मेरठ।बीते कुछ दिनों से भीषण गर्मी से जूझ रहे मेरठ सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में बुधवार को भारी बारिश हुई।मेरठ में तीन घंटे में 108.6 मिमी बारिश हुई, जिससे लगभग पूरा मेरठ शहर डूब गया। 1909 के बाद के 116 वर्षों में 24 घंटे की अवधि में बुधवार को नौंवी बार सबसे ज्यादा बारिश हुई। 2015 के बाद से 11 वर्षों में यह दूसरी सबसे अधिक बारिश है। 26 से 29 जुलाई के बीच एक बार फिर से भारी बारिश के आसार हैं।रिकॉर्ड तोड़ बारिश होने से भारी जलभराव का जायजा लेने निकले डीएम-कमिश्नर भी फंस गए।
बुधवार सुबह नौ बजे तक हल्की बारिश हुई,लेकिन इसके बाद मौसम मिजाज तेजी से बदला और भारी बारिश शुरू हो गई।तीन घंटे तक मेरठ में भारी बारिश होती रही।शहर के निचले हिस्से डूब गए।मौसम विभाग के मुताबिक शाम 5.30 बजे तक मेरठ में 108.6 मिमी बारिश हुई जो एक रिकॉर्ड है। 2015-2025 तक मेरठ में केवल तीन बार कुछ ही घंटों में सबसे अधिक बारिश हुई हैं,जिसमें बुधवार भी शामिल है। इससे पहले 27 जुलाई 2018 को मेरठ में 226.2 और 25 जुलाई 2019 को 102.8 मिमी बारिश हुई थी। 27 जुलाई 2018 में भी मेरठ रिकॉर्ड बारिश में डूब गया था।
बुधवार की बारिश के साथ ही मेरठ में जुलाई में सामान्य बारिश का कोटा पूरा हो गया।मंगलवार तक मेरठ में कुल बारिश के सापेक्ष केवल 56 फीसदी बारिश का रिकॉर्ड था जबकि बुधवार को यह आंकड़ा 104.5 फीसदी पर पहुंच गया। ऐसे में महीने की लगभग आधी बारिश केवल तीन घंटे में हो गई। इसके साथ ही जुलाई में भी मेरठ में बारिश का ग्राफ सामान्य से ऊपर पहुंचना तय है। अभी सात दिन बाकी हैं और इस अवधि में तेज बारिश का अनुमान है। वहीं बुधवार को मेरठ का एक्यूआई 71 दर्ज हुआ जो संतोषजनक श्रेणी में है।
मौसम विभाग के मुताबिक बुधवार को मेरठ में दिन-रात का तापमान क्रमश: 29.3 एवं 27.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। मंगलवार के सापेक्ष दिन में 5.2 डिग्री सेल्सियस की गिरावट हुई जबकि रात में 0.7 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी। बावजूद इसके दिन में तापमान सामान्य से चार डिग्री सेल्सियस कम रिकॉर्ड हुआ और रात का 1.9 डिग्री सेल्सियस अधिक।
मेयर हरिकांत अहलूवालिया ने कहा कि शहर में अतिक्रमण जलभराव का मुख्य कारण है।जब तक शहर के नाले,नालियों से अतिक्रमण नहीं हटेगा तो जलभराव की समस्या का निस्तारण संभव नहीं है। जब भी अतिक्रमण हटाने की बात होती है तो लोग विरोध करने लगते हैं। इसके बावजूद नालों की सफाई का काम कराया गया। यदि नालों की सफाई में अब भी कोई कमी रह गई है तो उसे कराया जाएगा। वैसे शहर वासियों को अतिक्रमण हटाने में सहयोग करना चाहिए।
बुधवार को ऐसी झमाझम बारिश हुई कि शहर के जलभराव की समस्या का निस्तारण कराने के लिए कमिश्नर डॉ. ह्रषिकेश भाष्कर यशोद,डीएम डॉ. वीके सिंह को खुद नगर आयुक्त सौरभ गंगवार और नगर निगम के अमले के साथ कमान संभालनी पड़ गई।डेढ़ घंटे तक बच्चा पार्क स्थित लेडीज पार्क के सामने जलभराव में डीएम,नगर आयुक्त और निगम का अमला गंदे पानी के बीच खड़े होकर पुलिया की सफाई कराता रहा।जलभराव की शिकायत पर कमिश्नर जब नगर निगम पहुंचे तो वहां उन्हें भी जलभराव का सामना करना पड़ा। जलभराव के बीच ही उन्होंने नगर निगम के कंट्रोल रूम और आईटीएमएस का निरीक्षण किया। दावा किया गया कि दोपहर तक शहर में काफी पानी निकल गया।
बुधवार को शहर में सुबह करीब नौ बजे से ही बारिश होने लगी। बारिश इतनी तेज थी कि घंटे भर में ही शहर में जगह-जगह जलभराव हो गया। शास्त्रीनगर नई सड़क स्थित भोलेश्वर मंदिर, नगर निगम परिसर स्थित झारखंडी महादेव मंदिर, बच्चा पार्क स्थित शिव मंदिर आदि के बाहर भीषण जलभराव हो गया। शिवभक्तों को जलाभिषेक करने में परेशानी होने लगी। वार्ड-47 के पार्षद कुलदीप ने बच्चा पार्क मंदिर के पास जलभराव की शिकायत राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी से की। वाजपेयी ने इसकी शिकायत डीएम से की।इसके बाद डीएम, नगर आयुक्त, एडीएम सिटी, सिटी मजिस्ट्रेट आदि के साथ बच्चा पार्क पहुंचे। लेडीज पार्क के सामने गंदे पानी के बीच खड़े होकर डीएम ने चोक पुलिया की सफाई का काम शुरू कराया। करीब डेढ़ घंटे में पुलिया की सफाई का काम हुआ, तब जाकर राहत मिली। वैसे वर्षों बाद शहर में किसी डीएम ने इस तरह गंदे पानी में उतर कर जलनिकासी का काम कराया।
नगर निगम में कंट्रोल रूम बंद होने, फोन नहीं उठने की शिकायत के बीच कमिश्नर डॉ. ह्रषिकेश भाष्कर यशोद नगर निगम पहुंचे। वहां की स्थिति देख वे नाराज हुए। जूते खोलकर उन्हें जलभराव में उतरना पड़ा। निर्माण विभाग में तीसरी मंजिल पर बने आईटीएमएस कंट्रोल रूम पहुंचे। कंट्रोल रूम से उन्होंने शहर के प्रमुख चौराहों और स्थलों पर जलभराव की स्थिति को सीसीटीवी के माध्यम से देखा। मौके से ही निगम अधिकारियों को जलनिकासी का निर्देश दिया। हालांकि व्यवस्था को लेकर काफी नाराजगी जताई।