संगम तट पर माघ मेला और पुलिस
संगम तट पर माघ मेला और पुलिस


28 Dec 2020 |  510



 धनंजय सिंह स्वराज सवेरा एडिटर इन चीफ यूपी 



को कहि सके प्रयाग प्रभाऊ।



कलुश पुंज कुंजर मृग राऊ।।



प्रयाग की महिमा का बखान कौन कर सकता है,जैसे लाखों हाथियों का झुंड एक शेर के दहाड़ से पलायन करता है,उसी तरह प्रयाग में सभी कलेश कट जाते है।प्रयाग की पावनतम् तीर्थ रूप में ख्याति ॠगवेद काल से ही रही है।इसका मूल कारण है,प्रयाग में भारत की दो सर्वश्रेष्ठ नदियों जन्हतनया विष्णुपदी गंगा और तपनतनया यमुना का पावन संगम है।इसी पावन संगम पर वैदिक काल से ही प्रकृष्ट यज्ञ होते आ रहे है और इसीलिए इसकी प्रयाग संज्ञा भी है।प्रयाग की महिमा का वर्णन वेदों,पुराणों और अनेक साहित्यिक,सांस्कृतिक व धार्मिक ग्रंथों में भी है।



सिता सिते सरिते यत्र संगमे तत्राप्लुतासौ दिवमुत्पतन्ति।



ये वै तन्वं विसृजन्ति धीरास्ते वै जनासो अमृतत्वं भजन्ते।।



गंगा और यमुना के सितासित संगम में स्नान करने वाले लोग मोक्ष मार्ग के अधिकारी होते है। प्रयागराज का माघ मेला इतिहास में युगों-युगों से अहम स्थान रखता है।इस मेले में न केवल प्रमुख पर्वों पर लाखों की संख्या में स्नानार्थी आकर स्नान करते है,बल्कि लाखों की संख्या में धार्मिक लोग मेला क्षेत्र में एक महीने तक रहते भी है,जिसे कल्पवास कहते है।कल्पवासियों द्वारा इस कल्पवास के समय में यम,नियम,जप,तप,दान आदि धार्मिक काम होते है।इसके अलावा सैकड़ों की संख्या में अखाड़े,धार्मिक संगठन,समाजसेवी संस्थाएं और अन्य इकाइयों के द्वारा अपने-अपने पंडाल लगाते है,जिसमें हर दिन भजन,धार्मिक प्रवचन,सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है।और इस तरह संगम तट पर बसती है एक भव्य और सुंदर नगरी। पुलिस पल पल चीते की तरह चौकन्नी रहती है आतंकी और राष्टविरोधी ताकतो की गतिविधियों को देखते हुए माघ मेला संवेदनशील हो जाता है।सुरक्षा की नजर में असामाजिक,अराजक,अवांछनीय तत्व और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई एजेंट व आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद,लश्कर-ए-तैयबा,हरकत-उल-जेहाद ए इस्लामी,इंडियन मुजाहिदीन आदि हालातों का फायदा उठाकर कुत्सित उद्देश्यों की पूर्ति विस्फोटक पदार्थों द्वारा विस्फोट कर फिदायदीन हमला कर सनसनी फैलाकर शांति एवं सुरक्षा को व्यवस्था को प्रभावित न कर पाये इस लिए हमारे यूपी पुलिस का एक एक जवान शेर की तरह इनके मंसूबे पर भारी पड़ते है और जी जान से जुटे रहते है।प्रमुख स्नान पर्व के दौरान लाखों श्रध्दालु स्नान करने के लिए माघ मेले में आते है और ऐसे में आतंकी व राष्टविरोधी तत्वों की किसी भी योजनाओं के मद्देनजर हमारी यूपी पुलिस चीते की तरह चौकन्ना रहकर इनकी योजनाओं को सफल नही होने देती है।माघ मेले के दौरान गंगा नदी के घटते जल स्तर व प्रदूषण को लेकर साधू संतों तथा अन्य समाजसेवी संस्थाओं द्वारा बड़े पैमाने पर आंदोलन व मेला बहिष्कार संबंधी पूर्व में आक्रामक प्रदर्शन होते रहे है।जिससे कानून व्यवस्था भंग होने का खतरा बढ़ जाता है लेकिन पुलिस शालीनता के साथ सब शांत कराने में सफल होती है।माघ मेले के दौरान अनके हिंदू संगठनों के लोग तथा अन्य विशिष्ट महानुभाव माघ मेले के दौरान साधू संतों से लगातार संपर्क करने के लिए मेले में घूमते रहते है।कई महत्वपूर्ण व्यक्ति भी माघ मेले में आते है और ऐसे हालत में अराजक तत्वों से मेला क्षेत्र में मौजूद प्रमुख राजनैतिक नेताओं व अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा की पूरी व्यवस्था का भी पुलिस प्रबंध करती है।माघ मेले में सबसे अधिक सतर्कता और उच्चकोटि की अचूक पुलिस व्यवस्था रहती है।मेले में तैनात पुलिसकर्मियो की पूर्ण लगन,मेहनत,निष्ठा और समर्पण की भावना के साथ अपना कर्तव्य निभाते हुए संगम नगरी में अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद रह कर यूपी पुलिस की शान बढ़ाते है।


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