अब बड़ा भाई नहीं,बराबरी का फॉर्मूला,यूपी में क्या टूट रही है अखिलेश-राहुल की जोड़ी
अब बड़ा भाई नहीं,बराबरी का फॉर्मूला,यूपी में क्या टूट रही है अखिलेश-राहुल की जोड़ी

27 May 2025 |   35



अब बड़ा भाई नहीं,बराबरी का फॉर्मूला,यूपी में क्या टूट रही है अखिलेश-राहुल की जोड़ी

कांग्रेस-सपा गठबंधन में बढ़ा तनाव,मसूद ने 80-17 सीट बंटवारे को किया खारिज,कांग्रेस यूपी में चाहती है बराबरी का रिश्ता

लखनऊ। सहारनपुर से कांग्रेस इमरान मसूद के 80-17 सीट बंटवारे के बयान से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस-सपा गठबंधन में तनाव बढ़ा है।मसूद ने 2027 के विधानसभा चुनाव में बराबरी का रिश्ता मांगा है,जिससे सपा पर दबाव बढ़ा है।कांग्रेस अब सपा को बड़ा भाई मानने को तैयार नहीं है।इमरान मसूद के हालिया बयान से इंडिया गठबंधन में उठापटक नजर आ रही है।

इमरान मसूद के बयान से यूपी की सियासत में हलचल 

इमरान मसूद ने 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस के बीच 80-17 सीट बंटवारे के फॉर्मूले को 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए खारिज कर दिया है।मसूद के इस बयान के बाद यूपी की सियासत में हलचल देखने को मिल रही है।मसूद ने कहा कि 2027 में 80 में से 17 का फॉर्मूला अब नहीं चलेगा और कांग्रेस को बैसाखी की जरूरत नहीं।मसूद का इस बयान से साफ है कि कांग्रेस अब यूपी में सपा के साथ बराबरी का रिश्ता चाहती है।

सपा-कांग्रेस में सीट को लेकर घमासान

इमरान मसूद 2024 लोकसभा चुनाव में सहारनपुर से सपा-कांग्रेस गठबंधन से कांग्रेस से सांसद बने।यूपी में मुस्लिम मतदाताओं के बीच मसूद प्रभावशाली चेहरा हैं।मसूद ने बयान में यह दावा कि 2024 में गठबंधन की 43 सीटों की जीत (सपा-37, कांग्रेस-6) राहुल गांधी के नेतृत्व और भारत जोड़ो यात्रा का परिणाम थी।मसूद का कहना कि 2027 में सभी 403 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस तैयारी कर रही है और गठबंधन होने पर भी सम्मानजनक सीट बंटवारा चाहिए।मसूद का यह बयान साफ़ संकेत देता है कि कांग्रेस अब सपा को बड़ा भाई मानने को तैयार नहीं है।

सपा पर दबाव बनाने की कोशिश

सपा के सूत्रों का दावा है कि इमरान मसूद का बयान कांग्रेस की सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है,जिसमें दूसरी पंक्ति के नेताओं के जरिए सपा पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा रहा है,यह रणनीति कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व,विशेष रूप से प्रियंका गांधी और राहुल गांधी की स्वीकृति के बिना संभव नहीं लगती।मसूद जो पहले सपा और बसपा में रह चुके हैं अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने के लिए कांग्रेस को यूपी में पुनर्जनन की भूमिका में पेश कर रहे हैं।

सपा देना चाहती है 35-40 सीटें

सपा सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पार्टी किसी भी हाल में कांग्रेस को 35-40 से अधिक सीटें नहीं देगी। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा ने 80 में से 63 सीटों पर चुनाव लड़ा और 37 सीटें जीतीं,जबकि कांग्रेस को 17 सीटें मिलीं,जिनमें से 6 पर जीत हासिल हुई। सपा का मानना है कि उसकी सामाजिक गठजोड़ रणनीति, खासकर पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक), यूपी में अधिक प्रभावी है।सपा नेता अखिलेश यादव की छवि और स्थानीय संगठनात्मक ताकत को देखते हुए पार्टी खुद को गठबंधन का नेतृत्वकर्ता मानती है।

मसूद ने पीडीए मॉडल पर उठाए सवाल

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने सपा के पीडीए मॉडल पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें मुस्लिम समुदाय की भूमिका स्पष्ट नहीं है। मसूद का यह बयान सहारनपुर जैसे क्षेत्रों में, जहां मुस्लिम मतदाता (लगभग 42%) निर्णायक हैं,सपा के लिए चुनौती बन सकता है।मसूद का सपा विधायक आशु मलिक के खिलाफ शाहनवाज खान को उतारने का ऐलान भी स्थानीय स्तर पर गठबंधन में तनाव को दर्शाता है।

गठबंधन की चुनौतियां और संभावनाएं

सपा-कांग्रेस गठबंधन ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 33 सीटों तक सीमित कर शानदार सफलता हासिल की थी,लेकिन हरियाणा (2024) और दिल्ली (2025) विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के अलग-अलग रास्ते अपनाने से गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठे हैं। इमरान मसूद का बयान इस बात का संकेत है कि कांग्रेस अब यूपी में अपनी सियासी जमीन वापस पाने के लिए आक्रामक रुख अपना रही है।दूसरी ओर सपा का मानना है कि उसका सामाजिक आधार और अखिलेश यादव की लोकप्रियता गठबंधन में उसे मजबूत स्थिति देती है।

भाजपा को हो सकता है फायदा

सहारनपुर में इमरान मसूद और सपा विधायक आशु मलिक के बीच चल रही सियासी जंग गठबंधन के लिए स्थानीय स्तर पर खतरा बन सकती है।मसूद का दावा कि कांग्रेस सहारनपुर की सभी सात विधानसभा सीटों पर लड़ेगी,सपा के लिए प्रत्यक्ष चुनौती है।अगर दोनों दल 2027 में अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं तो मुस्लिम और दलित वोटों के बंटवारे से भाजपा को फायदा हो सकता है।

कांग्रेस गठबंधन में चाहती है बराबरी का रिश्ता

इमरान मसूद का 80-17 बयान कांग्रेस की नई रणनीति को दर्शाता है,जिसमें कांग्रेस सपा के साथ बराबरी का रिश्ता चाहती है।यह बयान गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठाता है, खासकर तब जब सपा 35-40 से अधिक सीटें देने को तैयार नहीं है।यूपी में 2027 के विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं, लेकिन दोनों दलों को आपसी तनाव को कम कर एकजुटता दिखानी होगी,वरना भाजपा इसका फायदा उठा सकती है। मसूद जैसे नेताओं की आक्रामकता और सपा की बड़े भाई वाली भूमिका के बीच संतुलन गठबंधन की सफलता की कुंजी होगी।

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