कौशांबी।उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले का बहुचर्चित रामबाबू तिवारी आत्महत्या कांड जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है।रेप और पॉक्सो केस में आरोपी बनाए गए रामबाबू के बेटे धुन्नू उर्फ सिद्धार्थ तिवारी को पुलिस ने जेल भेजा था,अब इस मामले में विवेचक ने धारा 376 और पॉक्सो को हटा दिया है।सिद्धार्थ तिवारी के अधिवक्ता का दावा है कि 164 के बयान में पीड़िता ने स्वीकार किया है कि उसने अपनी मां के कहने पर झूठा आरोप लगाया था।इसके बाद कोर्ट ने सिद्धार्थ तिवारी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
यह पूरा मामला जिले के सैनी कोतवाली क्षेत्र के एक गांव का है।जहां सिद्धार्थ तिवारी उर्फ धन्नू पर आठ वर्षीय मासूम बच्ची के साथ बहला फुसलाकर आप्रकृतिक यौन कृत्य करने का आरोप लगाया गया था। मासूम बच्ची के पिता की तहरीर पर पुलिस ने सिद्धार्थ तिवारी के खिलाफ एक्शन लिया और पॉक्सो एक्ट सहित अन्य गंभीर धाराओं में मामला दर्ज करके उसे गिरफ्तार जेल भेज दिया।
पिता रामबाबू तिवारी ने इस पूरे मामले को फर्जी बताया और कहा कि जमीनी विवाद को लेकर ग्राम प्रधान भूप नारायण पाल ने उनके बेटे को फंसाने काम किया है।रामबाबू ने प्रधान और उसके भाइयों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की। रामबाबू ने पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया था। रामबाबू 4 जून को जहरीला पदार्थ खाकर थाने पहुंचा और उसने अपने पेट में आत्महत्या करने का कारण लिखा था। उसके जेब से सुसाइट नोट भी मिला था।
थाने में ही रामबाबू की हालत बिगड़ गई।उसे आनन फानन में अस्पताल भेजा गया। जहां इलाज के दौरान ही रामबाबू की मौत हो गई।पुलिस ने रामबाबू के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।पोस्टमार्टम करने के बाद पुलिस ने शव को परिजनों को सौंप दिया।परिजन शव का अंतिम संस्कार करने के बजाय नेशनल हाईवे 2 में रखकर चक्का जाम कर दिया।पुलिस और परिजनों में तीखी झड़प के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज की,इसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ।
मामला बढ़ने पर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने पथराव चौकी इंचार्ज आलोक कुमार और एसआई कृष्णास्वरूप को निलंबित कर दिया और सैनी थाना अध्यक्ष बृजेश करवरिया को लाइन हाज़िर कर दिया।मामले की विवेचना कड़ाधाम थाना प्रभारी धीरेंद्र कुमार को सौंपी गई। कड़ाधाम थाना प्रभारी ने 164 के बयान की समीक्षा की,जिसमें पीड़िता ने अपनी मां के दबाव में आरोप लगाने की बात कबूली,इसके आधार पर 376 और पॉक्सो की धारा खत्म कर दी गई।
इसके बाद आरोपी सिद्धार्थ तिवारी के वकील अविनाश कुमार त्रिपाठी ने एसीजेएम कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की,जिसे मंज़ूर करते हुए बीते दिन कोर्ट ने सिध्दार्थ तिवारी की रिहाई का आदेश दे दिया।ऐसे में अब बड़ा सवाल ये है कि अगर पहले ही 164 के बयान का अवलोकन कर विवेचना ईमानदारी से होती,तो रामबाबू की जान बच सकती थी।
वकील अविनाश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि लोहदा कांड में पीड़िता के 164 के बयान से स्पष्ट हुआ कि न तो 376 की और न ही पॉक्सो एक्ट की कोई धारा बनती है,जिसपर हमने न्यायालय में 323, 504 की धारा में जमानत अर्जी दी,जिसे कोर्ट ने मंज़ूर कर लिया।ये असत्य पर सत्य की जीत है।