तरबूज में सरस्वती,खरबूजे में काशी मधु,आइए जानें इसकी खासियत
तरबूज में सरस्वती,खरबूजे में काशी मधु,आइए जानें इसकी खासियत

27 May 2025 |   44



 

अयोध्या।भीषण गर्मी में कुछ मीठा और तरावट वाली चीज खाने का मन होता है तो तरबूज तुरंत याद आ आता।तरबूज की मिठास और इसका रसीला गूदा लू और गर्मी के प्रकोप से बचने का सबसे अच्छा तरीका भी होता है।अयोध्या में इन दिनों बोये जाने वाले तरबूज के हर निवाले में मिठास है।इसी विशेषता से सरस्वती प्रजाति का तरबूज किसानों की पहली पसंद है।

हल्के हरे रंग के छिलके वाले सरस्वती प्रजाति का तरबूज अयोध्या के लगभग हर ब्लाॅक में बोया जाता है।अयोध्या में लगभग पांच सौ हेक्टेयर में तरबूज बोया जाता है।प्रति हेक्टेयर लगभग दो सौ क्विंटल तक तरबूज पैदा होता है,जबकि गहरे हरे रंग के शुगर बेबी प्रजाति के तरबूज के दिन अब लद चुके हैं।सरस्वती प्रजाति के तरबूज की मिठास शुगर बेबी पर भारी पड़ रही है।सरस्वती प्रजाति के तरबूज की बोआई मुख्यत: फरवरी माह में होती है और गर्मी की शुरुआत में ही ये बाजार में आ जाता है।इसमें विटामिन सी,ए और पोटेशियम भरपूर मात्रा में पायी जाती है।

इन्हीं गुणों से युक्त काशी मधु प्रजाति के खरबूजे का बोलाबाला है।इस प्रजाति के खरबूजे की मिठास भी खाने वालों को बेहद भाती है।अयोध्या के लगभग प्रत्येक ब्लाॅक में पांच सौ हेक्टेयर में इनकी खेती होती है।हालांकि तरबूज की तुलना में खरबूजे का उत्पादन थोड़ा कम होता है।प्रति हेक्टेयर इनका उत्पादन लगभग डेढ़ सौ क्विंटल होता है।

आचार्य नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञानी डाॅक्टर आस्तिक झा कहते हैं कि तरबूज की सरस्वती और खरबूजे की काशी मधु प्रजाति इन दिनों सबसे ज्यादा पसंद की जा रही है।

जिला उद्यान निरीक्षक अरविंद कुमार कहते हैं कि जिले में खीरा,तरबूज और खरबूजे की तुलना में ककड़ी काफी कम मात्रा में उत्पादित होती है।अधिक उत्पादन के लिए किसान खीरे की हाईब्रिड प्रजाति का उत्पादन कर रहे हैं।

बता दें कि अयोध्या जिले में हरिंग्टनगंज,बीकापुर,मवई और तारुन में लगभग चार सौ हेक्टेयर में खीरे की बोआई होती है। खीरे की विशेषता यह है कि इसमें क्रिस्पीनेस होती है, जबकि पूर्वोत्तर में उत्पादित होने वाला खीरा जूसी होता है।इस क्षेत्र का खीरा पकने पर भूरे रंग का हो जाता है,जबकि पूर्वोत्तर की प्रजाति के खीरे पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं।हालांकि कम उत्पादन के कारण देशी प्रजाति के खीरे का स्थान अब हाईब्रिड लेते जा रह हैं।खीरे में भरपूर मात्रा में विटामिन बी,सी व पोटेशियम पाया जाता है। अयोध्या में लगभग दो सौ क्विंटल प्रति हेक्टेयर खीरे का उत्पादन होता है,जबकि इसके सापेक्ष ककड़ी मुख्यत: मवई ब्लाक में लगभग 30 हेक्टेयर में होती है।

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