हुई मुठभेड़ से जुड़े एक बड़े गौकश को डेढ़ दर्जन पुलिसकर्मी देर रात्रि पकड़ने के लिए उसके घर गए थे,जिनमें से आधे पुलिस कर्मियों ने चारों तरफ से उसका घर घेर लिया बाकी के आधे उसके घर के अंदर जा घुसे। इसके बाद भी शातिर गौकश बहादुर पुलिस कर्मियों के बीच से भाग निकला और पुलिसकर्मी हाथ मलते रह गए।
एक मामले में यहां की पुलिस को बहुत बड़ी महारत हासिल है।यहां की पुलिस स्वयं पीड़ितो की तहरीर बोलबोल कर अपने मनमुताबिक एक ही व्यक्ति से लिखवाती है।तहरीर में किसका नाम बढ़ाना है,किसका घटाना है यह सब एक ही व्यक्ति से फोन पर बोलकर लिखाया जाता है।उसके बाद उस तहरीर के मुताबिक एनसीआर और मुकदमे दर्ज किए जाते हैं।मुकदमा और एनसीआर दर्ज होने के बाद शूरू होती विवेचना,जिसमें यह लोग जमकर मनमुताबिक धन की उगाही करते हैं।हालांकि पहले यह सब इतना चरम पर नहीं था।वर्तमान में यह लोग भ्रष्टाचार की सारी पाराकाष्ठा पार कर चुके हैं।जबकि नियम है की कोई भी पीड़ित अपना शिकायती पत्र कहीं किसी से या फिर स्वयं लिखकर पुलिस को सौंप सकता है।वह पुलिस का कार्य है कि उस शिकायती पत्र पर जांच कर आगे की कार्यवाही सुनिश्चित करे,लेकिन मोहनगंज कोतवाली में कोई भी पीड़ित यदि भूल से इधर उधर शिकायती पत्र लिखवाकर थाने पहुंच जाता है तो थाने के जिम्मेदार उसे फटकारते हुए बोलते हैं कि आपका शिकायती पत्र ठीक नहीं लिखा है।
गुरूवार की देर शाम मोहनगंज रायबरेली मार्ग पर एक बकरा काटने की दुकान पर मोहनगंज कोतवाली के कुछ पुलिसकर्मी पहुंचे और दुकानदार चिकवा से बांका और लकड़ी का ठीहा मांगने लगे।दुकानदार के मना करने पर पुलिस कर्मियों ने उस दुकानदार की ऐसी बखेलियां उड़ाई माऩो बेचारा बकरे का गोश्त नहीं एके 74 बेंच रहा हो।मामलों की शिकायत जिले के आलाधिकारियों से होने पर जांच क्षेत्राधिकारी तिलोई को सौंपी जाती है,लेकिन जांच के बाद होता क्या है यह समझ के परे है।
|