ब्यूरो धीरज कुमार द्विवेदी
लखनऊ।पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण के निजीकरण का मामला कई फॉल्ट से उलझता हुआ दिख रहा है।विद्युत नियामक आयोग ने सोमवार को निजीकरण प्रस्ताव का मसौदा कई आपत्तियां लगाकर लौटा दिया है। नियामक आयोग ने कहा कि पहले उसकी ओर से चिह्नित कमियों को दूर करें।फिर निजीकरण पर बात होगी।
नियामक आयोग में सोमवार को बिजली निजीकरण को लेकर हाईपॉवर कमेटी की बैठक हुई।मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव नरेंद्र भूषण और पाॅवर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल की मौजूदगी में आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार के सामने निजीकरण प्रस्ताव का प्रस्तुतीकरण किया गया।
सूत्रों के मुताबिक कॉर्पोरेशन बिजली दर की सुनवाई शुरू होने से पहले ही निजीकरण प्रस्ताव को मंजूरी देने की मांग कर रहा था। आयोग ने ट्रांजेक्शन एडवाइजर कंपनी की पूरी बात सुनने के बाद तर्क दिया कि पूर्व में दिए प्रस्ताव में कई कमियां हैं। पहले उन कमियों को दूर करें।
नियामक आयोग ने कहा कि अब तक निजीकरण पर उठे कानूनी सवालों का जवाब ढूंढ़कर प्रस्ताव में शामिल करें। फिर प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। नियामक आयोग ने कहा कि दो दिन बाद बिजली दर की सुनवाई शुरू होने जा रही है। ऐसे में निजीकरण प्रस्ताव पर कोई मत देना कानूनी लिहाज से ठीक नहीं है।
बता दें कि ऐसा पहली बार हुआ है कि मुख्य सचिव समेत छह से अधिक नौकरशाह एक साथ नियामक आयोग पहुंचे। इससे साफ है कि निजीकरण के मसले पर आयोग की चिह्नित कमियां महत्वपूर्ण है। नियामक आयोग ने 7 जुलाई को मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की सुनवाई का आदेश दिया था, लेकिन दो दिन पहले इसे स्थगित कर दिया। अब पहली सुनवाई 9 जुलाई को केस्को कानपुर में होगी।
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने निजीकरण से जुड़े हर कदम की जांच की मांग की है। वर्मा ने कहा कि एकसाथ इतने अफसरों का पहुंचना साबित करता है कि आयोग ने गंभीर वित्तीय व सांविधानिक कमियां उजागर की हैं। ऐसे में दबाव बनाकर प्रस्ताव पास कराने की कोशिश की जा रही है। वर्मा ने कहा कि बिजली दर सुनवाई के दौरान भी निजीकरण से जुड़े हर पहलू में बरती लापरवाही का मुद्दा उठाया जाएगा।