नई दिल्ली। दुश्मन देश पाकिस्तान और उसकी खूफिया एजेंसी आईएसआई अपने मंसूबे में फेल होने के बाद भी भारत के खिलाफ षड़यंत्र रचने से पीछे नहीं हटते।भारत की खुफिया एजेंसियों ने तीन महीने के एक बारीकी से प्लान किए गए गुप्त ऑपरेशन में एक बड़े जासूसी गिरोह का पर्दाफाश किया है।एएनआई के मुताबिक आईएसआई राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोई बड़ा आतंकी हमला करने की साजिश रच रही थी। आईएसआई ने इसके लिए अपने दो गुर्गों को काम पर लगा दिया था,इसमें अंसारुल मियां अंसारी और एक पाकिस्तानी एजेंट भी शामिल है।उसे भारतीय सशस्त्र बलों के बारे में संवेदनशील जानकारी इकट्ठा करने का काम सौंपा गया था।
न्यूज एजेंसी एएनआई ने बताया कि जांच में दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के कुछ कर्मचारियों पर भी संदेह की सुई घूम रही है। शक है कि आईएसआई के अधिकारी मुजम्मिल और एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश,जो भारतीय YouTubers और इन्फ्लुएंसर्स को अपने प्रभाव में ले रहे थे, वे भी इस साजिश में शामिल थे।
दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच में बताया कि जनवरी से मार्च 2025 तक चले एक गुप्त ऑपरेशन में दो आईएसआई एजेंटों की गिरफ्तारी के साथ आईएसआई के स्लीपर सेल के एक नेटवर्क का भंडाफोड़ किया गया। दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर एजेंसियों ने दो एजेंटों को गिरफ्तार किया, जिनमें नेपाली मूल का आईएसआई एजेंट अंसारुल मियां अंसारी भी शामिल था,इसके पास से सेना से संबंधित कई गोपनीय दस्तावेज बरामद किए गए। दिल्ली पुलिस ने मई में एक चार्जशीट दाखिल की है और दोनों गिरफ्तार आईएसआई एजेंट तिहाड़ जेल में बंद हैं।
यह ऑपरेशन जनवरी में एक बिना किसी स्पष्ट सूचना के साथ शुरू हुआ। तब आईएसआई ने गोपनीय दस्तावेज/तस्वीरें/गूगल कोऑर्डिनेट्स इकट्ठा करने के लिए एक जासूस को भेजा था और वह नेपाल के रास्ते दिल्ली पहुंचने वाला था। इसके बाद जांचकर्ताओं ने इस सूचना को और विकसित किया,जिससे पता चला कि दिल्ली में एक हमले की योजना बनाई जा रही थी और सशस्त्र बलों के बारे में डिटेल जानकारी का उपयोग आतंकी हमले की योजना बनाने के लिए किया जाना था।
सूत्रों ने बताया कि इतने बड़े दांव के बावजूद,खुफिया अधिकारियों को कुछ खास प्रगति करने के लिए फरवरी के मध्य तक इंतजार करना पड़ा।सूत्रों ने बताया कि आईएसआई एजेंट दिल्ली पहुंच चुका था और उसने गोपनीय सैन्य दस्तावेज इकट्ठा कर लिए थे। जाल बिछाया गया और 15 फरवरी को अंसारी को संवेदनशील दस्तावेजों के साथ मध्य दिल्ली में तब पकड़ा गया जब वह नेपाल के रास्ते पाकिस्तान वापस जा रहा था।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नेपाली मूल का आईएसआई एजेंट अंसारुल मियां अंसारी,दिल्ली में पकड़ा गया जब वह पाकिस्तान जाने की कोशिश कर रहा था।वह आईएसआई के कहने पर दिल्ली आया था। आईएसआई ने अंसारुल को गोपनीय दस्तावेजों की एक सीडी बनाने और उसे पाकिस्तान भेजने के लिए कहा था। उसकी पूछताछ के बाद रांची में एक और व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया गया।
सूत्रों ने आगे बताया कि दिल्ली के एक होटल से गिरफ्तार किए गए नेपाली अंसारुल मियां अंसारी ने खुलासा किया कि वह कतर में टैक्सी चलाता था,जहां उसकी मुलाकात एक आईएसआई हैंडलर से हुई। बाद में अंसारुल को पाकिस्तान ले जाया गया,जहां उसे कई दिनों तक आईएसआई के शीर्ष अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षित किया गया और फिर नेपाल के रास्ते दिल्ली भेजा गया।
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के अनुसार यह एक गुप्त ऑपरेशन था,जिसमें केंद्रीय एजेंसियां शामिल थीं। दिल्ली पुलिस ने मई में चार्जशीट दाखिल की।यह ऑपरेशन जनवरी से मार्च 2025 तक चला, जिसमें दो लोगों को गिरफ्तार किया गया और दोनों को तिहाड़ जेल में रखा गया है।
सूत्रों ने बताया कि यह ऑपरेशन जासूसी के हुनर का एक उत्कृष्ट उदाहरण था,जिसमें एजेंसी के अधिकारी हर कदम पर जासूस से एक कदम आगे रहे। सूत्र ने कहा कि हमारे आदमी भारत के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय पाक-समर्थित आतंकी संगठनों और उन्हें लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करने वाली स्लीपर सेल के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का प्रयास कर रहे थे। पंजाब में पुलिस प्रतिष्ठानों के बाहर आईएसआई-समर्थित आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल द्वारा कुछ ग्रेनेड हमलों को अंजाम दिए जाने के बाद एजेंसी को उत्तर-पश्चिमी भारत में सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालने की एक बड़ी साजिश का संदेह हुआ।
इसे देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में किसी भी आतंकी हमले की ऐसी योजना को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाए गए। स्रोतों को सक्रिय किया गया,जिसके परिणामस्वरूप इस संदिग्ध की यात्रा योजनाओं के बारे में जानकारी मिली। अंसारी को बाद में पुलिस को सौंप दिया गया। उसे भारतीय सशस्त्र बलों से संबंधित गोपनीय दस्तावेज रखने और अपने पाकिस्तानी आकाओं को सप्लाई करने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। राजकीय गोपनीयता अधिनियम के तहत एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई।
जांच में रांची निवासी अखलाक आजम की भूमिका का भी पता चला,जो भारत में अंसारुल को लॉजिस्टिक्स सहायता प्रदान कर रहा था।सूत्रों ने बताया कि दोनों अपने पाकिस्तानी आकाओं के साथ लगातार संपर्क में थे और उनकी बातचीत में संदेह और साज़िश भरी हुई थी।आजम को बाद में मार्च में गिरफ्तार कर लिया गया। उनके मोबाइल उपकरणों के विश्लेषण से गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों और उनके पाकिस्तानी आकाओं के बीच संदिग्ध बातचीत का पता चला,जिससे एक बड़ी साजिश का संकेत मिला। कुछ दिनों पहले दो संदिग्धों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की गई है,जबकि इस साजिश में शामिल अन्य व्यक्तियों की पहचान के लिए आगे की जांच जारी है।
अंसारी कौन था,उसकी पृष्ठभूमि की गहराई से जांच करने पर धोखे और कट्टरता का एक जटिल जाल सामने आया। पूछताछ के दौरान अंसारी ने खुलासा किया कि वह मूल रूप से नेपाल का रहने वाला था,लेकिन 2008 से कतर में टैक्सी चालक के रूप में रह रहा था और काम कर रहा था,जहां उसे एक आईएसआई एजेंट ने भर्ती किया था। पैसा पहली प्रेरणा थी और उसके बाद बड़े मकसद के बारे में ब्रेनवॉश किया गया। उसे पाकिस्तान जाने और रावलपिंडी में अपने हैंडलर से मिलने के लिए कहा गया।
एक रिपोर्ट में अदालत में दायर किया गया है।जून 2024 में उसने एक महीने के लिए पाकिस्तान का दौरा किया,जहां उसे पाकिस्तानी सेना के उच्च पदस्थ अधिकारियों से मिलवाया गया और भारत में बाबरी मस्जिद विध्वंस और CAA/NRC के कार्यान्वयन जैसे मुद्दों पर चर्चा करके उसे कट्टरपंथी बनाया गया। अंसारी को जासूसी में भी प्रशिक्षित किया गया और दिल्ली से गुप्त दस्तावेज प्राप्त करने का काम सौंपा गया।
अदालत द्वारा चार्जशीट का संज्ञान लेने के बाद मुकदमा जल्द ही शुरू होने वाला है।गिरफ्तार किए गए दोनों व्यक्ति तिहाड़ जेल के उच्च सुरक्षा विंग में बंद हैं। सूत्रों ने बताया कि उन पर विशेष नजर रखी जा रही है ताकि वे अन्य कैदियों को ब्रेनवॉश करने का प्रयास न करें। एक शीर्ष अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे को रोकने के लिए हाई अलर्ट पर हैं। यह बिल्ली और-
चूहे का खेल हो सकता है,लेकिन भारत की एजेंसियां लगाम अपने हाथ में रखना चाहती हैं।