वाराणसी।उत्तर भारत में प्रचंड गर्मी पड़ रही है।आलम ये है पारा 44 डिग्री तक पहुंच रहा है।इससे आम जनजीवन खासा प्रभावित हो रहा है।आध्यात्मिक नगरी काशी में घाटों पर लॉकडाउन जैसा नजारा है,घाटों पर सन्नाटा पसरा है।पर्यटकों से गुलजार रहने वाला अस्सी घाट सुनसान पड़ा हुआ है।नाव खाली पड़ी हैं,गंगा की लहरें लू के थपेड़ों के सुर में सुर मिला रही हैं।सामान्य दिनों में अस्सी घाट पर्यटकों से भरा रहता है,लेकिन चिलचिलाती धूप में पर्यटक सुबह ग्यारह बजे तक अपने होटल चले जा रहे हैं और शाम होने का इंतज़ार कर रहे हैं। बता दें कि आध्यात्मिक नगरी काशी में हजारों की संख्या में रोजाना श्रद्धालु पहुंच रहे हैं,लेकिन गंगा घाट सूने नजर आ रहे हैं। पर्यटकों से गुलजार रहने वाला अस्सी घाट सुनसान पड़ा हुआ है,गंगा का जल स्तर भी घट गया है।
हीट आईलैंड की तरह उबल रहे गंगा घाट
तीखी धूप और लू से काशीवासी परेशान हैं,घाट हीट आईलैंड की तरह से धधक रहे हैं,रात में गर्म हवाएं नींद उड़ा रही हैं, लोग करवटें बदलकर अपनी रातें गुजार रहे हैं।इसी बीच मौसम विभाग ने खुशखबरी दी है।मौसम विभाग के मुताबिक 13 जून के बाद वाराणसी समेत पूरे पूर्वांचल में मौसम का मिजाज बदल सकता है,पिछले 15 दिनों से जारी भीषण गर्मी से राहत मिल सकती है, 13 जून के बाद वाराणसी समेत पूरे पूर्वांचल में मानसून के एक्टिव होने का अनुमान है। बिहार-बंगाल के बॉर्डर पर 15 दिनों से रुके बादल आगे बढ़ सकते हैं।वाराणसी समेत पूरे पूर्वांचल में भीषण गर्मी का दौर थम सकता है।
घट रहा गंगा का जलस्तर
आध्यात्मिक नगरी काशी में गंगा का जलस्तर भी घट रहा है। 2024 के दौरान गंगा के जलस्तर में कमी की रफ्तार 38 सेंटीमीटर थी,वह 2025 में बढ़कर 40 सेंटीमीटर हो गई है। जलस्तर की गिरावट में दो सेंटीमीटर की बढ़ोतरी हुई है,गंगा के बीच में जगह-जगह रेत के टीले उभरने लगे हैं।नदी वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर समय रहते नहीं चेते तो गंगा बेसिन की 45 करोड़ की आबादी प्रभावित हो सकती है।
लाखों की संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु
महाकुंभ के पलट प्रवाह के तीन महीने बाद बीते रविवार को वाराणसी में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।लगभग 2.5 लाख श्रद्धालु काशी पहुंचे।घाट से लेकर गलियों तक भक्तों की भीड़ से नजर आई।कॉरिडोर श्रद्धालुओं से भर गया।