मुजफ्फरनगर में प्याज-लहसुन के तड़के से भड़के कांवड़िया,ढाबे पर जमकर मचाया उतपात,की तोड़फोड़,मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले को कराया शांत
मुजफ्फरनगर में प्याज-लहसुन के तड़के से भड़के कांवड़िया,ढाबे पर जमकर मचाया उतपात,की तोड़फोड़,मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले को कराया शांत

08 Jul 2025 |   28



 

मुजफ्फरनगर।उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में मंगलवार को कांवड़ यात्रा के दौरान एक ढाबे पर हंगामा और तोड़फोड़ का मामला सामने आया।हरिद्वार से गंगा जल लेकर लौट रहे कांवड़ियों ने पुराकाजी थाना क्षेत्र में नेशनल हाईवे 58 पर ढाबा पर खाने में प्याज और लहसुन डालने का आरोप लगाते हुए जमकर उत्पात मचाया।पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और ढाबे को अस्थायी रूप से बंद करा दिया।

मिली जानकारी के अनुसार कांवड़ यात्रा के दौरान कुछ कांवड़िए पुरकाजी के नया गांव में श्री सिद्ध बाबा बालकनाथ
ढाबे पर खाना खाने रुके।कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए आम तौर पर सात्विक भोजन का सेवन करते हैं,जिसमें प्याज और लहसुन का इस्तेमाल नहीं होता,कांवड़ियों ने दावा किया कि उनके द्वारा ऑर्डर की गई दाल में प्याज और लहसुन का तड़का लगाया गया था,इससे नाराज कांवड़ियों ने ढाबे पर हंगामा शुरू कर दिया और वहां रखे फर्नीचर, बर्तन और अन्य सामान की तोड़फोड़ कर दी।

ढाबे के मालिक प्रमोद कुमार ने बताया कि उनके कर्मचारियों ने गलती से सब्जी में प्याज का तड़का लगा दिया,जिसके लिए उन्होंने कांवड़ियों से माफी भी मांगी, लेकिन गुस्साए कांवड़ियों ने उनकी बात नहीं मानी और ढाबे में तोड़फोड़ जारी रखी,कुछ कांवड़ियों ने सड़क पर जाम लगाने की कोशिश भी की,जिससे क्षेत्र में तनाव की स्थिति बन गई।

सूचना मिलते ही पुरकाजी पुलिस मौके पर पहुंची।अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सत्यनारायण प्रजापत ने बताया कि पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए कांवड़ियों को समझा-बुझाकर शांत किया। पुलिस ने ढाबा मालिक और कांवड़ियों के बीच मध्यस्थता की और स्थिति को नियंत्रित किया।फिलहाल, किसी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है,लेकिन पुलिस ने ढाबे को अस्थायी रूप से बंद करा दिया है ताकि आगे कोई विवाद न हो।

बता दें कि कांवड़ यात्रा के दौरान इस तरह की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं।कांवड़िए अपनी धार्मिक भावनाओं के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं और सात्विक भोजन को लेकर विशेष ध्यान रखते हैं। इस घटना ने एक बार फिर स्थानीय प्रशासन और ढाबा मालिकों के लिए यह सवाल खड़ा कर दिया है कि कांवड़ यात्रा के दौरान भोजन की गुणवत्ता और धार्मिक मान्यताओं का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।

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