नई दिल्ली।पश्चिम बंगाल की तरह राजधानी का सीआर पार्क इलाका मां दुर्गा की भक्ति में रंग गया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नवरात्रि की अष्टमी तिथि को दिल्ली के सीआर पार्क स्थित काली मंदिर पहुंचे और मां दुर्गा की पूजा में शामिल हुए। पीएम ने पूजा पंडाल में मां दुर्गा की आरती उतारी।इस दौरान दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी मौजूद रहीं।
पीएम मोदी के सीआर पार्क पहुंचने के मद्देनजर ग्रेटर कैलाश-II वेलफेयर एसोसिएशन ने निवासियों के लिए एक एडवाइजरी जारी की।इसमें उनसे अपील की गई कि वह सीआरपार्क की कुछ खास सड़कों पर जानें से बचें। एडवाइजरी में कहा गया कि यात्रा के दौरान सुचारू आवाजाही और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये प्रतिबंध दोपहर 3 बजे से आधी रात तक लागू रहेंगे। इस बीच पीएम मोदी का दुर्गा पूजा के समय सीआर पार्क पहुंचना आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव प्रचार के संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है।
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दुर्गा पूजा उत्सव में भाग लेने के लिए गुरुवार रात को कोलकाता पहुंचे थे।हवाई अड्डे पर बंगाल के भाजपा के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा ने अमित शाह का स्वागत किया था।अमित शाह ने शुक्रवार को उत्तर कोलकाता में संतोष मित्रा स्क्वायर सार्वजनिन दुर्गोत्सव समिति के पंडाल का उद्घाटन किया। भाजपा पार्षद सजल घोष द्वारा आयोजित इस दुर्गा पूजा पंडाल में ऑपरेशन सिंदूर को दर्शाया गया है।
आइए जानते हैं कि दिल्ली के सीआर पार्क में दुर्गा पूजा के बारे में
लाल किला और इंडिया गेट दिल्ली की ऐतिहासिक पहचान हैं।वैसे ही बंगाली संस्कृति का जीवंत अहसास चितरंजन पार्क है। हर साल शारदीय नवरात्र में ये स्थान मानो कोलकाता का अक्स बन जाता है,तभी तो इसे मिनी बंगाल भी कहा जाता है।पंडालों में बोधन के साथ श्रद्धा और परंपरा से मां दुर्गा का आह्वान होता है।गली-गली बंगाली छठा में डूबी होती है,ढाक की गूंज,भव्य पंडालों की दिव्य जगमगाहट,हवा में घुली खिचड़ी व लाबड़ा की खुशबू,हर आगंतुक को अनुभूति कराती है।चितरंजन पार्क,जहां पीढ़ियों से बसे बंगाली परिवारों ने यहां परंपरा को संजोने के साथ समृद्ध भी किया है।दक्षिणी दिल्ली में बसी इस छोटी सी बंगाली दुनिया के लिए दुर्गा पूजा धार्मिक अनुष्ठान,संस्कृति,कला और परंपरा यानी वो सब कुछ है जो हमे हमारी प्रकृति से जोड़े रखे है।
पंडालों में भव्य मूर्तियां,रंग-बिरंगी सजावट और शाम को होने वाले सांस्कृतिक उत्सव हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं,जहां बच्चों की हंसी,बुजुर्गों की सुनहरी यादें और युवाओं का उत्साह सभी एक संग घुलमिल जाता है।सिंदूर खेला की उमंग,धुनुची नृत्य की लय- हर रस्म में श्रद्धा और उल्लास,घरों में पारंपरिक मिठाइयां,पापड़ और व्यंजनों की खुशबू से गलियां महकती हैं।पूरे दिन का माहौल एक खूबसूरत कहानी की तरह चलता है।सुबह आराधना,शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम और रात को पंडालों की रोशनी में भक्तों में उत्साह रहता है।पंडाल में आपको कोई कैमरे और मोबाइल में इस रंग-बिरंगे उत्सव को कैद करता दिखेगा,तो कोई परिवार अपनी पीढ़ियों की परंपरा को निभाते हुए आनंद लेता हुआ नजर आता है। कहा जा सकता है यहां की नवरात्र की रौनक संस्कृति की जीवंत धरोहर है,जिसमें नई पीढ़ी भी जड़ों और परंपरा से जुड़ जाती है।
दिल्ली में दुर्गा पूजा की परंपरा की जड़ें चितरंजन पार्क से ही जुड़ी हैं।यहीं से दुर्गोत्सव की शुरुआत हुई और धीरे-धीरे यह पूरे एनसीआर का सबसे बड़ा सांस्कृतिक आकर्षण बन गया। यहां आने वाले हर शख्स के लिए यह पूजा सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, घर से दूर भी अपनत्व का अनुभव है।चितरंजन पार्क का दुर्गोत्सव,यह संदेश देता है कि परंपरा चाहे कितनी भी दूर क्यों न हो,अगर उसे दिल से जिया जाए तो वह मिटती नहीं,बल्कि और गहरी जड़ें हो जाती हैं,इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि सीआर पार्क में तीन दुर्गा पूजा समितियां इस साल अपना स्वर्णिम आयोजन कर रही हैं। इसे खास बनाने के लिए कई विशेष तैयारियां की गई हैं।