
अयोध्या।रामनगरी अयोध्या में तपस्वी छावनी मंदिर को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता हुआ नजर आ रहा है।तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर जगद्गुरु परमहंस आचार्य की सुरक्षा में कटौती की गई है।परमहंस आचार्य ने गंभीर आरोप लगाए हैं।उन्होंने कहा है कि उनकी सुरक्षा और मंदिर की सुरक्षा अचानक हटा ली गई है,जिससे मंदिर पर कब्जेदारी की आशंका और भी गहरी हो गई है।
परमहंस आचार्य ने कहा कि कुछ दिन पहले एक व्यक्ति ने उन्हें आगाह किया था कि गुजरात का एक व्यक्ति मंदिर पर कब्जा करने की साजिश रच रहा है।उन्होंने कहा कि उस वक्त मंदिर पर कब्जा करने की सूचना को गंभीरता से नहीं लिया,लेकिन अब जब उनकी सुरक्षा हटाई गई है,तब ये बात साफ हो चुकी है कि किसी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के इशारे पर यह सब किया जा रहा है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए परमहंस आचार्य ने हनुमानगढ़ी मंदिर से मदद की अपील की और इस अपील पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन संत प्रेमदास के नेतृत्व में एक इमरजेंसी बैठक बुलाई,जिसमें निर्वाणी अखाड़ा के महासचिव नंद रामदास,उज्जैनिया पट्टी के महंत संत राम दास और कई वरिष्ठ संत बैठक में शामिल हुए।
बैठक के बाद संत समाज ने एक सुर में कहा कि किसी भी कीमत पर तपस्वी छावनी पर कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। संत समाज ने जगद्गुरु परमहंस आचार्य को तन-मन-धन से सहयोग देने की घोषणा की और हनुमान जी की प्रतिमा भेंट कर समर्थन का प्रतीकात्मक संदेश भी दिया।
संत रामदास ने कहा कि यहां के स्थानों को विवादित करना जैसे कुछ लोगों की आदत बन चुकी है,प्रशासन हमारे साथ है और हमें पूरी उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा।महंत प्रेमदास के प्रधान शिष्य महंत महेश दास ने भी साफ शब्दों में कहा कि तपस्वी छावनी पर महंत को स्थापित करने में हनुमानगढ़ी की अहम भूमिका रही है और अब फिर से छावनी की गरिमा खतरे में है तो हनुमानगढ़ी एक बार फिर मजबूती से खड़ी है।
महेश दास ने कहा कि यह विवाद कोई नया नहीं है,तपस्वी छावनी मंदिर के पूर्व महंत सर्वेश्वर दास जी के निधन के बाद भी इसी तरह का कब्जा करने की भी कोशिश की गई थी,तब भी हनुमानगढ़ी के संतों ने हस्तक्षेप कर परमहंस आचार्य को महंत नियुक्त किया था।अब एक बार फिर संत समाज एकजुट हो चुका है और साफ संकेत दे दिए हैं कि अयोध्या की इस ऐतिहासिक तपोस्थली पर किसी भी प्रकार का अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं करेगा।
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