यूपी के एक जिले में बिना यात्री वाले चार रेलवे स्टेशन, यहां से गुजरती हैं 60 ट्रेनें,रुकती एक भी नहीं
यूपी के एक जिले में बिना यात्री वाले चार रेलवे स्टेशन, यहां से गुजरती हैं 60 ट्रेनें,रुकती एक भी नहीं

18 Sep 2025 |   37



 

अंबेडकरनगर।देश में रेलवे का विशाल नेटवर्क है।लगभग साढ़े सात हजार रेलवे स्टेशन है।इन रेलवे स्टेशनों से रोज करोड़ों यात्री यात्रा करते हैं।इनमें कुछ रेलवे स्टेशन ऐसे भी हैं,जहां से न यात्री यात्रा करते हैं और न माल की ही बुकिंग होती है।रेलवे ट्रैक भी है,स्टेशन और प्लेटफार्म भी है,स्टेशन अधीक्षक समेत अन्य स्टाफ की नियुक्ति भी है।ऐसे एक नहीं चार रेलवे स्टेशन उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले में हैं।जिले में कुल छह रेलवे स्टेशन हैं,लेकिन केवल अकबरपुर और मालीपुर रेलवे स्टेशन से यात्रियों के आने जाने और लगेज की बुकिंग करने और मांगने व भेजने की व्यवस्था है।वहीं जिन रेलवे स्टेशनों पर इनकी व्यवस्था नहीं है,उनमें जाफरगंज,कटेहरी,टांडा और सूरापुर शामिल हैं।इन रेलवे स्टेशनों से 60 से अधिक ट्रेन गुजरती हैं,लेकिन रुकती एक भी नहीं हैं।स्टॉफ और संसाधन के बावजूद ट्रेन नहीं रुकती हैं और ना ही यहां से माल की बुकिंग ही होती है।

2020 से नहीं रुकती है कोई ट्रेन

अंबेडकरनगर जिले में रेलवे के दो रूट हैं,जिसमें एक अकबरपुर टांडा और दूसरा वाराणसी लखनऊ रूट है।वहीं टांडा,सूरापुर,कटेहरी,अकबरपुर,जाफरगंज और मालीपुर रेलवे स्टेशन हैं।इनमें से केवल मालीपुर और अकबरपुर रेलवे स्टेशन पर ही यात्रियों के टिकट लेने,ट्रेन में बैठने और यात्रा करने,किसी अन्य रेलवे स्टेशन से यात्रा कर इन दोनों रेलवे स्टेशन पर उतरने की सुविधा हैं।अन्य चार रेलवे स्टेशन पर इनमें से कोई एक भी सुविधा नहीं है।टांडा और सूरापुर स्टेशन पर जहां यात्री ट्रेन आती ही नहीं।वहीं कटेहरी और जाफरगंज में ट्रेन तो आती हैं,लेकिन उनका ठहराव ही नहीं होता है। साल 2020 से कोई यात्री ट्रेन नहीं रुकती है।

पहले नहीं था ऐसा,ब्रिटिश हुकूमत में यहां रुकती थीं ट्रेने

पहले ऐसा नहीं था। ब्रिटिश हुकूमत से ही कटेहरी और जाफरगंज रेलवे स्टेशन पर सालों तक यात्रियों की ट्रेन पर बैठने और उतरने की सुविधा थी।रेलवे स्टेशन कटेहरी और जाफरगंज में दो जोडी़ ट्रेनों में बैठकर यात्री यात्रा करते थे।इसी तरह अन्य बड़े स्टेशनों से ट्रेनों में पर बैठकर यात्री यात्रा करते थे। साल 2020 में चारों ट्रेनों को बंद कर दिया गया। फिर इन चारों ट्रेनों का संचालन नहीं किया गया।तब से ये दोनों रेलवे स्टेशन सिर्फ नाम के हैं।वजह न तो कोई ट्रेन रुकती है और न यात्री स्टेशन पर आते हैं।

1983 से बंद है ट्रेन का संचालन

कटेहरी और जाफरगंज रेलवे स्टेशन जैसा हाल टांडा रेलवे स्टेशन का भी है।पहले अकबरपुर टांडा रेल खंड पर यात्री गाड़ी चलती थी।ट्रेनें इन दोनों रेलवे स्टेशनों के साथ सूरापुर रेलवे स्टेशन पर भी रुकती थीं।तीन जोड़ी ट्रेन पहले दो जोड़ी हुई और फिर एक जोड़ी हो गई। 25 फरवरी 1983 से अकबरपुर टांडा रेल खंड पर ट्रेनों का संचालन पूरी तरह से बंद कर दिया गया।अकबरपुर टांडा के बीच चलने वाली अप-डाउन एटी ट्रेनों को भी बंद कर दिया गया। इससे जहां पहले केवल नाम के रेलवे स्टेशन सूरापुर और टांडा बन गए थे,ठीक उसी तरह अब कटेहरी और जाफरगंज भी केवल नाम के रेलवे स्टेशन रह गए हैं।

स्टेशनों का बन गया नया भवन

कटेहरी और जाफरगंज रेलवे स्टेशनों पर बीते लगभग पांच साल से किसी ट्रेन का ठहराव नहीं हो रहा है और दोनों स्टेशन केवल नाम की स्टेशन बनकर रह गए हैं,लेकिन रेलवे की ओर से दोनों ही रेलवे स्टेशन का कायाकल्प कर दिया गया है।केंद्र सरकार के अमृत रेलवे स्टेशन योजना के तहत कटेहरी और जाफरगंज रेलवे स्टेशनों का विस्तार हो गया है।दोहरीकरण और विद्युतीकरण के साथ दोनों रेलवे स्टेशनों के नए प्रशासनिक भवनों का निर्माण पूरा हो चुका है।प्लेटफार्म का विस्तार भी किया गया है।रेलवे स्टेशनों पर आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था की गयी है।फिर भी ट्रेने नहीं रुकती हैं। रेलवे स्टेशन अकबरपुर के अधिक्षक विनोद कुमार के अनुसार इन स्टेशनों पर ट्रेनों के ठहराव का कोई प्रस्ताव नहीं है।

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