अखिलेश की मस्जिद में सियासी बैठक,सीएम योगी की कांवड़ियों पर फूलों की बारिश,2027 के लिए सेट हो गया हरा बनाम भगवा वाला टोन
अखिलेश की मस्जिद में सियासी बैठक,सीएम योगी की कांवड़ियों पर फूलों की बारिश,2027 के लिए सेट हो गया हरा बनाम भगवा वाला टोन

24 Jul 2025 |   49



 

लखनऊ।हिंदुस्तान का सबसे बड़ा सियासी सूबा उत्तर प्रदेश एक बार फिर धार्मिक और सियासी रंगों में रंगता हुआ नजर आ रहा है।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की दिल्ली में संसद मार्ग स्थित एक मस्जिद में अपने सांसदों के साथ बैठक की तस्वीर ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार कांवड़ियों पर फूलों की बारिश हिंदुत्व के एजेंडे को जबरदस्त धार दे रही है।यूपी के दो दिग्गज नेता 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सियासी टोन सेट करने में जुटे हैं।अखिलेश की मस्जिद वाली सियासत और सीएम योगी का हिंदुत्व एजेंडा इसे हरा बनाम भगवा बनाने में लगा है।हरा और भगवा के बीच जोरदार टक्कर देखने को मिलेगी।

23 जुलाई को अखिलेश यादव और सपा सांसद मोहिबुल्ला नदवी,डिंपल यादव,धर्मेंद्र यादव और जिया उर रहमान बर्क की दिल्ली में संसद मार्ग स्थित मस्जिद में बैठक की तस्वीर वायरल हुई।वायरल हुई तस्वीर को भारतीय जनता पार्टी ने राजनीति मुद्दा बना लिया। भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीया ने तस्वीर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर करते हुए आरोप लगाया कि अखिलेश ने संसद के पास मस्जिद में सियासी बैठक की,जो संवैधानिक नियमों का उल्लंघन है।उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने अखिलेश को नमाजवादी कहकर तंज कसा। बृजेश पाठक ने कहा कि संविधान में स्पष्ट है कि धार्मिक स्थलों का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता। सपा हमेशा संविधान का उल्लंघन करती है।

भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने डिंपल यादव के परिधान पर भी सवाल उठाए,जिसे सपा ने तूल देने की कोशिश बताया।अखिलेश ने जवाब में कहा कि आस्था लोगों को जोड़ती है,लेकिन बीजेपी लोगों में दूरी चाहती है,यह उनकी नकारात्मक सोच है।सपा सांसद डिंपल यादव ने स्पष्ट किया कि यह कोई सियासी बैठक नहीं थी, बल्कि एक सामाजिक मुलाकात थी,जिसमें सपा सांसद और इमाम मोहिबुल्ला नदवी की पत्नी भी मौजूद थीं।

देवाधिदेव महादेव के प्रिय महीना सावन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा को भव्य बनाने के लिए कई कदम उठाए।कांवड़ियों पर हेलिकॉप्टर से फूलों की बारिश और यात्रा के लिए विशेष व्यवस्थाएं भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे का हिस्सा मानी जा रही हैं।योगी सरकार ने कांवड़ मार्ग पर सुरक्षा,स्वच्छता और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है। भाजपा नेताओं का कहना है कि यह हिंदू श्रद्धालुओं के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

सपा ने इस पर पलटवार करते हुए इसे दिखावा करार दिया। अखिलेश ने कहा कि भाजपा ने 11 साल केंद्र और 9 साल यूपी में शासन किया,लेकिन कांवड़ियों के लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं की।हम सत्ता में आए तो कांवड़ यात्रा के लिए अलग कॉरिडोर बनाएंगे।सपा ने भी कांवड़ यात्रा में हिस्सा लेकर भाजपा के मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों का जवाब देने की कोशिश की है।सपा सांसद इकरा हसन ने सहारनपुर में कांवड़ शिविर में भोजन परोसा और पार्टी कार्यकर्ताओं ने हरिद्वार से कांवड़ यात्रा शुरू की।

यह सियासी तकरार 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए माहौल तैयार कर रही है। सपा का पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूला और भाजपा का हिंदुत्व-विकास का मिश्रण यूपी की राजनीति को धार्मिक और सामाजिक रंग दे रहा है।अखिलेश यादव ने इटावा में केदारेश्वर महादेव मंदिर निर्माण जैसे कदमों से हिंदुत्व के मैदान में भी भाजपा को चुनौती देने की कोशिश की है।वहीं योगी सरकार के धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास,जैसे अयोध्या,काशी और मथुरा में कॉरिडोर प्रोजेक्ट्स भाजपा के राजनीतिक आधार को मजबूत कर रहे हैं।

2024 के लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन ने भाजपा को जबरदस्त टक्कर दी थी।सपा ने 37 सीटों पर जीत का परचम लहराया।भाजपा 33 पर ही सिमट गयी।अखिलेश अब पीडीए रणनीति को और तेज कर रहे हैं,इसमें गैर-यादव ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं को जोड़ने पर जोर है। दूसरी ओर भाजपा योगी के नेतृत्व में हिंदुत्व और विकास के दोहरे एजेंडे पर चल रही है।सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि हमारी पार्टी एकता की राजनीति करती है, न कि विभाजन की।भाजपा धार्मिक मुद्दों को भुनाने की कोशिश कर रही है।वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि सपा का मस्जिद में बैठक करना वोटबैंक की राजनीति का हिस्सा है।

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