यूपी की पिछड़ा राजनीति में अब कुर्मी नंबर वन, भाजपा के वोट बैंक में सपा ने की जबरदस्त सेंधमारी: धनंजय सिंह
यूपी की पिछड़ा राजनीति में अब कुर्मी नंबर वन,भाजपा के वोट बैंक में सपा ने की जबरदस्त सेंधमारी: धनंजय सिंह


18 Mar 2022 |  174





लखनऊ।देश का आबादी के हिसाब से सबसे बड़ा प्रदेश उत्तर प्रदेश में पिछड़ावर्ग की राजनीति का अब स्वरूप बदल गया है।सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के समय में यादवों का वर्चस्व कायम था,लेकिन अब योगी आदित्यनाथ के राज में यादवों वर्चस्व कम हो गया। उत्तर प्रदेश 2022 के विधानसभा चुनाव के नतीजों से ये निष्कर्ष निकलता है कि अब कुर्मी समुदाय प्रदेश की राजनीति में पहले पायदान पर है।

आपको बताते चलें कि यह बदलाव इसलिए हुआ क्योंकि लगभग सभी दलों ने गैरयादव ओबीसी को अपने पाले में लाने के लिए जीतोड़ मेहनत की।जीतोड़ मेहनत का एक नतीजा यह हुआ कि जिस समाजवादी पार्टी को यादव राजनीति का पर्याय माना जाता है उसने कुर्मी वोटबैंक में जोरदार सेंधमारी की और इसका नुकसान भारतीय जनता पार्टी को हुआ। भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता तो हथिया ली मगर अपने कोर वोटरों के छिटकाव से चिंता भी बढ़ गयी है।

इस बार विधानसभा चुनाव में पिछड़े समुदाय में सबसे अधिक 41विधायक कुर्मी जाति के जीते हैं।यादव समुदाय दूसरे स्थान पर है और उसके 27 विधायक ही जीते हैं।ये थोड़ा अचंभित करने वाला परिणाम है,क्योंकि यादव समुदाय की आबादी कुर्मी समुदाय से ज्यादा है।इस बार कुर्मी समाज के जो 41 विधायकों ने जीत दर्ज की हैं उनमें 22 भारतीय जनता पार्टी के है, 13 समाजवादी पार्टी के है और एक कांग्रेस के हैं।वैसे तो भारतीय जनता पार्टी गठबंधन के 27 कुर्मी विधायक हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के 26 कुर्मी विधायक थे जब कि समाजवादी पार्टी के केवल 2 विधायक थे।इस लिहाज से समाजवादी पार्टी ने इस बार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के मजबूत वोट बैंक में जोरदार सेंधमारी की है। समाजवादी पार्टी के मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पार्टी के पुराने राजनीतिक पैटर्न को बदल रहे हैं। अखिलेश यादव अब समाजवादी पार्टी को यादववाद नाम के ठप्पे से मुक्त करना चाहते हैं। अखिलेश यादव की ये कोशिश सफल होती भी दिखाई दे रही है।कुर्मी विधायकों की संख्या 2 से 13 पर पहुंचा कर अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी का कायकल्प कर दिया है। इस बार समाजवादी पार्टी में यादव 24 से अधिक मुस्लिम विधायक 32 हैं।

भारतीय जनता पार्टी का कुर्मी समुदाय कोर वोटर माना जाता रहा है।ओबीसी समूह में यादव के बाद कुर्मी दूसरी सबसे प्रमुख जाति है। कुर्मी समुदाय 2014 से ही भारतीय जनता पार्टी की जीत में सहायक रहा है,लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कुर्मी विधायकों की संख्या में चार की कमी हो गयी। ऐसा क्यों हुआ।कुर्मी समुदाय की राजनीति करने वाला अपना दल (एस) उस हद तक वोट ट्रांसफर नहीं करा पाया जितनी की उम्मीद की गयी थी। अपना दल को भारतीय जनता पार्टी से तो फायदा हुआ,लेकिन भारतीय जनता पार्टी को अपना दल से वो फायदा नहीं मिल पाया। कौशांबी जिले की सिराथू विधानसभा में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को अगर कुर्मी समुदाय का भरपूर समर्थन मिला होता तो केशव को हार के रथ पर सवार नही होना पड़ता।सिराथू सीट से केशव लगभग 7 हजार वोट से हारे।इसे कांटे का मुकाबला नहीं कहा जा सकता। सिराथू में कुर्मी वोटरों की निर्णायक स्थिति है।केशव सिराथू सीट पर मौर्य-कुर्मी के समीकरण से अपनी विजय आसान मान रहे थे,लेकिन समाजवादी पार्टी ने कुर्मी नेता पल्लवी पटेल (अनुप्रिया पटेल की बहन) को यहां से खड़ा कर केशव के अरमानों की धज्जियां दी।कुर्मी वोट में विभाजन हो गया और केशव को हार का रथ हांकना पड़ा।अनुप्रिया पटेल सिराथू में प्रचार करने भी गयीं थीं, लेकिन अपने समुदाय का वोट भारतीय जनता पार्टी को ट्रांसफर नहीं करा पायीं।

अब यहां गौर करने वाली बात ये है,कि कैशव प्रसाद मौर्य मौर्य अलावा भारतीय जनता पार्टी के दो और मंत्री इसलिए चुनाव हार गये क्योंकि उन्हें आशा के अनुरूप कुर्मी वोटरों का समर्थन नहीं मिला।ग्रामीण विकास मंत्री रहे राजेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह प्रतापगढ़ जिले की पट्टी विधानसभा सीट से चुनाव हार गये। पट्टी से समाजवादी पार्टी ने कुर्मी उम्मीदवार, राम सिंह पटेल को उतारा था।राम सिंह पटेल कुख्यात डकैत ददुआ का भांजा हैं।पट्टी विधानसभा में अधिकतर कुर्मी वोटर समाजवादी पार्टी की तरफ मुड़ गये।इसकी वजह से मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह करीब 22 हजार वोटों से हार के रथ पर सवार होकर अपने घर गये।उसी तरह चित्रकूट सीट पर भारतीय जनता पार्टी के मंत्री चंद्रिका उपाध्याय को भी हार के रथ पर सवार होना पड़ा। इस सीट पर समाजवादी पार्टी के अनिल प्रधान पटेल ने भारतीय जनता पार्टी के मंत्री को हार के रथ सवार कर दिया।चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक ब्राह्मण वोटर हैं और कुर्मी वोटर दूसरे स्थान पर हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के चंद्रिका उपाध्याय ब्राह्मण- कुर्मी समीकरण से विजय रथ पर सवार हुए थे,लेकिन इस बार कुर्मी वोटों में बंटवारा हो गया और चंद्रिका उपाध्याय हार के रथ पर सवार होकर घर गये। इस बार विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को कुर्मी वोटरों का व्यापक समर्थन मिला है। इसकी वजह से ही इस समुदाय के 13 समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार जीत दर्ज कर पाये। समाजवादी पार्टी की यह कामयाबी भारतीय जनता पार्टी की सबसे बड़ी चिंता बन गयी है।

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