इस रक्षाबंधन पर 474 साल बाद बन रहा अद्भुत महासंयोग,जानिए शुभ मुहूर्त
इस रक्षबंधन पर 474 साल बाद बन रहा अद्भुत महासंयोग,जानिए शुभ मुहूर्त



18 Aug 2021 |  612



 



 

नई दिल्ली।भाई बहनों का अटूट रिश्ता रक्षा बंधन का त्योहार आने में अब कुछ ही दिन बचे हैं।इस बार ये त्योहार 22 अगस्त को मनाया जाएगा।रक्षा बंधन पर 474 साल बाद एक खास महासंयोग भी बन रहा है।



ज्योतिषियों के अनुसार आमतौर पर रक्षा बंधन का त्योहार श्रवण नक्षत्र में मनाया जाता है लेकिन इस बार ये त्योहार सावन पूर्णिमा पर धनिष्ठा नक्षत्र के साथ मनाया जाएगा।ज्योतिषियों के अनुसार इस बार राखी पर भद्रा का साया भी नहीं रहेगा जिसके कारण बहनें पूरे दिन भाई को राखी बांध सकेंगी। इस दौरान कुंभ राशि में गुरु की चाल वक्री रहेगी और इसके साथ चंद्रमा भी वहां मौजूद रहेगा।



इस बार रक्षाबंधन पर सुबह 5.50 से लेकर शाम 6.03 तक शुभ मुहूर्त है यानी आप इस दौरान कभी भी राखी बांध या बंधवा सकते हैं। जबकि भद्रा काल 23 अगस्त को सुबह 5 बजकर 34 मिनट से 6 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। इस दिन शोभन योग सुबह 10 बजकर 34 मिनट तक तक रहेगा और धनिष्ठा नक्षत्र शाम 7 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। ऐसा कहते हैं कि धनिष्ठा नक्षत्र में पैदा होने वाले लोगों का भाई-बहन से रिश्ता बहुत खास होता है।



ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार रक्षा बंधन पर सिंह राशि में सूर्य, मंगल और बुध ग्रह एक साथ विराजमान होंगे।सिंह राशि का स्वामी सूर्य है। इस राशि में मित्र मंगल भी उनके साथ रहेगा। जबकि शुक्र कन्या राशि में होगा। ग्रहों का ऐसा योग बेहद शुभ और फलदायी रहने वाला है। ज्योतिषियों का कहना है कि रक्षा बंधन पर ग्रहों का ऐसा दुर्लभ संयोग 474 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 11 अगस्त 1547 को ग्रहों की ऐसी स्थिति बनी थी।



ज्योतिषियों का कहना है कि इस वर्ष शुक्र बुध के स्वामित्व वाली राशि कन्या में स्थित रहेंगे। रक्षा बंधन पर ऐसा संयोग भाई-बहन के लिए अत्यंत लाभकारी और कल्याणकारी रहेगा। खरीदारी के लिए राजयोग भी बेहद शुभ माना जाता है।



गुरु और चंद्रमा की इस युति से रक्षा बंधन पर गजकेसरी योग बन रहा है।जब चंद्रमा और गुरु केंद्र में एक दूसरे की तरफ दृष्टि कर बैठे हों तो यह योग बनता है।यह योग लोगों को भाग्यशाली बनाता है।इससे लोगों की धन संपत्ति, मकान, वाहन जैसे सुखों की प्राप्ति होती है।गज केसरी योग बनने से राजसी सुख और समाज में मान-सम्मान की भी प्राप्ति होती है।


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