रिपोर्ट-तुर्रम सिंह राजपूत
एटा।जलेसर में दरगाहों को लेकर विवाद पहले से छिड़ा हुआ है। वहीं छोटे मियां की दरगाह पर इस समय दलालों के जमावड़े से श्रद्धालु परेशान हैं।अभी बड़े मियां की दरगाह का स्वामित्व का विवाद शांत भी नहीं हो पाया कि अब जलेसर स्थित छोटे मियां की दरगाह पर भी दलालों के बोलबाले से श्रद्धालु डरे सहमे नजर आने लगे हैं।
बता दें कि जलेसर में हसायन रोड पर बड़े मियां की दरगाह और उससे लगभग 1 किलोमीटर दूर मोहल्ला छत्ता में छोटे मियां की दरगाह है। इन दोनों दरगाहों में दूरदराज़ से लाखों की संख्या में श्रद्धालु जात( पूजा-अर्चना) करने आते हैं। पहले वे बडे मियाँ की दरगाह में जाते हैं और उसके बाद छोटे मियां की दरगाह में जाते हैं। दोनों ही दरगाहों की श्रद्धालुओ में बड़ी मान्यता है।
दरअसल इस दरगाह पर भी बड़े मियां दरगाह कमेटी पदाधिकारियों के परिजनों का ही कब्जा था। कार्रवाई होने के बाद ये लोग भी कस्बा जेलसर छोड़कर भागे हुए हैं।ग्राम पंचायत समिति सहित कुछ स्थानीय लोगों की देख-रेख की जिम्मेदारी सौंपी गई है।जबकि चढ़ावे में आने वाला पैसा सरकारी कोष में जमा किया जाना तय हुआ है।
हालांकि जब आरोप करोड़ों रुपये का था तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बड़े मियां दरगाह पर घोटाला के नाम पर मेला लगाया था तो यहां एक प्रबंध समिति बनाकर बड़े मियां दरगाह का संचालन पुनः कर दिया गया। अब बारी छोटे मियां दरगाह की आई है तो क्या दलालों पर आरोप लगा कर वैदिक नैतिकता थोड़ी तोड़ी जाएगी।यदि छोटे मियां दरगाह को नजरअंदाज भी कर दिया जाए तो बताओ भला यहां प्रशासन द्वारा कौनसी समिति बनाई जाएगी।
जिस बड़े़ मियां दरगाह पर विशेष समुदाय के लोगों द्वारा कुछ चढ़ावा अपने निजी प्रयोजन में लिया गया होगा तो करोड़ों के आरोप लगाकर एफआईआर लॉन्च कर दी गयी थी। उसी दरगाह पर प्रशासन द्वारा समिति गठित की गई तबसे मामला लाखों में सिमट कर रह जाये तो बताइए अब और कैसे सवाल होने चाहिए।अपराधियों में डर होना जरूरी है किसी विशेष समुदाय में नहीं सबको पता है करोड़ों रुपये के आरोप उन पर वेवजह लगाए गए थे।
करोड़ों का मामला सामने आने के बाद प्रबंध समिति से जुड़े पदाधिकारी व सदस्य फरार हो गए, जबकि छोटे मियां की दरगाह पर जात कराने वाले लोग भी इसी परिवार के थे, वे भी कार्रवाई के बाद से लाचार हो गये।अब पुनः नई समिति द्वारा दरगाह से हो रही करोड़ों रुपये की अवैध कमाई क्या इसी को छिपाने के लिए आये दिन ऐसा कुतर्क किया जा रहा है।
बड़ा सवाल ये है कि जलेसर में बड़े मियां दरगाह पर प्रशासन की नजर बनी हुई है ये अजब बात है।अब छोटे मियां दरगाह पर प्रशासन की नजर नहीं है ये भी गजब बात है, या यहां पर तैनात दलालों की दलाली इसी प्रकार चलती रहेगी ये भी लाजवाब बात है।जब पकड़ी जाएगी इनकी चोरी तब क्या अलग से कार्यवाही की जाएगी अर्थात पूर्व में 99 करोड़ के आरोपों में ही कुछ नाम बढ़ा दिए जाएंगे।राज्य के कोष में जाने वाले करोड़ों रुपयों की हो रही है धांधली ऊपर से सिस्टम का तमाशा बनाकर क्या भद्दा मज़ाक किया जा रहा है।
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