नई दिल्ली।भारत के पड़ोस में अमेरिका ने अपने फाइटर जेट की तैनाती बढ़ा दी है।पाकिस्तान में नहीं बल्कि अमेरिका ने भारत के पास मौजूद अपने एक डिफेंस बेस पर F-15E स्ट्राइक ईगल लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाई है।सवाल है कि आखिर अमेरिका किसके खिलाफ यह तैनाती कर रहा है। अमेरिका के फाइटर जेट कई बार भारत के लिए खतरा बनते हैं।दरअसल अमेरिका ने पाकिस्तान को F-16 फाइटर जेट दिए हुए हैं,इनका इस्तेमाल आतंक के खिलाफ होना था, लेकिन भारत के खिलाफ इनका इस्तेमाल करने में पाकिस्तान पीछे नहीं रहता है।
अब अमेरिका ने अपने फाइटर जेट की तैनाती हिंद महासागर में मौजूद डिएगो गार्सिया में बढ़ा दी है।अमेरिकी वायु सेना ने यहां F-15E स्ट्राइक ईगल लड़ाकू विमानों की संख्या चार से बढ़ाकर छह कर दी है।ये भारत के खिलाफ नहीं है,बल्कि अमेरिका ऐसा इरान को लेकर कर रहा है।यह कदम ईरान के साथ बढ़ते तनाव और यमन में हूती विद्रोहियों पर अमेरिकी बमबारी के बीच उठाया गया है।ये लड़ाकू विमान डिएगो गार्सिया की सुरक्षा और वहां तैनात बी-52 बमवर्षक विमानों की रक्षा के लिए भेजे गए हैं।पहले इस द्वीप पर बी-2 स्टील्थ बमवर्षक विमान तैनात थे, जिन्हें अब बी-52 से बदल दिया गया है।
द वार जोन की रिपोर्ट के मुताबिक ये F-15 विमान जापान के काडेना एयर बेस से आए हैं,जो डिएगो गार्सिया से करीब 7081 किमी दूर है,अमेरिका ने पिछले महीने उत्तरी केरोलिना के सेमौर जॉनसन एयर फोर्स बेस से 336वें फाइटर स्क्वाड्रन के F-15 विमानों को काडेना भेजा था।डिएगो गार्सिया हिंद महासागर में एक रणनीतिक सैन्य अड्डा है,जहां अमेरिकी वायु सेना, नौसेना और स्पेस फोर्स की गतिविधियां होती हैं।भारत में केरल के तट से डिएगो गार्सिया की दूरी 1800 किमी है,यह द्वीप लंबे समय से अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण रहा है,अगर ईरान को खतरा महसूस होता है तो वह ही न यहां हमल कर दे इसे ध्यान में रखते हुए अब इसकी सुरक्षा को और मजबूत किया जा रहा है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि F-15 विमान अपनी मल्टीरोल क्षमता के कारण इस द्वीप और वहां तैनात बमवर्षक विमानों की रक्षा के लिए उपयुक्त हैं।फिलहाल द्वीप पर छह F-15 विमानों के साथ चार बी-52 बमवर्षक, तीन केसी-135 टैंकर विमान और एक सी-17 कार्गो विमान भी मौजूद हैं।यह कदम भारत और पड़ोसी देशों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि डिएगो गार्सिया हिंद महासागर में एक प्रमुख सैन्य केंद्र है।