मथुरा।शाही ईदगाह मस्जिद के लिए शुक्रवार का दिन अहम साबित हो सकता है।इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने के मामले पर बड़ा फैसला सुना सकती है।हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने कोर्ट से मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की थी,जिस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।
जानें हिंदू पक्ष ने क्या दी थी दलील
हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने मासरे आलम गिरी से लेकर मथुरा के कलेक्टर रहे एफएस ग्राउस तक के समय में लिखी गई इतिहास की पुस्तकों का हवाला देते हुए कोर्ट के समक्ष कहा था कि वहां पहले मंदिर था,वहां पर मस्जिद होने का कोई साक्ष्य आज तक शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष न्यायालय में पेश नहीं कर सका।महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि न खसरा खतौनी में मस्जिद का किया भी नाम है,न नगर निगम में उसका कोई रिकॉर्ड,न कोई टैक्स दिया जा रहा। यहां तक कि बिजली चोरी की रिपोर्ट भी शाही ईदगाह प्रबंध कमेटी के खिलाफ भी हो चुकी है,फिर इसे मस्जिद क्यों कहा जाए। इसलिए मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया जाए।
विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग
बहस के दौरान खास बात ये रही कि सभी हिन्दू पक्षकारों ने महेंद्र प्रताप सिंह की ही दलीलों का समर्थन किया। श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद केस के मंदिर पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने हाईकोर्ट में 5 मार्च 2025 को मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग करते हुए प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। इसी प्रार्थना पत्र पर न्यायाधीश राम मनोहर नारायण मिश्र के न्यायालय में बहस पूरी हो चुकी है। महेंद्र प्रताप सिंह ने कोर्ट में मासरे आलम गिरी से लेकर मथुरा के कलेक्टर रहे एफएस ग्राउस तक लिखी गई इतिहास की पुस्तकों में मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद के सभी साक्ष्यों को रखा और कहा कि जिसे मस्जिद कहा जा रहा है, उसकी दीवारों पर हिंदू देवी देवताओं के प्रतीक चिह्न मौजूद है।भारतीय पुरातत्व विभाग के सर्वेक्षण में यह सब स्पष्ट हो जाएगा।
बाबरी मस्जिद प्रकरण से मिलता जुलता है मामला
मुकदमा की प्रकृति को कोर्ट में प्रस्तुत करते हुए महेंद्र प्रताप सिंह कहा कि किसी की जमीन पर अतिक्रमण करके बैठ जाने से है वह जमीन उसकी नहीं हो सकती। महेंद्र प्रताप सिंह ने कोर्ट को बताया कि जो प्रकरण अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का था ठीक वही मामला मथुरा में भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि का है।न्यायालय ने अयोध्या मामले में अपना निर्णय देने से पहले बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया था इसलिए शाही ईदगाह मस्जिद को भी विवादित ढांचा घोषित किया जाए।
औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ा
महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने न्यायालय को यह भी अवगत कराया कि केवल संबंध में सभी साथ पहले ही प्रस्तुत कर चुके हैं और जितने भी विदेशी यात्री भारत आए,उन सभी ने यहां भगवान का मंदिर बताया, किसी ने भी वहां मस्जिद होने का जिक्र नहीं किया।उनका कहना था कि औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ा था। इस बात को मस्जिद पक्ष भी जनता है और आज भी स्वीकार कर रहा है।इससे साफ है कि जबरदस्ती से मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। महेंद्र प्रताप सिंह की दलीलों का अन्य हिंदू पक्षकारों ने भी न्यायालय में समर्थन किया। इसके बाद न्यायालय अपने ऑर्डर को रिजर्व कर लिया था। महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि चार जुलाई को कोर्ट का निर्णय आयेगा।श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के बैनर तले देश भर में हिंदू चेतना यात्राएं निकली जा रही है। इसको लेकर मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर अपनी आपत्ति दर्ज की थी। इसका भी कल ही कोर्ट में जवाब दिया था।